चित्तौड़गढ़ जिले की निम्बाहेड़ा तहसील के मुरलिया गांव के निवासियों ने सरकार द्वारा किए जा रहे पंचायत पुनर्गठन में उनके गांव को बांसा पंचायत में शामिल किए जाने का विरोध किया। निवासियों का कहना है कि यह निर्णय राजनीतिक द्वेष के कारण लिया गया है, जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। निवासियों ने जिला कलेक्टर के पास जाकर विरोध प्रदर्शन किया और जिला कलेक्टर के समक्ष अपनी मांगें रखीं।
यह मांगरोल पंचायत से जुड़ा हुआ है, सुविधाएं भी पूरी हैं
स्थानीय लोगों ने बताया कि वर्तमान में मुरलिया गांव मांगरोल ग्राम पंचायत में शामिल है, जो महज 200 मीटर की दूरी पर स्थित है। पिछले 25 वर्षों से सभी राजस्व एवं अन्य सरकारी कार्य मंगरोल पंचायत द्वारा ही किये जाते रहे हैं। मंगरोल में पेयजल, शिक्षा, चिकित्सा, बैंक और डाकघर जैसी सभी बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। इससे निवासियों को कभी किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा।
बांसा पंचायत से दूरी और कई कठिनाइयां हैं
ग्रामीणों के अनुसार मुरलिया गांव को नई ग्राम पंचायत बांसा में शामिल किया जा रहा है, जो मुरलिया से करीब 8 किलोमीटर दूर है। इस मार्ग पर रेलवे लाइन, एक बड़ा बांध और एक झील है, जिससे बरसात के मौसम में यात्रा खतरनाक हो जाती है। इसके अलावा, दोनों गांवों के बीच कोई सरकारी पंजीकृत सड़क नहीं है।
सुविधाएं नहीं, पर बांसा में बन रही नई पंचायत
मुरलिया गांव के निवासियों ने बताया कि बांसा गांव में पानी या अन्य बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। यहां केवल 10वीं कक्षा तक का स्कूल है, जबकि मुरलिया में सड़क किनारे 12वीं कक्षा तक का स्कूल है, जिससे छात्र आसानी से पढ़ाई कर सकते हैं। यदि मुरलिया को बांसा पंचायत में शामिल कर दिया गया तो बच्चों को पढ़ने के लिए 8 किलोमीटर दूर जाना पड़ेगा, जो असुरक्षित और असुविधाजनक होगा।
मुरलिया में अधिक मतदाता, फिर भी नजरअंदाज
स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि मुरलिया में करीब 1,175 मतदाता हैं, जबकि बांसा में केवल 755 मतदाता हैं। इसके बावजूद बांसा को नई ग्राम पंचायत घोषित कर मुरलिया को इसमें जोड़ा जा रहा है। यह निर्णय उचित नहीं है और निवासियों की इच्छा के विरुद्ध है।
मांग-मुरालिया को मांगरोल में रखो या नई पंचायत बनाओ
ग्रामीणों ने स्पष्ट किया कि यदि प्रशासन पंचायत का पुनर्गठन करना चाहता है तो या तो मुरलिया को मांगरोल में ही रखा जाए या फिर मुरलिया गांव को स्वतंत्र ग्राम पंचायत घोषित किया जाए। निवासियों ने यह भी आरोप लगाया कि यह निर्णय राजनीतिक द्वेष के कारण लिया गया है, जहां निवासियों की सुविधा से अधिक राजनीति को प्राथमिकता दी जा रही है।
You may also like
Dividend Stock: मोटा डिविडेंड चाहने वालों के लिए बड़ी ख़बर; ये कंपनी दे रही है ₹50 का डिविडेंड
गोरखपुर में 70 वर्षीय ससुर ने 28 वर्षीय बहू से की शादी, चर्चा का विषय बना
रेप का केस वापस कराने और धमकाने पहुंचा सिपाही युवती की मांग भरकर करनी पड़ी शादी 〥
संभोग के दौरान वीर्यपात का सही समय और उपाय
iPhone 17 Series to Feature 12GB RAM, iPhone 18 Models to Adopt Enhanced LPDDR5X Memory