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आरएएस परीक्षा रद्द की मांग पर RPSC का पलटवार! हाईकोर्ट में दायर की कैविएट, जानिए क्या है इसका मतलब ?

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आरएएस भर्ती परीक्षा 2024 की मुख्य परीक्षा 17 व 18 जून को प्रस्तावित है। इस परीक्षा की तिथि आगे बढ़ाने को लेकर जयपुर में सैकड़ों अभ्यर्थी प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच आरपीएससी सचिव ने राजस्थान हाईकोर्ट में कैविएट पेश की है। अधिवक्ता तरुण जोशी के माध्यम से पेश की गई इस कैविएट में आरपीएससी ने गुहार लगाई है कि यदि आरपीएससी या आरपीएससी आरएएस भर्ती परीक्षा 02 सितंबर 2024 के लिए जारी अधिसूचना के खिलाफ हाईकोर्ट में कोई याचिका दायर होती है तो कैविएट के तौर पर आरपीएससी को उसमें पक्षकार बनाया जाए। इस कैविएट में हाईकोर्ट से आरपीएससी को सुने बिना एकतरफा फैसला न देने की गुहार लगाई गई है। 

आरपीएससी सचिव द्वारा यह कैविएट पेश करने के बाद यह सुनिश्चित किया गया है कि परीक्षाएं 17 व 18 जून को ही आयोजित की जाएंगी। यह कैविएट प्रदर्शनकारियों को सीधा संदेश है कि आरपीएससी या सरकार किसी दबाव में नहीं आएगी और परीक्षाओं की तिथि आगे नहीं बढ़ाई जाएगी।

हाईकोर्ट में प्रस्तुत कैविएट एक कानूनी प्रक्रिया है। इसमें जिस व्यक्ति को यह संभावना हो कि उसके खिलाफ कोई कानूनी कार्यवाही शुरू की जा सकती है या हाई कोर्ट में कोई याचिका प्रस्तुत की जा सकती है, तो कोर्ट में याचिका दायर करके यह सुनिश्चित किया जाता है कि ऐसी याचिका या कानूनी प्रक्रिया में कोई आदेश पारित करने से पहले उसका पक्ष सुना जाए।

कैविएट सुनवाई के अधिकार की रक्षा करता है

कैविएट व्यक्ति या संस्था के सुनवाई के अधिकार की रक्षा करता है और किसी भी मामले में एकतरफा कार्रवाई की संभावना को रोकता है। कैविएट हाई कोर्ट में बढ़ते मामलों को रोकने में भी मदद करता है। कई मामलों में कैविएटर की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट को मामले को समझने में मदद मिलती है और कई मामलों का निपटारा पहले चरण में ही हो जाता है। दरअसल, कैविएट एक एहतियाती उपाय है जो संभावित मुकदमेबाजी को खत्म करने में मदद करता है।

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