मुंबई। माटुंगा पुलिस ने 27 लाख रुपये के सोने की लूट के मास्टरमाइंड को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया गया, जो कि लगभग डेढ़ साल से फरार था। 32 वर्षीय आरोपी दाढ़ी बढ़ाकर और अपना पहनावा बदलकर उत्तर भारत के शहरों में घूमकर खुद को पूरी तरह से बदल लिया था। साथ ही, वह मोबाइल फोन से भी दूर रहता था ताकि पुलिस उस तक नहीं पाए। अपनी विस्तृत योजना के बावजूद, लगातार तकनीकी निगरानी और मानवीय खुफिया जानकारी के दम पर आखिरकार उसे पकड़ लिया गया।
पुलिस के मुताबिक, 17 दिसंबर, 2023 की रात को एक गिरोह ने दादर के पास एक टैक्सी को कथित तौर पर रोका और 27 लाख रुपये मूल्य के सोने के बुरादे से भरा एक लाल बैग छीन लिया। शिकायतकर्ता और पीड़ित एक आभूषण निर्माण कंपनी के प्रबंधक है और वह कंपनी की पश्चिम बंगाल इकाई से प्रसंस्करण के लिए सोने का बुरादा मुंबई ला रहा था। मैनेजर के साथ उसके दो सहकर्मी भी थे और वे दोनों लोअर परेल के लिए टैक्सी में सवार हुए, जैसे ही उनकी टैक्सी दादर पूर्व में स्वामी जगजीवन दास रोड पर रामी होटल के पास पहुंची, वहां 5-6 बदमाशों ने गाड़ी रोक ली। एक आदमी ने कार के सामने गिरने का नाटक किया, जिससे ड्राइवर को गाड़ी रोकनी पड़ी, जबकि बाकी लोगों ने टैक्सी को घेर लिया। इस गिरोह ने मैनेजर और उसके साथियों को गलियां देते हुए मारपीट की और हाथापाई के दौरान जबरन लाल बैग छीन लिया। विरोध करने पर मैनेजर की छाती पर घूँसा भी मारा गया। मैनेजर ने तुरंत माटुंगा पुलिस से संपर्क किया, एक प्राथमिकी दर्ज कराई और कुछ ही देर बाद पुलिस हरकत में आ गई। पुलिस ने इलाके के करीब दो सौ सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली और 3 दिनों के भीतर डकैती से जुड़े 7 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। उनसे लूट का कुछ हिस्सा बरामद किया गया, जिसमें 2 लाख रुपये नकद, 126.2 ग्राम सोने के गहने और 6.1 किलो ढलाई वाला सोना और बुरादा शामिल था। हालांकि, मुख्य आरोपी और मास्टरमाइंड भागने में कामयाब रहा और तब से फरार था। पुलिस को उसकी पहचान नीलेश अखिलेश श्रीवास्तव के रूप में हुई।
अगले डेढ़ साल तक श्रीवास्तव पुलिस की पकड़ से बाहर रहा। वह बार-बार अपने ठिकाने बदलता रहा, उत्तर भारत के अलग-अलग शहरों में घूमता रहा और दाढ़ी बढ़ाकर और अपना भेष बदलता रहा। इलेक्ट्रॉनिक ट्रैकिंग से बचने के लिए उसने जानबूझकर अपना फ़ोन बंद रखा। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि वह अपने परिवार से संपर्क करने के लिए अलग-अलग मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल करता था और हर फ़ोन कॉल के बाद सिम कार्ड नष्ट कर देता था। जिससे उसे ढूँढना मुश्किल हो जाता था। हालांकि, पुलिस टीम ने न केवल आरोपी पर, बल्कि परिवार के कुछ सदस्यों पर भी नज़र रखी, जिन पर पुलिस को शक था कि वे उसे अपडेट रखने में मदद कर रहे थे। परिवार के ऐसे ही एक सदस्य पर निगरानी रखने से पुलिस को श्रीवास्तव की गतिविधियों का पता लगाने में मदद मिली और इस हफ़्ते की शुरुआत में वह एक जाल में फंस गया। टीम आखिरकार टिटवाला से श्रीवास्तव का पता लगाने और उसे गिरफ्तार करने में सफल रही। गिरफ़्तारी करने वाली टीम में पीआई केशव वाघ, एपीआई संतोष माली और साइबर टीम शामिल थी। फिलहाल, उससे आगे की पूछताछ के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।
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