उत्तर प्रदेश के रायबरेली में एक दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या का मामला बीते एक सप्ताह से सुर्खियों में है.
युवक की पिटाई वाले कई वीडियो वायरल हैं और इनमें एक वीडियो में युवक कांग्रेस नेता राहुल गांधी को पुकारता नज़र आ रहा है.
इस घटना के बाद रायबरेली के सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी बयान जारी करते हुए राज्य की क़ानून व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं और मृतक के परिवार वालों से बात की है.
कांग्रेस के अलावा राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी भी इसको लेकर बीजेपी पर हमलावर है.
वहीं दूसरी ओर एक सप्ताह बीतने के बाद इस मामले में अब तक हुई कार्रवाई पर रायबरेली पुलिस अधीक्षक यश वीर सिंह ने बताया, "इस मामले में अभी तक नौ लोगों की गिरफ़्तारी हो चुकी है. पुलिस दस-पन्द्रह लोगों को चिन्हित कर कार्रवाई कर रही है. जिन्होंने अभियुक्तगणों को पनाह दी है उन्हें भी पुलिस ने गिरफ़्तार किया है और जो तमाशा देख रहे थे, उन्हें भी चिन्हित किया जा रहा है."
क्या है ये पूरा मामलाउत्तर प्रदेश के रायबरेली में दो अक्तूबर को एक दलित युवक हरिओम वाल्मीकि की पीट-पीट कर हत्या हुई. हरिओम वाल्मीकि रायबरेली के पड़ोसी ज़िले फतेहपुर के तुरवली का पुरवा के निवासी थे.
रायबरेली के पुलिस अधीक्षक यश वीर सिंह ने बताया कि हादसे के दिन गांव वालों ने चोरी के शक़ में युवक से मारपीट की थी.
उन्होंने कहा, "हरिओम थाना ऊंचाहार के ग्राम जमुनापुर में घूमता हुआ पाया गया. गांव वालों ने सोचा ये चोरी के उद्देश्य से गांव में घुसा है. इसी को लेकर भीड़ इकट्ठा हो गई और गांव के लोगों ने उसके साथ मार-पीट शुरू कर दी. वो खुद को एक्सप्लेन नहीं कर पाया और इससे लोगों को ज्यादा शक़ हुआ और लोगों ने उसको पीटना शुरू कर दिया था."
मृतक युवा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई है. इसके मुताबिक़ मौत की वजह रक्त स्राव और शॉक है. रिपोर्ट के मुताबिक सख़्त और गैर-धारदार सामान से हमला किया गया था.
जब हम हरिओम वाल्मीकि के घर पहुंचे तो देखा मां केवला देवी चारपाई पर बेसुध लेटी हैं और पिता गंगादीन वाल्मीकि पथराई आंखों से एक टक दरवाजे से आने-जाने वालों को निहार रहे हैं.
परिवार में दो बहनों के बीच हरिओम बड़े भाई थे जिसे अब परिवार ने खो दिया है. छोटा बेटा दिहाड़ी मजदूर है. पिता सदर अस्पताल में सफाईकर्मी थे और अब रिटायर हैं और घर में एक छोटी किराना दुकान चलाते हैं.
हरिओम वाल्मीकि की पत्नी पिंकी लगभग दस साल से ऊंचाहार में अपने मायके में रहती हैं. जबकि हरिओम अपनी बेटी और पत्नी से मिलने फतेहपुर से ऊंचाहार जाते रहते थे.
हरिओम की पत्नी पिंकी ने ही फोन कर लोगों को घटना की जानकारी दी.
हरिओम वाल्मीकि की बहन कुसुम वाल्मीकि ने बीबीसी को बताया, "2 अक्टूबर की सुबह दस बजे ऊंचाहार से भाभी का फोन आया उन्होंने बताया तुम्हारे भइया को लोगों ने बांध कर मारा और उनकी मौत हो गई है. तब मैंने पापा को बताया और पापा फतेहपुर से ऊंचाहार के लिए निकल गए."
गंगादीन वाल्मीकि बताते हैं, 'मैं अकेले सवारी लेकर पहले गदागंज थाने के तहत आने वाले उस ढाबे पर पहुंचा जहां उसी रात घटना से कुछ देर पहले हमारे बेटे को भीड़ ने पकड़ कर 112 नम्बर डायल कर पुलिस को बुला लिया था. वहां मुझे ढाबे वाले ने एक वीडियो दिखाया जिसमें मेरा बेटा सही सलामत नज़र आ रहा था लेकिन दूसरे वीडियो में उसके गले पर पैर रख कर और उसके दोनों पैर फैलाकर पीटा जा रहा था."
उन्होंने कहा, "वहां से मैं सीधा ऊंचाहार थाने पर पहुंचा जहां हमारे बेटे की लाश पड़ी थी. मैं अपने बेटे का शरीर देख कर बेचैन हो गया. मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था कि मैं क्या करूं."
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हरिओम वाल्मिकी को सबसे पहले रायबरेली के थाना गदागंज के एक ढाबे पर भीड़ ने चोर होने के शक में पकड़ा था. वहां ढाबा मालिक दिनेश कुमार ने 112 डायल कर पुलिस को बुला लिया था.
दिनेश कुमार बताते हैं, "एक अक्तूबर की रात लगभग दस बज रहे थे. आस-पास गांव के लगभग पचास लोगों की भीड़ ने उसे (हरिओम वाल्मीकि) घेर लिया था. वह अपना पता ठीक-ठीक नहीं बता पा रहा था. हमारे ढाबे पर बैठे एक ग्राहक ने 112 डायल कर पुलिस को बुला लिया था. पुलिस ने भीड़ को समझा-बुझा कर उसे यहां से छुड़ा दिया लेकिन अपने साथ थाने नहीं ले गई."
उन्होंने यह भी बताया, "वह लड़का (हरिओम वाल्मीकि) पैदल ही ऊंचाहार की तरफ निकल गया. लगभग 12 किलोमीटर आगे दूसरे गांव जमुनीपुर की भीड़ ने रात लगभग डेढ़ बजे उसे चोर समझ कर पकड़ लिया और घटना को अंजाम दिया."
पुलिस पर क्यों उठ रहे हैं सवाल?बीबीसी के पास घटना की रात से जुड़े लगभग पन्द्रह वीडियो मौजूद हैं, जो वायरल हो रहे हैं.
वीडियो की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हो सकी है, लेकिन इन वीडियो को सोशल मीडिया पर घटना वाली रात के वीडियो के तौर पर शेयर किया जा रहा है.
एक वीडियो में हरिओम वाल्मीकि भीड़ के बीच नज़र आ रहे हैं जिसमें पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है.
परिजन पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए हरिओम की मौत का जिम्मेदार पुलिस प्रशासन को ठहरा रहे हैं.
हरिओम वाल्मीकि के मामा भक्तदास बीबीसी से कहते हैं, "ढाबे वाले ने पुलिस को बुलाया और कुछ वीडियो में पुलिस पूछताछ करती नज़र भी आ रही है. पुलिस को चाहिए था कि वह उसे उसकी ससुराल या थाने पर ले जाती लेकिन उन्होंने उसे गांव वालों के हवाले छोड़ दिया. आगे जा कर घटना हो गई. अगर पुलिस उसे थाने पर ले गई होती तो उसकी जान बच जाती."
इस पहलू पर ज़िला पुलिस अधीक्षक यश वीर सिंह ने कहा, "प्रथमदृष्टया पांच पुलिसकर्मियों की जवाबदेही तय करते हुए निलंबित किया गया है. थानाध्यक्ष को सस्पेंड भी किया गया है. वरिष्ठ अधिकारी इस मामले में लगातार नज़र बनाये हुए निष्पक्ष और कठोर कार्रवाई के निर्देश हैं."
क्या हरिओम की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी?क्या हरिओम की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी?
घटना के बाद से सोशल मीडिया पर हरिओम की मानसिक स्थिति को लेकर तरह-तरह की चर्चा हो रही है.
हमने जब परिवार और मोहल्ले में हरिओम को जानने वालों से बात की तो पता चला कि हरिओम अवसाद से ग्रसित थे और उनका इलाज बरेली के मनोचिकित्सा अस्पताल में चल रहा था.
पिता गंगादीन वाल्मीकि बताते है, "हम बेटे को पहले नागपुर में दिमाग के डॉक्टर को दिखा रहे थे फिर बरेली में दिखाना शुरू किया था. अब उसकी दिमागी हालत ठीक रहने लगी थी. मेरा बेटा मेरे साथ घर पर किराने की दुकान पर बैठता था. कुछ साल पहले तक वह प्राइवेट अस्पताल में एंबुलेंस भी चलाता था."
वहीं हरिओम वाल्मीकि की पत्नी पिंकी पति से अलग रहने का कारण भी उनके मानसिक स्थिति ठीक न होना बताती हैं.
पिंकी बताती हैं, "मेरी बेटी जब पैदा हुई उसके बाद मैं फतेहपुर से ऊंचाहार अपने मायके आ गई. उनका दिमाग़ी संतुलन ठीक नहीं रहता था, वो कुछ कमाते नहीं थे. लेकिन हमारे बीच कोई तलाक नहीं हुआ था. पर वो यहां बीच-बीच में आते जाते रहते थे."
मानसिक समस्याओं का इलाज दवा और थेरेपी से संभव है. इसके लिए आपको मनोचिकित्सक से मदद लेनी चाहिए, आप इन हेल्पलाइन से भी संपर्क कर सकते हैं-
सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय की हेल्पलाइन- 1800-599-0019 (13 भाषाओं में उपलब्ध)
इंस्टीट्यूट ऑफ़ ह्यमून बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेज़- 9868396824, 9868396841, 011-22574820
हितगुज हेल्पलाइन, मुंबई- 022- 24131212
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस-080 - 26995000
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स्थानीय पुलिस के मुताबिक मृतक के साथ मारपीट करने वालों में कई जातियों के लोग शामिल हैं.
पुलिस ने जिन नौ लोगों को गिरफ़्तार किया है, उनके नाम हैं- वैभव सिंह, विपिन मौर्य, विजय कुमार, सहदेव, सुरेश कुमार, शिव प्रसाद अग्रहरि, सुरेश गुप्ता, लल्ली पासी और आशीष पासी.
पुलिस घटना में संलिप्त अन्य लोगों के बारे में पूछताछ कर रही है. इसलिए स्थानीय स्तर पर कोई भी इस मुद्दे पर बात करने से बचना चाहता है. इन परिवारों के लोग इस मुद्दे पर अपने परिजन को बेकसूर बताते हैं.
गिरफ़्तार विजय कुमार की पत्नी सुनीता अपने पति को निर्दोष बताती हैं.
उन्होंने बताया, "गुरुवार को भोर में तीन बजे पुलिस आई और हमारे पति को गिरफ्तार कर ले गई. हमारे पति थे ही नहीं तो हम कैसे बताएं कौन मारा-पीटा? हमारे पति वहां गए नहीं थे. घर पर सो रहे थे."
गिरफ़्तार सहदेव की पत्नी मंजू पासी कहती हैं, ''मेरे पति जमुनापुर में आलमारी बनाने का काम करते हैं. उन्हें गुरुवार को सुबह तीन बजे पुलिस पकड़ ले गई. जब वहां से लोग चोर-चोर कहते हुए बांध कर लाए तब हमारे पति घर पर सो रहे थे. मेरे पति को जानबूझकर फंसाया जा रहा है."
अन्य अभियुक्तों के परिजन भी अपने निर्दोष होने की इसी तरह की दलीलें दे रहे हैं लेकिन वहीं पुलिस का दावा है कि वह वीडियो में दिख रहे लोगों को गिरफ़्तार कर रही है.
वायरल वीडियो के बाद गरमाई राजनीतिहरिओम वाल्मीकि की पिटाई के कई वीडियो वायरल होने के बाद मामले ने तूल पकड़ा. वायरल वीडियो में भीड़ बुरी तरह हरिओम को बेल्ट और डंडों से पीटती हुई दिख रही है.
एक वीडियो में हरिओम वाल्मीकि अचेत अवस्था में अपनी मां और रायबरेली से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को पुकारते नज़र आ रहे हैं.
मृतक के बहनोई पंकज सागर हरिओम वाल्मीकि के अंतिम समय में राहुल गांधी का नाम लेने के सवाल पर कहते हैं, "हमारे साले को जब मार पड़ रही थी तो उन्होंने सोचा होगा कि रायबरेली में हूँ राहुल गांधी का नाम ले लूं तो शायद पाब्लिक को दया आ जाए. वीडियो देख लेते हैं तो रात में नींद नहीं आती है. हम लोग मजदूर लोग हैं हमारे साथ ये सब होगा तो हम क्या करेंगे?"
उन्होंने राहुल गांधी से फोन पर बात होने की बात बताते हुए कहा, "रात में साढ़े नौ बजे किसी का कॉल आया. बोले राहुल गांधी बोल रहा हूँ. उन्होंने कहा बाहर हूँ इसलिए आ नहीं पा रहा हूँ. बोले कि आपको न्याय दिलाएंगे और कंधे से कंधा मिला कर चलेंगे."
राहुल गांधी इस मामले में यूपी सरकार की क़ानून-व्यवस्था और उत्तर प्रदेश में कथित तौर पर बढ़ते दलित उत्पीड़न को लेकर लगातार सवाल उठा रहे हैं.
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "रायबरेली में दलित युवक हरिओम वाल्मीकि की निर्मम हत्या सिर्फ़ एक इंसान की नहीं इंसानियत, संविधान और न्याय की हत्या है. आज भारत में दलित, आदिवासी, मुसलमान, पिछड़े और ग़रीब हर उस व्यक्ति को निशाना बनाया जा रहा है, जिसकी आवाज़ कमजोर है, जिसकी हिस्सेदारी छीनी जा रही है, और जिसकी ज़िंदगी सस्ती समझी जाती है."

रायबरेली कांग्रेस जिलाध्यक्ष पंकज तिवारी ने कहा, "देशभर में अराजकता का माहौल है. इस सरकार ने लोगों के भीतर जहर भर दिया है. क़ानून से डर नाम की चीज नहीं बची है. उसका असर पूरे देश में देखने को मिल रहा है."
समाजवादी पार्टी ज़िलाध्यक्ष वीरेंद्र यादव इसे डबल इंजन सरकार की नाकामी और लापरवाही मानते हैं.
उन्होंने कहा, "जिस तरह उस युवक को चार घंटे तक पीटा गया. ऐसा अमानवीय कृत्य शायद ही किसी समाज में होता हो. जिसे पीटा गया वह दलित परिवार का था इसलिए सरकार की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है."
इस घटना पर बीजेपी के उत्तर प्रदेश पर विधान परिषद के सदस्य और डॉ. भीमराव अंबेडकर महासभा के अध्यक्ष डॉक्टर लालजी निर्मल कहते हैं, "रायबरेली प्रकरण में एफ़आईआर दर्ज की जा चुकी है. सरकार ने तो तुरंत कार्रवाई की. अनुसूचित जातियों के प्रति संवेदनहीनता बढ़ती जा रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई बार मंचों से कहा है कि दलितों पर अन्याय करने वालों के ख़िलाफ़ ऐसी कर्रवाई करेंगे कि कई पीढ़ियां याद रखेंगी."
फतेहपुर बहुजन समाज पार्टी के जिलाध्यक्ष वीर प्रकाश लोधी ने कहा, "भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा और अल्पसंख्यक को मोहरा बना रही है. पीड़ित परिवार को एक करोड़ रुपया मिलना चाहिए. माता-पिता को पेंशन मिलना चाहिए. हरिओम की बेटी को नौकरी मिलनी चाहिए."
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