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सीजेआई को रिसीव करने नहीं पहुंचे चीफ सेक्रेटरी-डीजीपी

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  • बार काउंसिल के कार्यक्रम में गए थे
  • कहा- जज जमीनी हकीकत नजरअंदाज नहीं कर सकते
  • न्यायपालिका का लोगों से दूरी बनाए रखना असरदार नहीं

मुंबई । चीफ जस्टिस बीआर गवई रविवार को मुंबई पहुंचे। उन्हें रिसीव करने चीफ सेक्रेटरी, डीजीपी और मुंबई के पुलिस कमिश्नर नहीं पहुंचे। इस पर उन्होंने बार काउंसिल के कार्यक्रम में निराशा जताई। सीजेआई गवई ने कहा, 'मैं इस बात से निराश हूं कि महाराष्ट्र के बड़े अफसर प्रोटोकॉल का पालन नहीं करते। न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका ये तीनों लोकतंत्र के पिलर हैं। इन सभी को एक-दूसरे को सम्मान करना चाहिए। सीजेआई ने कहा, अगर भारत के चीफ जस्टिस पहली बार महाराष्ट्र आ रहे हैं तो ये उम्मीद की जाती है कि यहां के चीफ सेक्रेटरी, डीजीपी और मुंबई के पुलिस कमिश्नर को मौजूद रहना चाहिए। ऐसा न करना सोचने पर मजबूर करता है। मुंबई में महाराष्ट्र-गोवा बार काउंसिल ने सीजेआई का सम्मान समारोह रखा था।

सीजेआई गवई ने मराठी में सभा को संबोधित करते हुए उन्हें मिले प्यार और स्नेह के लिए गहरा आभार व्यक्त किया। इसके पहले वे मुंबई में चैत्यभूमि डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर स्मारक भी गए। भाषण के दौरान सीजेआई गवई अपने लिए लोगों का सम्मान और प्यार देखकर भावुक हो गए। उन्होंने कहा- मैं सभी का बहुत आभारी हूं। मुझे जो प्यार और सम्मान मिला है, उससे मैं अभिभूत हूं। 40 साल से मुझे यह प्यार मिल रहा है। आज का समारोह अविस्मरणीय है। मैं अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं ढूंढ पा रहा हूं। 14 मई को जब मैंने भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली तो महाराष्ट्र ने मुझ पर बहुत प्यार बरसाया।

पूरे राज्य से लोगों ने समारोह देखने की इच्छा व्यक्त की, लेकिन सीमाओं के कारण मैं सभी को शामिल नहीं कर सका। सीजेआई ने कहा कि देश न केवल मजबूत हुआ है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक मोर्चों पर भी विकसित हुआ है और ऐसा करना जारी है। देश का मूल ढांचा मजबूत है और संविधान के तीनों स्तंभ समान हैं। संविधान के सभी अंगों को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए। न तो न्यायपालिका, न ही कार्यपालिका और संसद सर्वोच्च है, बल्कि भारत का संविधान सर्वोच्च है और तीनों अंगों को संविधान के अनुसार काम करना है। सीजेआई गवई ने शनिवार को बार काउंसिल आॅफ इंडिया (बीसीआई) के सम्मान समारोह में मौजूद थे। तब उन्होंने कहा था कि जज जमीनी हकीकत को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं।

आज की न्यायपालिका मानवीय अनुभवों की जटिलताओं को नजरअंदाज करते हुए कानूनी मामलों को सख्त काले और सफेद शब्दों में देखने का जोखिम नहीं उठा सकती। सीजेआई ने इस बात पर जोर दिया था कि न्यायपालिका में लोगों से दूरी रखना असरदार नहीं है। उन्होंने इस धारणा को खारिज कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट के जजों को लोगों से जुड़ने से बचना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई ने रिटायर होने के बाद पॉलिटिक्स में एंट्री लेने से इनकार किया। उन्होंने कहा- सीजेआई के पद पर रहने के बाद व्यक्ति को कोई जिम्मेदारी नहीं लेनी चाहिए। रविवार को मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने ये बात कही।

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