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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का अशोक गहलोत पर पलटवार – “मैं न दबाव डालता हूं, न दबाव में आता हूं”

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पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों के कामकाज को लेकर लगाए गए ‘दबाव में काम करने’ के आरोपों पर सोमवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने तीखा पलटवार किया। उन्होंने गहलोत के बयान को बेबुनियाद करार देते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा कि वे न तो किसी पर दबाव डालते हैं और न ही स्वयं किसी दबाव में काम करते हैं।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, “अब तक राज्यपाल को आसान निशाना बनाया जाता था, लेकिन अब इसमें उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति को भी घसीटा जा रहा है। मैं साफ तौर पर कहना चाहता हूं कि मुझ पर कोई दबाव नहीं है। मैंने जीवन भर स्वतंत्र सोच के साथ काम किया है और करता रहूंगा।”

धनखड़ यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला जैसे नेता भी कभी किसी दबाव में नहीं आ सकते। “राजस्थान का व्यक्ति मेहनती होता है और वह कभी भी किसी दबाव में नहीं आता,” उन्होंने कहा।

पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने हाल ही में एक बयान में आरोप लगाया था कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोग सरकार या अन्य शक्तियों के दबाव में काम कर रहे हैं, जिससे लोकतंत्र कमजोर हो रहा है। इसी बयान के जवाब में उपराष्ट्रपति ने अपनी प्रतिक्रिया दी और लोकतंत्र की मजबूती की बात दोहराई।

धनखड़ ने अपने बयान में यह भी जोड़ा कि संवैधानिक संस्थाएं देश की रीढ़ होती हैं और उनका सम्मान हर हाल में बनाए रखना चाहिए। किसी भी प्रकार का संदेह या आरोप इन संस्थाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाता है, जो लोकतंत्र के लिए नुकसानदायक है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उपराष्ट्रपति का यह बयान सीधे तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत की उस राजनीतिक शैली की आलोचना है जिसमें वे संवैधानिक पदाधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाते रहे हैं। यह टकराव राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर से गर्माहट ला सकता है।

इस पूरे घटनाक्रम से यह साफ है कि आने वाले दिनों में राजनीतिक विमर्श में संवैधानिक संस्थाओं की भूमिका और उनकी निष्पक्षता को लेकर बहस और तेज हो सकती है।

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