लगातार हो रही बारिश से खरीफ की फसलों को मजबूती देने के लिए किसानों को यूरिया खाद की जरूरत पड़ने लगी है। यूरिया की अचानक बढ़ी मांग से इसकी किल्लत होने लगी है। आरोप है कि इसी स्थिति का फायदा उठाकर यूरिया की कालाबाजारी जोर पकड़ रही है। किसानों का कहना है कि इन दिनों उन्हें यूरिया खाद के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। आरोप है कि खाद विक्रेताओं द्वारा निर्धारित मूल्य से अधिक कीमत वसूल कर कालाबाजारी की जा रही है। इससे उनकी जेब पर अतिरिक्त बोझ बढ़ रहा है। कस्बे की कई दुकानों पर अधिकृत विक्रेता किसानों को खाद न होने की बात कह देते हैं, जबकि चोरी-छिपे निर्धारित मूल्य से 100 से 150 रुपये अधिक कीमत वसूल कर खाद बेची जा रही है।
नहीं मंगाई जा रही खादजानकारी के अनुसार, हर जगह यूरिया खाद की किल्लत है। इसका कारण कृषि विभाग का वह आदेश बताया जा रहा है, जिसमें खाद के साथ टैग की गई अन्य वस्तुएं, जिनमें सल्फर, जिंक या नैनो यूरिया शामिल हैं, न देने पर रोक लगाई गई है। इस पर विक्रेता खाद नहीं मंगा रहे हैं। खाद मंगवाने पर कंपनियां टैग लगाकर दूसरा सामान दे देती हैं। जिसे किसान नहीं लेता। यदि विक्रेता उक्त सामान लेने के लिए दबाव बनाता है तो शिकायत पर कृषि विभाग कार्रवाई करता है। इधर, कंपनियां भी खाद नहीं दे रही हैं। सहायक कृषि अधिकारी डॉ. नरेश पाराशर ने बताया कि निर्धारित मूल्य से अधिक दाम पर यूरिया खाद देना गैरकानूनी है। इनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। विक्रेता टैग वाला सामान लेने के लिए दबाव नहीं बना सकता। विभाग इसकी शिकायत पर कार्रवाई करेगा।
एक साथ मांग बढ़ने से हुई समस्या
हम मांग के अनुसार खाद की आपूर्ति करने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। एचयूआरएल यूरिया खाद की रैक आज आई है और एनएफएल कल आएगी। फिर एक और रैक आने वाली है। बारिश के कारण एक साथ मांग बढ़ने से समस्या हुई है। आने वाले दिनों में समस्या का समाधान कर दिया जाएगा। कालाबाजारी के दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। पीसी मीणा, संयुक्त निदेशक, कृषि विभाग
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