Next Story
Newszop

रहस्य, डर और श्राप से घिरी भानगढ़ की खौफनाक कहानी, 3 मिनट की डॉक्यूमेंट्री में देखे रात में रुकने वालों का क्या होता है अंजाम?

Send Push

राजस्थान की धरती पर बसा भानगढ़ किला, जितना पुराना है, उतना ही रहस्यमयी और डरावना भी। यह किला अलवर जिले के सरिस्का टाइगर रिजर्व के पास अरावली की पहाड़ियों में स्थित है और अपनी ऐतिहासिक सुंदरता के साथ-साथ डरावनी कहानियों के लिए भी जाना जाता है। भारत में भूत-प्रेत और अलौकिक घटनाओं से जुड़ी जगहों की बात करें तो भानगढ़ किला हमेशा सबसे ऊपर रहता है।यहां का एक ऐसा नियम है जो इस किले को और भी रहस्यमय बना देता है — "सूर्यास्त के बाद से सूर्योदय तक यहां रुकना पूरी तरह प्रतिबंधित है।"


रात में क्यों नहीं रुकने दिया जाता?

भानगढ़ किले के मुख्य प्रवेश द्वार पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा लगाए गए एक बोर्ड पर स्पष्ट रूप से लिखा है कि शाम के 6 बजे के बाद और सुबह 6 बजे से पहले इस किले में प्रवेश करना मना है। यह नियम सिर्फ किसी धार्मिक मान्यता या परंपरा का हिस्सा नहीं है, बल्कि इसके पीछे ऐसे डरावने अनुभव और कहानियाँ हैं, जिन्होंने लोगों को इस जगह से भयभीत कर दिया है।कहते हैं कि अब तक जो भी व्यक्ति इस किले के अंदर रात में रुकने की जिद पर अड़ा, वह कभी सुबह ज़िंदा बाहर नहीं आ पाया। या तो वह लापता हो गया, या फिर उसकी मानसिक स्थिति बुरी तरह बिगड़ गई। किसी को भी वह अनुभव दोबारा साझा करने का मौका नहीं मिला।

किस्सा जो बन गया किले का ‘श्राप’
भानगढ़ किले की कहानी जितनी ऐतिहासिक है, उतनी ही रहस्यमयी भी। स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, यह किला 17वीं सदी में राजा माधो सिंह ने बनवाया था। लेकिन इसके अस्तित्व से जुड़ा सबसे प्रचलित किस्सा एक तांत्रिक और राजकुमारी रत्नावती से जुड़ा है।कहते हैं कि रत्नावती बेहद रूपवती थी और उसकी सुंदरता पूरे इलाके में मशहूर थी। एक तांत्रिक सिंघिया उस पर मोहित हो गया और उसने उसे पाने के लिए काला जादू किया। लेकिन राजकुमारी को उसकी चालाकी का पता चल गया और उसने वह जादुई वस्तु तांत्रिक पर ही फेंक दी। परिणामस्वरूप वह मारा गया, लेकिन मरते-मरते उसने पूरे भानगढ़ को श्राप दे दिया कि यह नगर तबाह हो जाएगा और कभी फिर आबाद नहीं हो पाएगा।उसके बाद से यह क्षेत्र उजाड़ हो गया। लोगों का मानना है कि उसी श्राप के कारण आज भी यहां आत्माएं भटकती हैं।

दिन में पर्यटक, रात में सन्नाटा
भानगढ़ किला दिन के समय पर्यटकों से गुलजार रहता है। हजारों लोग यहां इसकी वास्तुकला, इतिहास और प्राचीन मंदिरों को देखने आते हैं। लेकिन जैसे ही सूर्यास्त का समय नजदीक आता है, परिसर खाली कराया जाने लगता है। गार्ड्स पर्यटकों को किले से बाहर निकाल देते हैं और दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं।स्थानीय लोगों का कहना है कि रात के समय किले के भीतर से अजीब आवाजें आती हैं — जैसे किसी स्त्री की चीखें, पैरों की आहटें, और मंदिरों से आती रहस्यमयी घंटियों की आवाज़। कुछ साहसी लोगों ने जब रात में इस किले में घुसने की कोशिश की, तो वे कभी दोबारा नहीं दिखे।

वैज्ञानिक तर्क बनाम मानवीय विश्वास
कुछ लोग इस रहस्य को प्राकृतिक घटनाओं से जोड़ते हैं। उनका कहना है कि किले की बनावट और उसके आस-पास का वातावरण भ्रम पैदा करता है। गर्मी और हवा के कारण पत्थरों से टकरा कर आने वाली आवाज़ें लोगों को डरावनी लग सकती हैं।लेकिन सवाल ये उठता है — क्या हर बार वही भ्रम होता है? अगर ऐसा है, तो फिर रात में रुकने की अनुमति क्यों नहीं है? क्यों आज तक कोई रात में वहां सुरक्षित नहीं रहा?

फिल्मकारों और डॉक्युमेंट्री निर्माताओं की पसंद
भानगढ़ किले की डरावनी कहानियों ने कई डॉक्युमेंट्री और फिल्मकारों को आकर्षित किया है। कई वेब सीरीज और यूट्यूब चैनल्स ने यहां शूटिंग की कोशिश की है। कुछ ने अपने अनुभव साझा किए हैं कि कैसे उन्होंने यहां कैमरों में अजीब हरकतें कैद कीं, या टीम के सदस्यों को अचानक डर लगने लगा।कुछ लोगों ने यहां रात बिताने की कोशिश भी की, लेकिन मानसिक असंतुलन या दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ा।

क्या सिर्फ अफवाह है या हकीकत?
भानगढ़ को लेकर जो सबसे बड़ा प्रश्न आज भी बना हुआ है — क्या यह सब सिर्फ अफवाहें हैं या वास्तव में कुछ ऐसा है जो हमारी सामान्य समझ से परे है?भारत जैसे देश में जहां आध्यात्मिकता, रहस्य और परंपराएं एक साथ चलती हैं, वहां ऐसे सवालों के जवाब देना आसान नहीं होता।

Loving Newspoint? Download the app now