कांग्रेस की राजस्थान इकाई के सचेतक रफीक खान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अजमेर दरगाह की बिगड़ती स्थिति में तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है। खान ने यह पत्र बुधवार को दो सप्ताह से भी कम समय में दरगाह की संरचना के ढहने की दो हालिया घटनाओं के बाद लिखा। खान ने पत्र में कहा कि अजमेर दरगाह न केवल मुसलमानों का धार्मिक स्थल है, बल्कि भारत की एक साझी विरासत है, जहाँ सभी धर्मों के लोग प्रार्थना करने आते हैं। उन्होंने लिखा, "ख्वाजा साहब की दरगाह पूरे देश की है, लेकिन आज उसी सरकार के अधीन इसकी उपेक्षा हो रही है जिस पर इसकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी है।"
"न तो कोई अध्यक्ष है और न ही कोई निगरानी व्यवस्था"
दरगाह ख्वाजा साहब अधिनियम, 1955 के अनुसार, दरगाह का प्रबंधन सीधे अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के अधीन है। खान ने कहा कि पिछले तीन वर्षों से दरगाह समिति का गठन नहीं हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि न तो कोई अध्यक्ष है, न ही कोई निगरानी व्यवस्था और न ही कभी कोई संरचनात्मक सुरक्षा ऑडिट किया गया है।
"दरगाह की सुरक्षा एक कानूनी और नैतिक कर्तव्य है"
खान ने पत्र में हाल की दो घटनाओं का भी ज़िक्र किया। 2 जुलाई को बाबा फ़रीद की कुटिया के पास एक दीवार गिर गई और 15 जुलाई को छत का एक हिस्सा ढह गया। खान ने पत्र में लिखा, "प्रधानमंत्री हर साल अजमेर शरीफ़ पर चादर भेजते हैं, लेकिन क्या यह पर्याप्त है? चादर भेजना एक परंपरा है, दरगाह की सुरक्षा एक कानूनी और नैतिक कर्तव्य है।" कांग्रेस नेता ने सुझाव दिया, "अगर सरकार दरगाह के रखरखाव का प्रबंधन करने में असमर्थ है, तो उसे प्रशासन का काम समुदाय को ही सौंपने पर विचार करना चाहिए।"
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