साल 2023 में ह्यूगो फ़ारियास ने लगातार 366 मैराथन दौड़ पूरी कर एक विश्व रिकॉर्ड बनाया.
यह हर दिन 42 किलोमीटर (26 मील) से अधिक दौड़ने के बराबर है, वह भी पूरे एक साल तक. बिना एक भी दिन छोड़े. चाहे बारिश हो, धूप हो, बीमारी या चोट ही क्यों न हो.
अपने असाधारण प्रयास के दौरान 45 वर्षीय ब्राज़ीली कारोबारी ह्यूगो ने एक मेडिकल स्टडी में हिस्सा लिया. जिसमें यह देखा गया कि इतनी बड़ी कोशिश के दौरान उनके हृदय पर क्या असर पड़ेगा.
इस दौरान उन्होंने 12 महीनों में 15,000 किलोमीटर की दौड़ पूरी की.
उन्होंने कहा, "मैं कोई बड़ा खिलाड़ी नहीं था. मैंने ज़िंदगी में सिर्फ़ एक मैराथन दौड़ी थी."
"लेकिन एक नई कहानी लिखने की इच्छा और खेल के ज़रिये असर छोड़ने की चाहत मेरे अंदर बढ़ती गई.''
अलग राह पकड़ने का जुनूनइस चुनौती के लिए उन्होंने अपना काम छोड़ दिया. दरअसल इस फ़ैसले के लिए उनकी अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी से बढ़ती असंतुष्टि ज़िम्मेदार थी.
ह्यूगो ने बीबीसी न्यूज़ ब्राज़ील से कहा, "एक समय ऐसा आया जब मैंने रुककर सोचा कि क्या मैं सिर्फ़ इसी के लिए पैदा हुआ हूं? क्या मुझे यही रूटीन 35 या 40 साल तक दोहराते रहना है?"
वह कहते हैं, ''हम बचपन से ही सीखते हैं कि 18 साल की उम्र से पहले करियर चुनो. स्थिरता तलाशो, परिवार बसाओ और रिटायरमेंट की तैयारी करो.''
"लेकिन मैंने महसूस किया कि मैं इससे कुछ ज़्यादा कर सकता हूं. लोगों को किसी अलग तरीक़े से प्रेरित कर सकता हूं.''
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उन्हें ब्राज़ीली नाविक एमिर क्लिंक से प्रेरणा मिली, जिन्होंने 1984 में दक्षिण अटलांटिक को नाव से पार किया था.
ह्यूगो ने कहा, "लेकिन मैंने सोचा कि मैं नाव चलाने की जगह दौड़ूंगा.''
ह्यूगो अपनी एक छाप छोड़ना चाहते थे, इसलिए उन्होंने एक ऐसी चुनौती खोजी जिसका पहले किसी ने सामना नहीं किया था.
उन्हें पता चला कि बेल्जियम के एथलीट स्टेफ़ान एंगेल्स पहले ही एक साल में 365 मैराथन दौड़ चुके हैं. इसके बाद ह्यूगो ने तय किया कि वह एक दिन और एक मैराथन और ज़्यादा दौड़ेंगे.
आठ महीनों तक ह्यूगो ने एक बेहद बारीक योजना बनाई, जिसमें लॉजिस्टिक्स, ट्रेनिंग और कई पेशेवरों का सहयोग शामिल था.
उन्होंने कहा, "मुझे पता था कि मैं अकेले ये नहीं कर सकता. मैंने अलग-अलग जानकारी रखने वाले लोगों की टीम बनाई. इसमें डॉक्टर, खेल विशेषज्ञ जैसे कोच और फिज़ियोथेरेपिस्ट और मनोवैज्ञानिक शामिल थे.''
उन्होंने कहा, ''मैंने एक अच्छी-ख़ासी नौकरी को पूरी तरह अनिश्चित चीज़ के लिए छोड़ दिया. ज़ाहिर है इससे चिंता और असुरक्षा पैदा होती है. इसलिए किसी पेशेवर की स्वतंत्र सोच मेरी मदद करती ताकि बोझ हल्का हो और फ़ोकस बना रहे.''
ह्यूगो ने जिन संस्थानों को इसमें हिस्सा लेने के लिए बुलाया उनमें से एक था- साओ पाउलो का हृदय संस्थान इनकोर.
ह्यूगो ने बताया, ''मैंने उनसे पूछा कि क्या वे सहयोग करेंगे ताकि यह अध्ययन किया जा सके कि मेरे हृदय ने इस चुनौती पर कैसी प्रतिक्रिया दी. इसका आकार बढ़ेगा या घटेगा. क्या उसमें धड़कन से जुड़ी गड़बड़ियां होंगी या कोई और बदलाव होगा. दरअसल मैं विज्ञान में भी कुछ योगदान देना चाहता था.''
हृदय रोग विशेषज्ञ और शोधकर्ता मारिया जानिएरे अल्वेस इस स्टडी प्रोजेक्ट में शामिल थीं.
उन्होंने कहा, "इसका दिल पर गहरा असर पड़ सकता था."
वैज्ञानिकों ने ह्यूगो के लिए सीमाएं तय कीं. इसके लिए व्यायाम की तीव्रता की जगह उसकी वॉल्यूम के आधार को तय किया गया. ताकि वह इस चुनौती को "हृदय संबंधी जोखिम के बिना" पूरा कर सकें.
ह्यूगो ने हर महीने एर्गोस्पायरोमेट्री (एक डायग्नोस्टिक प्रक्रिया जो व्यायाम के दौरान व्यक्ति की सांस और मेटाबोलिज़्म का मूल्यांकन करती है) और हर तीन महीने में इकोकार्डियोग्राम (दिल का अल्ट्रासाउंड) करवाया.
डॉ. अल्वेस ने कहा, "इसका मक़सद था हृदय के एडेप्टेशन की निगरानी रखना. बड़े स्तर पर भी और सूक्ष्म स्तर पर भी. और यह देखना कि फ़िज़िकल ट्रेनिंग के दौरान कहीं कोई गड़बड़ी, सकारात्मक बदलाव या नकारात्मक प्रतिक्रिया तो नहीं हो रही है.''
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ह्यूगो ने यह चुनौती 28 अगस्त 2023 को पूरी की.
उन्होंने कुल 15,569 किलोमीटर (9,674 मील) की दूरी तय करने में लगभग 1,590 घंटे लगाए.
और इस अद्भुत उपलब्धि के लिए उनका नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज़ हुआ.
दो बच्चों के पिता ह्यूगो हर दिन सुबह दौड़ते थे ताकि दिन के बाकी समय में वह अपने परिवार के साथ समय बिता सकें. शरीर को आराम दे सकें और मांसपेशियों को मज़बूत करने वाले व्यायाम पर ध्यान केंद्रित कर सकें.
वह लगभग हमेशा एक ही रूट पर दौड़ते थे. साओ पाउलो स्टेट के अमेरिकाना शहर में.
यह अध्ययन वैज्ञानिक पत्रिका- आरक्यिवोस ब्रासिलिरोस डी कार्डियोलॉजिया में छपा.
इस स्टडी में ये निष्कर्ष निकाला गया था कि इतने अधिक और लगातार व्यायाम के बावजूद दिल की मांसपेशियों को कोई नुक़सान नहीं हुआ था.
जो भी हृदय संबंधी परिवर्तन देखे गए वे शारीरिक रूप से उनके अनुकूल थे. यानी स्वाभाविक और स्वस्थ. ये किसी बीमारी के संकेत नहीं थे.
डॉ. अल्वेस ने कहा, "इस रिसर्च से ये साफ़ होता है कि अगर व्यायाम की तीव्रता मध्यम हो, तो हृदय को ज़्यादा एथलेटिक दबाव के अनुकूल बनाया जा सकता है."
स्पोर्ट्स कार्डियोलॉजिस्ट फ़िलिपो सैवियोली इस अध्ययन का हिस्सा नहीं थे. उन्होंने बीबीसी से कहा, ''इस स्टडी से ये आइडिया और भी मज़बूत होता है कि एक प्रशिक्षित एथलीट का दिल काफ़ी अधिक तनाव को सह सकता है. बशर्ते वह सुरक्षित तीव्रता की सीमा के भीतर हो और हर सेशन के बीच पर्याप्त विश्राम दिया गया हो."
उन्होंने कहा, ''ह्यूगो ने मध्यम तीव्रता से दौड़ लगाई. जिसमें उनकी औसत हृदय गति 140 बीपीएम (धड़कन प्रति मिनट) रही जो उनकी उम्र के अनुसार अनुमानित अधिकतम हृदय गति का लगभग 70 से 80 फ़ीसदी है. इससे वह एक सुरक्षित दायरे में रहा, जहां शरीर ऑक्सीजन के उपयोग और ऊर्जा उत्पादन के बीच संतुलन बनाए रख सकता है.''
डॉ. सावियोली के मुताबिक़, "इस रेंज में दौड़ने से दिल को होने वाले नुक़सान, जैसे कि सूजन या धड़कन संबंधी गड़बड़ी का ख़तरा कम होता है. भले ही रोज़ाना लंबे समय तक व्यायाम किया जाए."
उन्होंने यह भी बताया कि अगर ह्यूगो ने यह चुनौती उच्च तीव्रता वाले व्यायाम से पूरी करने की कोशिश की होती तो इसका नुक़सान हो सकता था. उन्होंने चेतावनी दी कि बिना ट्रेनिंग या डॉक्टरों की निगरानी के ऐसा करना ख़तरनाक हो सकता है.
उन्होंने कहा, ''इसमें काफ़ी जोखिम है. तैयारी के बिना गंभीर चोटों जैसे कि धड़कन की गड़बड़ी, सूजन या यहां तक कि अचानक मौत की आशंका होती है.''
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ह्यूगो के लिए इस अध्ययन का निष्कर्ष एक सुखद आश्चर्य की तरह रहा.
उन्होंने कहा, ''मैंने ऐसी फ़िटनेस हासिल की, जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी. मेरे लिए यह देखना कि इसका कोई नकारात्मक असर नहीं हुआ बेहद महत्वपूर्ण था."
लेकिन यह चुनौती बिना जोखिमों के नहीं थी.
उन्होंने कहा, ''मैंने सबकुछ झेला: ठंड, गर्मी, बारिश, ट्रैफिक, चोटें."
ह्यूगो को तीन बार डायरिया हुआ, जिनमें सबसे गंभीर बार पांच दिन तक चला.
वह कहते हैं, ''मेरा चार किलो वज़न घट गया था. मुझे अपनी डाइट और पानी की मात्रा को फिर से संतुलित करना पड़ा. लेकिन हम रुके नहीं."
लगभग 120वीं मैराथन के आसपास ह्यूगो को प्लांटर फैसाइटिस हो गया. इसमें पैर के तलवे सूज जाते हैं और दर्द होता है. ये लंबी दूरी के धावकों की आम समस्या है.
फिर करीब 140वीं मैराथन के दौरान उन्हें प्यूबेल्जिया हो गई. जिसे स्पोर्ट्स हर्निया भी कहते हैं. यह कमर और जांघ के बीच के हिस्से की चोट होती है, जो निचले पेट और भीतरी जांघ की मांसपेशियों और टेंडन (स्नायु) को प्रभावित करती है.
ह्यूगो ने इस अनुभव पर एक किताब लिखी है और वह अब भी दौड़ना जारी रखे हुए हैं.
उनकी अगली चुनौती है — पूरे अमेरिका महाद्वीप को दौड़कर पार करने वाला पहला व्यक्ति बनना.
यह यात्रा प्रुडहो बे, अलास्का से लेकर उशुआया,अर्जेंटीना तक होगी.
उन्होंने कहा, "इसका मक़सद दुनिया भर में शारीरिक गतिविधि के फ़ायदों को लेकर जागरूकता फैलाना है, और यह दिखाना है कि इंसान असाधारण चीज़ें करने में सक्षम है."
वह कहते हैं, ''हर किसी को रोज़ मैराथन दौड़ने की ज़रूरत नहीं है. लेकिन हर किसी को अपने भीतर की क्षमता पर सच्चा विश्वास ज़रूर होना चाहिए."
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