उत्तर पश्चिम रेलवे के जोधपुर मंडल पर जोधपुर से मारवाड़ जंक्शन रेलवे स्टेशनों के बीच रेलवे लाइन के नवीनीकरण का कार्य 150 करोड़ रुपए की लागत से पूरा हो गया है। इससे इस रेल मार्ग पर रेल परिचालन सुरक्षित होगा और ट्रेनों की गति भी बढ़ेगी। मंगलवार को यह जानकारी देते हुए जोधपुर डीआरएम अनुराग त्रिपाठी ने बताया कि जोधपुर से मारवाड़ जंक्शन स्टेशनों के बीच रेलवे लाइन बदलने का कार्य तीन चरणों में किया गया। इसके पहले चरण में जोधपुर से लूनी, दूसरे चरण में लूनी से पाली मारवाड़ और तीसरे चरण में पाली मारवाड़ से मारवाड़ जंक्शन स्टेशनों के बीच चरणबद्ध तरीके से यह कार्य किया गया।
उन्होंने बताया कि इस मार्ग पर ये डी मार्क वाली पटरियां थीं, जिन्हें बदलने की जरूरत थी। त्रिपाठी ने कहा कि यह महत्वपूर्ण उपलब्धि मंडल के अधिकारियों व कर्मचारियों की प्रतिबद्धता और महाप्रबंधक अमिताभ के दूरदर्शी नेतृत्व का परिणाम है। यह कार्य रेलवे की सुरक्षा प्राथमिकताओं की दिशा में उल्लेखनीय उपलब्धि है। रेलवे लाइन बदलना क्यों जरूरी है? रेलवे में सीटीआर का मतलब है कि जब किसी रेल सेक्शन में पुरानी रेल पटरियों की मजबूती पहले से कम हो जाती है या उनकी क्षमता पहले से कम हो जाती है, तो स्लीपर और गिट्टी को हटाकर उनकी जगह मौजूदा तकनीक से बनी नई और उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री लगाई जाती है। इसका उद्देश्य ट्रैक की मजबूती, मजबूती और सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
सीटीआर क्यों जरूरी है?
समय के साथ रेल की पटरियां और स्लीपर क्षतिग्रस्त या कमजोर हो जाते हैं। इससे ट्रेन संचालन की गति, सुरक्षा और स्थिरता प्रभावित होती है। अगर ट्रैक पर 'डी मार्क' ट्रैक हैं, तो उन्हें जल्द से जल्द बदलना जरूरी है, क्योंकि पुरानी तकनीक से बने होने के कारण उनमें आंतरिक कमियां होती हैं, जिनका एक निश्चित समय पर बदलना ही एकमात्र उपाय है।
उच्च क्षमता वाली पटरियां बिछाने के प्रमुख लाभ
किसी सेक्शन पर रेल पटरियों के नवीनीकरण से सुरक्षा बढ़ने के साथ-साथ ट्रेनों की गति बढ़ाने में मदद मिलती है, जिससे न केवल रखरखाव की लागत कम होती है, बल्कि दुर्घटनाओं की संभावना भी नगण्य रहती है।
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