राजस्थान हाईकोर्ट ने सड़क दुर्घटना में लकवाग्रस्त हुई 21 वर्षीय युवती को दिए जाने वाले मुआवजे की राशि 1.49 करोड़ से बढ़ाकर 1.90 करोड़ कर दी है। कोर्ट ने कहा कि यह सिर्फ दुर्घटना में घायल होने का मामला नहीं है, इस दुर्घटना ने पीड़िता के जीवन, पहचान और स्वतंत्रता को प्रभावित किया है।
मुआवजा कोई उपकार नहीं, बल्कि न्याय का अनिवार्य हिस्सा है
न्यायाधीश गणेश राम मीना ने यह आदेश दिया। कानूनी आधार पर पीड़िता को दिया जा रहा मुआवजा कोई उपकार नहीं, बल्कि न्याय का अनिवार्य हिस्सा है। इस घटना ने पीड़िता के सपनों, सम्मान और अवसरों को प्रभावित किया। चालक की लापरवाही के कारण राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में पढ़ने वाली युवती सड़क दुर्घटना का शिकार हो गई, जिसके कारण वह लकवाग्रस्त हो गई। ट्रिब्यूनल ने उसे 1.5 करोड़ रुपये मुआवजा देने के आदेश दिए।
दोनों पक्षों ने हाईकोर्ट में अपील की
इसके खिलाफ दोनों पक्षों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। पीड़ित ने कहा कि मुआवज़ा कम मिला, जबकि दूसरे पक्ष ने मुआवज़े की राशि ज़्यादा बताते हुए हाईकोर्ट में अपील की। कोर्ट ने कहा कि उचित मुआवज़ा न देना न सिर्फ़ अन्याय है, बल्कि संस्थागत उपेक्षा भी है। कानून को सिर्फ़ पैसे का हिसाब नहीं देना चाहिए, बल्कि उससे छीने गए सपनों का भी हिसाब रखना चाहिए।
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