राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित कुलधरा गाँव आज भी रहस्यों और डरावनी कहानियों से घिरा हुआ है। यह गाँव लगभग 200 साल पहले एक ही रात में अपने समस्त निवासियों सहित वीरान हो गया था। तब से लेकर आज तक यह मान्यता बनी हुई है कि कुलधरा की वीरानी के पीछे कोई अलौकिक रहस्य छिपा है। लेकिन क्या वास्तव में रात होते ही यहां कोई खौफनाक साया घूमता है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए एक टीम पहुंची वहां, जो पैरा नॉर्मल एक्सपर्ट्स की मानी जाती है।
कुलधरा: जहां समय थम सा गया हैकुलधरा को देखने आने वाले पर्यटकों की संख्या दिन के समय भले ही अधिक हो, लेकिन सूरज ढलते ही यह स्थान वीरान हो जाता है। पुरातत्व विभाग ने भी यहां सूर्यास्त के बाद रुकने पर पाबंदी लगाई है। इसकी वजह है—वह डर, जो हर किसी के मन में बसता है। कहा जाता है कि यहां रात में किसी के चलने की आवाजें आती हैं, कोई अनजान साया लोगों के पीछे चलता महसूस होता है, और अचानक ठंडी हवा का झोंका रूह कंपा देता है।
पैरा नॉर्मल टीम का मिशन: डर का सामनाहाल ही में एक पैरा नॉर्मल रिसर्च टीम ने कुलधरा में रात बिताने का निर्णय लिया। यह टीम आधुनिक उपकरणों से लैस थी—EMF डिटेक्टर, नाइट विजन कैमरा, तापमान मापक यंत्र, और ऑडियो रिकॉर्डिंग डिवाइसेज़। टीम ने यह मिशन इसलिए लिया ताकि यह साबित किया जा सके कि क्या यहां वास्तव में कोई अलौकिक शक्ति है या यह केवल लोगों की कल्पना है।टीम के अनुसार, जैसे ही रात गहराई, उन्हें अजीब सी सरसराहट सुनाई देने लगी। EMF डिटेक्टरों में असामान्य संकेत मिलने लगे, और तापमान अचानक 7-8 डिग्री तक गिर गया, जबकि आसपास का वातावरण सामान्य बना रहा। एक सदस्य ने बताया कि उन्होंने एक क्षण के लिए किसी परछाई जैसी आकृति को महसूस किया, जो अचानक सामने आई और तुरंत ही गायब हो गई।
कैमरों में कैद हुई रहस्यमयी छायाएंनाइट विजन कैमरों की फुटेज में कुछ धुंधली आकृतियां दिखाई दीं, जो बिना किसी स्पष्ट मानव आकार के थीं। एक वीडियो क्लिप में देखा गया कि एक पेड़ के पास कोई आकृति खड़ी है, और फिर वह धीरे-धीरे हवा में घुल जाती है। हालांकि टीम ने यह भी स्पष्ट किया कि यह फुटेज पूर्ण रूप से प्रमाणिक नहीं मानी जा सकती, लेकिन सामान्य विज्ञान के हिसाब से उसकी कोई व्याख्या संभव नहीं थी।
स्थानीय लोगों की मान्यताएंस्थानीय ग्रामीणों का मानना है कि कुलधरा के लोगों ने राजा के अत्याचारों से तंग आकर गांव को एक रात में खाली कर दिया था। जाते-जाते उन्होंने इस स्थान को श्राप दिया था कि कोई भी यहां बस नहीं पाएगा। आज भी अगर कोई रात में इस गाँव में प्रवेश करने की हिम्मत करता है, तो वह मानसिक रूप से असहज महसूस करता है, या फिर उसकी तबीयत खराब हो जाती है।एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया, “हमने कई बार रात को किसी के रोने की आवाजें सुनी हैं, और कई बार ऐसा लगता है जैसे कोई हमारे कंधे पर हाथ रखकर खड़ा हो। लेकिन मुड़कर देखने पर वहां कोई नहीं होता।”
विज्ञान बनाम विश्वासपैरा नॉर्मल टीम ने इस अनुभव को अलौकिक मानने से पूरी तरह इनकार नहीं किया, लेकिन उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से भूत-प्रेत की पुष्टि नहीं करता। उनका कहना है कि ऐसी जगहों पर ऊर्जा का संचार अलग ढंग से होता है, जिसे हम सामान्य इंद्रियों से नहीं समझ सकते।टीम लीडर ने कहा, “हम विज्ञान के माध्यम से इसका अध्ययन कर सकते हैं, लेकिन जो कुछ हमने वहां अनुभव किया, वो हमारी कल्पना से परे था। किसी के चलने की आहट, अचानक सन्नाटा और असामान्य तापमान गिरावट—ये सब इत्तेफाक नहीं हो सकते।”
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