'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले राष्ट्र को संबोधित किया. इसके बाद वे पंजाब के आदमपुर स्थित वायुसेना स्टेशन गए. इस यात्रा का कार्यक्रम बेहद गोपनीय रखा गया था.
आदमपुर में प्रधानमंत्री भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के सैनिकों और वरिष्ठ अफ़सरों से मिले और उन्हें संबोधित किया.
अपने भाषण में उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि 'आतंक के आकाओं को समझ में आ गया है कि भारत की ओर नज़र उठाने का एक ही अंजाम होगा-तबाही.'
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा, "आतंक के विरुद्ध भारत की लक्ष्मण रेखा एकदम स्पष्ट है. अब टेरर अटैक हुआ तो भारत और पक्का जवाब देगा. ये हमने सर्जिकल स्ट्राइक में देखा, एयरस्ट्राइक में देखा और अब तो ऑपरेशन सिंदूर भारत का न्यू नॉर्मल है.''
आदमपुर एयरबेस
जब प्रधानमंत्री भाषण दे रहे थे तो तस्वीरों में उनके पीछे भारत की एस-400 वायु रक्षा प्रणाली और मिग-29 लड़ाकू विमान देखे जा सकते थे.
यह तस्वीर इस बात की ओर इशारा करती है कि प्रधानमंत्री ने सैनिकों के बीच जाने के लिए आदमपुर को क्यों चुना.
आदमपुर भारत का दूसरा सबसे बड़ा एयरबेस है. यह अंतरराष्ट्रीय सीमा से नज़दीक है.
आदमपुर की रडार और निगरानी क्षमता पंजाब, जम्मू - कश्मीर और राजस्थान के कुछ हिस्सों सहित उत्तर भारत के विशाल हिस्सों को कवर करती है. इसने 'ऑपरेशन सिंदूर' और पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कार्रवाई के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
नौ और 10 मई के बीच, आदमपुर एयरबेस को सीमा पार से निशाना बनाने की कोशिश की गई थी. भारत ने कहा कि इसे नाकाम कर दिया गया था.
प्रधानमंत्री के आदमपुर जाने की वजहों को समझने के लिए बीबीसी ने सुरक्षा और राजनीतिक विश्लेषकों से बात की. उन्होंने इसकी तीन वजहें बताईं.
भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष के दौरान सोशल मीडिया पर पाकिस्तान की तरफ़ से अफ़वाहें उड़ीं कि उसकी मिसाइलों ने आदमपुर में वायु रक्षा प्रणाली को निशाना बनाया है. भारत ने इसका ज़ोरदार खंडन किया.
रक्षा और रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) एसवीपी सिंह के अनुसार, पाकिस्तान की ग़लत सूचनाओं का सीधे जवाब देने के लिए प्रधानमंत्री ने आदमपुर का चुनाव किया.
मेजर जनरल सिंह ने बीबीसी को बताया, "आदमपुर में प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी महज प्रतीकात्मक नहीं थी. यह रणनीतिक तौर पर एक सोचा-समझा जवाबी हमला था. इसके ज़रिए उन्होंने ग़लत सूचनाओं को खारिज किया. यही नहीं उन्होंने भारत के नए सिद्धांत को भी मज़बूती से सामने रखा. यह सिद्धांत सक्रिय रूप से कार्रवाई की है."
वह कहते हैं, "पाकिस्तान ने जिस एस-400 प्रणाली को नष्ट करने का दावा किया था, उसके सामने खड़े होकर पीएम मोदी ने संबोधित किया. इससे उन्होंने युद्ध की पूरी कहानी ही बदल दी. इसने जंग के दौरान चल रहे प्रोपैगंडा को पूरी तरह बदल दिया. यह भारत की विश्वसनीयता की जीत है. यह न केवल सेना बल्कि पूरे देश को विश्वास देती है."
'भारतीय वायुसेना की क्षमता का अहसास कराना'ऑपरेशन सिंदूर तीनों सेनाओं की सम्मलित कार्रवाई थी. हालाँकि, इसमें अहम भूमिका वायुसेना ने निभाई.
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अपने संबोधन के लिए एक एयरबेस का चुनाव, भारत की वायुसेना की क्षमता का अहसास कराने की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है.
रक्षा विशेषज्ञ लेफ़्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सतीश दुआ इसे "विजय यात्रा" के रूप में देखते हैं.
लेफ़्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) दुआ ने कहा, "उन्होंने एयरफ़ोर्स बेस इसलिए चुना क्योंकि वायुसेना ने बेहतरीन काम किया. यह (ऑपरेशन सिंदूर) सर्जिकल स्ट्राइक की तरह थल सेना का हमला नहीं था. इस बार वायुसेना ने नेतृत्व किया और मज़बूती से कमान संभाली."
दुआ ने कहा, "उन्होंने अपने इस दौरे के लिए एक फॉरवर्ड एयरबेस का चुनाव किया. यानी भारत और पाकिस्तान की सीमा के नज़दीक का एक एयरबेस. उन्होंने सीमा से काफ़ी दूर के एयरबेस का चुनाव नहीं किया."
मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) एसवीपी सिंह भी उनकी इस बात से सहमत हैं.
वे कहते हैं, "इससे यह एक संदेश दिया गया है कि भारत अब अपने सुरक्षित इलाक़ों से बात नहीं करता. यह अग्रिम पंक्ति से नेतृत्व करता है.''
विपक्षी दलों के लिए संदेशअमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने 'भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम में मध्यस्थता की है.'
इसके बाद विपक्ष ने ट्रंप के दावे का इस्तेमाल मोदी सरकार को निशाना बनाने के लिए किया.
राजनीतिक विश्लेषक चंद्रचूड़ सिंह दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर हैं. वे कहते हैं कि दुनिया को संदेश देने के अलावा प्रधानमंत्री ने भारत में राजनीतिक संदेश देने के लिए भी आदमपुर को चुना.
बीबीसी से बात करते हुए सिंह ने कहा, "विपक्ष के पास हमेशा एक मुद्दा बना रहेगा कि वह पलटकर पूछे कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत को कितना नुक़सान हुआ. आदमपुर का उदाहरण सामने लाकर प्रधानमंत्री यह संदेश दे रहे हैं कि भारत को हुए नुक़सान के सभी दावे झूठे हैं. उनकी वह तस्वीर इस संघर्ष में भारत के विजयी होने की कहानी को पुख़्ता करती है."
वे आगे कहते हैं, "राष्ट्रपति ट्रंप का बिना सीधे ज़िक्र किए, प्रधानमंत्री मोदी इस संघर्ष की अपनी कहानी स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने यह नहीं कहा कि ट्रंप ग़लत हैं. वे इस बात पर डटे हुए हैं कि संघर्ष विराम के लिए पाकिस्तान की ओर से पहले कॉल आया था. अगर यह कहानी लोगों के बीच कायम रही, तो विपक्ष बैकफ़ुट पर आ जाएगा. उन पर आरोप लगेगा कि उन्हें अपने देश की बात पर नहीं बल्कि अमेरिका की बात पर ज़्यादा भरोसा है.''
(बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित)
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