
मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने 1993 मुंबई सीरियल बम धमाकों के आरोपी गैंगस्टर अबू सलेम को राहत देने से इनकार दिया है। सोमवार को कोर्ट ने कहा प्रथम दृष्टया उसकी राय है कि सलेम ने पुर्तगाल से प्रत्यर्पण की शर्तों के तहत भारत की जेल में अभी तक 25 साल पूरे नहीं किए हैं। सलेम ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर उसे जेल से रिहा करने का अनुरोध किया है। उसने दलील दी है कि अगर अच्छे आचरण के लिए छूट को शामिल किया जाए, तो वह पहले ही 25 साल के कारावास की सजा काट चुका है।
याचिका में कहा गया है कि जब सलेम को पुर्तगाल से प्रत्यर्पित किया गया था, उस समय भारत सरकार ने आश्वासन दिया था कि उसे किसी भी मामले में मौत की सजा नहीं दी जाएगी और उसे 25 साल से अधिक की जेल की सजा भी नहीं दी जाएगी। फिलहाल अबू सलेम नासिक सेंट्रल जेल में बंद है।
न्यायमूर्ति ए एस गडकरी और न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की पीठ ने सोमवार को सलेम की याचिका स्वीकार कर ली, लेकिन कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, सलेम की गिरफ्तारी अक्टूबर 2005 में हुई थी और इसलिए प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट है कि 25 साल की अवधि अभी पूरी नहीं हुई है। पीठ ने कहा कि वह इस याचिका पर अंतिम सुनवाई उचित समय पर करेगी।
पुर्तगाल को भारत ने दिया था 25 साल की सजा का आश्वासन
1993 मुंबई सीरियल बम धमाकों और बिल्डर प्रदीप जैन की हत्या के मामले में अबू सलेम को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, सलेम ने अदालत में यह दलील दी कि जब उसे पुर्तगाल से प्रत्यर्पण कर भारत लाया गया था, तब भारत सरकार ने पुर्तगाल सरकार को यह आश्वासन दिया था कि उसे 25 साल से अधिक की सजा नहीं दी जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने भी इस आश्वासन को मान्यता दी और कहा कि सलेम को 25 साल बाद रिहा किया जाना चाहिए- यानी 2030 तक। सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई पिछली टिप्पणी के मुताबिक, अबू सलेम की हिरासत 12 अक्टूबर 2005 से मानी जाती है।
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