झालावाड़ जिले के मनोहरथाना एसीजेएम कोर्ट ने 20 साल पुराने मामले में कंवरलाल मीना के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। कोर्ट ने उन्हें 14 मई तक न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष सरेंडर करने के आदेश दिए हैं, यदि वे सरेंडर नहीं करते हैं तो पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लेगी। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) खारिज कर दी थी, तथा दो सप्ताह के भीतर ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने के निर्देश दिए थे।
तीन साल की सजा बरकरार
झालावाड़ के एडीजे अकलेरा कोर्ट ने विधायक कंवरलाल को सरकारी काम में बाधा डालने, सरकारी अधिकारियों को धमकाने तथा संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का दोषी माना था। 14 दिसंबर 2020 को कोर्ट ने उन्हें तीन साल की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ विधायक ने हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसे खारिज कर दिया गया तथा सजा बरकरार रखी गई।
सरेंडर नहीं करने पर गिरफ्तारी तय
उन्हें सुप्रीम कोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिली है। ट्रायल कोर्ट (एसीजेएम, मनोहरथाना) ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। विधायक को एसीजेएम कोर्ट, मनोहरथाना अथवा एडीजे कोर्ट, अकलेरा में सरेंडर करना होगा। अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लेगी।
सुप्रीम कोर्ट में सभी दलीलें खारिज
7 मई को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस संजय करोल की बेंच में सुनवाई हुई। विधायक के वकील नमित सक्सेना ने दलील दी कि कोई रिवॉल्वर बरामद नहीं हुई, इसलिए 'आपराधिक बल' का मामला नहीं बनता। पुलिस ने वीडियो कैसेट भी बरामद नहीं की, इसलिए संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप भी बेबुनियाद है। सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी दलीलों को खारिज कर दिया।
कंवरलाल के खिलाफ 15 आपराधिक मामले दर्ज
हाईकोर्ट ने अपील खारिज करते हुए कहा था कि कंवरलाल खुद को राजनीतिक व्यक्ति कहते हैं, लेकिन कानून की रक्षा करने की बजाय उन्होंने इसकी अवहेलना की। उनके खिलाफ पहले से ही 15 आपराधिक मामले दर्ज हैं। भले ही वह ज्यादातर मामलों में बरी हो चुके हैं, लेकिन उनकी आपराधिक पृष्ठभूमि को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
20 साल पहले एसडीएम पर तानी थी पिस्तौल
3 फरवरी 2005 को झालावाड़ के मनोहरथाना से दो किलोमीटर दूर डांगीपुरा-राजगढ़ मोड़ पर ग्रामीणों ने उपसरपंच चुनाव को लेकर सड़क जाम कर दिया था। सूचना मिलने पर तत्कालीन एसडीएम रामनिवास मेहता, प्रोबेशनर आईएएस डॉक्टर प्रीतम बी. यशवंत और तहसीलदार रामकुमार मौके पर पहुंचे और समझाइश करने लगे। तभी कंवरलाल मीना अपने साथियों के साथ पहुंचा और एसडीएम की कनपटी पर पिस्तौल तान दी और धमकी दी कि अगर पुनर्मतगणना की घोषणा नहीं की तो जान से मार दूंगा। कंवरलाल मीना अपने साथियों के साथ पहुंचा और एसडीएम की कनपटी पर पिस्तौल तान दी और धमकी दी कि अगर पुनर्मतगणना की घोषणा नहीं की तो जान से मार दूंगा।
निचली अदालत ने उसे दोषी करार दिया
इसके बाद उसने विभागीय फोटोग्राफर के कैमरे से कैसेट निकालकर तोड़ दिया और जला दिया। उसने डॉ. प्रीतम का डिजिटल कैमरा भी छीन लिया, जो करीब 20 मिनट बाद लौटाया गया। इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने 2 अप्रैल 2018 को कंवरलाल को बरी कर दिया था, लेकिन अपील कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटते हुए उसे दोषी करार दिया।
विधायक पद का अंत तय
कंवरलाल मीना का विधायक पद खत्म होना तय माना जा रहा है। विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने इस संबंध में राज्य के महाधिवक्ता और वरिष्ठ वकीलों से कानूनी राय ली है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के अनुसार, दो साल या उससे अधिक की सजा होने पर विधानसभा या संसद की सदस्यता समाप्त हो जाती है। दोषी सांसद या विधायक छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते। ऐसे में कंवरलाल अंता से उपचुनाव ही नहीं, बल्कि 2028 का विधानसभा चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे।
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