
पाकिस्तान के ख़ैबर पख्तूनख़्वाह के वज़ीरिस्तान में शनिवार को हुए एक आत्मघाती हमले में 13 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हो गई है.
पाकिस्तानी सेना के इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस यानी आईएसपीआर के मुताबिक़ चरमपंथियों ने मीर अली में विस्फोटकों से भरा एक वाहन सुरक्षा बलों के काफ़िले से टकरा दिया.
पाकिस्तानी सेना ने वज़ीरिस्तान में हुए इस आत्मघाती हमले के लिए भारत को ज़िम्मेदार ठहराया है. वहीं भारत के विदेश मंत्रालय ने इसे सिरे से ख़ारिज कर दिया है.
पाकिस्तान का उत्तरी वज़ीरिस्तान का दुर्गम और पहाड़ी जनजातीय क्षेत्र एक दशक से अधिक समय तक विद्रोही लड़ाकों का ठिकाना रहा है और यहां पाकिस्तानी सरकार से ज़्यादा क़बायलियों की पकड़ है.
'ब्लेम गेम खेल रहा है पाकिस्तान'
पाकिस्तान के वज़ीरिस्तान में हुए आत्मघाती हमले के लिए पाकिस्तानी सेना ने भारत को ज़िम्मेदार ठहराया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी इस आरोप पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है, "हमने पाकिस्तानी सेना का वह आधिकारिक बयान देखा है, जिसमें 28 जून को वज़ीरिस्तान में हुए हमले के लिए भारत को ज़िम्मेदार ठहराया गया है. हम इसे पूरी तरह से ख़ारिज करते हैं."
बीबीसी उर्दू के अनुसार पाकिस्तानी सेना के आईएसपीआर ने आरोप लगाया है, "यह हमला भारत प्रायोजित आतंकवादियों द्वारा किया गया था. घटना के बाद सुरक्षा बलों ने इलाके में चरमपंथियों का पीछा किया और इसी दौरान 14 चरमपंथियों की मौत हुई."
पाकिस्तान के इस आरोप को लेकर नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज में निदेशक तारा कार्था कहती हैं, "पाकिस्तान की आरोप लगाने की बहुत पुरानी आदत है. यह दुनिया भर के बुद्धिजीवी कहते हैं, पाकिस्तान अपनी गलती कभी भी नहीं मानता है और आरोप लगाता रहता है."
वह कहती हैं, "पाकिस्तान यह आरोप भारत पर इसलिए लगा रहा है जिससे वह पहलगाम हमले में अपनी भूमिका का बचाव कर सके. भारत ने पूरी दुनिया को ये सबूत दिया है कि पाकिस्तान ने ऐसे लोगों को शरण देकर रखा हुआ है, जिन्होंने पहलगाम में निर्ममता से महिलाओं के सामने पुरुषों की हत्या कर दी."
मिडिल ईस्ट इनसाइट्स प्लेटफ़ॉर्म की संस्थापक डॉक्टर शुभदा चौधरी भी कहती हैं, "पाकिस्तान का ये नैरेटिव हमेशा रहा है, जिसमें वह अपने अनरेस्ट को इंडिया पर ब्लेम करते हैं. ख़ासकर वो अनरेस्ट जो बॉर्डर रीज़न में होता है."
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वज़ीरिस्तान में अक्सर कहीं न कहीं से पाकिस्तानी सैन्य बलों पर हमले की ख़बर आ ही जाती है.
पाकिस्तान, अफ़ग़ान-तालिबान आंदोलन, अल-क़ायदा और हक्कानी नेटवर्क जैसे चरमपंथी गुट यहां लोगों को बंधक बनाने से लेकर अपने लड़ाकों को प्रशिक्षण देने का काम करते थे.
2017 में इस इलाके की कमान संभालने वाले पाकिस्तानी सेना के जनरल हसन अजहर हयात कहते हैं, "2014 से पहले उत्तरी वजीरिस्तान आतंकवादी गतिविधियों का केंद्र था. इन इलाकों में विरोध करने वालों से लड़ा गया और पूरी एजेंसी को साफ कर दिया गया."
तारा कार्था कहती हैं, "पाकिस्तान की यही सफ़ाई तो उसके लिए नुकसानदायक बन गई है. पाकिस्तान सेना ने हमारी तरह आतंकरोधी कार्रवाई नहीं की. उन्होंने इस इलाके में आर्टिलरी और विमान से बम बरसाए और इससे बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिकों की मौत हुई और इसके कारण यहां के लोग पाकिस्तान के ख़िलाफ़ हो गए."
वह कहती हैं, "पाकिस्तान भारत पर बिना किसी कनेक्शन के आरोप लगा रहा है लेकिन वज़ीरिस्तान में जो कुछ हो रहा है वह उनके निर्णयों का परिणाम है. वज़ीरिस्तान में पाकिस्तान जितना आतंकरोधी कार्रवाई करता है, दूसरी तरफ़ से वैसा ही जवाब भी आ रहा है. इसके कारण ही सुरक्षा बलों को बार-बार निशाना बनाया जाता है."
वह बताती हैं कि 1970 से यह मुजाहिदीन गतिविधियों का केंद्र है. अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ 1974 में यहीं से लड़ाई शुरू हुई. इसके बाद यहां विदेशी लड़ाके आ गए. इसमें जर्मनी और उज्बेकिस्तान के भी लड़ाके शाामिल थे. उत्तरी वज़ीरिस्तान में इस समय आतंकवादी गतिविधियां काफी तेज़ हो गई हैं.
वह कहती हैं, "ऐसे में जब कार्रवाई होगी तो वह भी इनके (पाकिस्तानी सेना के) ख़िलाफ़ जाएंगे. इसके अलावा सेना ने जो कार्रवाई पहले कर रखी है उसके ख़िलाफ़ लोग पहले से ही हैं. पख्तूनों ने कभी भी पाकिस्तान को अपना देश माना ही नहीं और पाकिस्तानी पंजाबियों से वह बहुत ही नफ़रत करते हैं."
डॉक्टर शुभदा चौधरी कहती हैं कि पाकिस्तान विक्टिम कार्ड खेलकर नहीं बच सकता है.
वह बताती हैं, "किसी भी क्षेत्र में इस तरह की घटनाओं की वजह सामाजिक-आर्थिक होती है. बलूचिस्तान और ख़ैबर पख्तूनख़्वाह के इलाका अब तक बेहतर नहीं हुआ है."
वह कहती हैं, "पाकिस्तान के इस क्षेत्र में जब तक मानवाधिकार का हनन, अवैध गिरफ़्तारियां और हत्याएं चलती रहेंगी, ये सिलसिला चलता रहेगा."
अंदरूनी राजनीति के लिए बाहरी दुश्मनवज़ीरिस्तान में हमले की जिम्दाेरी हाफ़िज़ गुल बहादुर समूह की आत्मघाती इकाई ने ली है और यह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से जुड़ा हुआ है.
अफ़ग़ानिस्तान में जब से तालिबान सत्ता में आए हैं, इसके बाद से बलूचिस्तान और ख़ैबर पख्तूनख़्वाह इलाके में हमले काफ़ी बढ़ गए हैं.
अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान की सीमा से सटे इलाकों में इस साल 290 से ज़्यादा सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं.
पाकिस्तान में लगातार आतंकी हमले हो रहे हैं. इस साल अप्रैल में 81 और मई में 85 आतंकी हमले हुए हैं.
डॉक्टर शुभदा चौधरी इसे एक और नज़रिए से देखती हैं.
वह बताती हैं कि पिछले दिनों पाकिस्तान ने दावा किया था कि वह आईसीबीएम बना रहा है. अमेरिका इसे लेकर चिंतित है. अमेरिका की चिंता का कारण पाकिस्तान को चीन से दिया जा रहा समर्थन है.
शुभदा बताती हैं, "पाकिस्तानी नैरेटिव मानते हैं कि अमेरिकी एजेंसियां पाकिस्तान को अस्थिर करना चाहती हैं. इसके लिए वह मिलिटेंट ग्रुप को सपोर्ट कर रहे हैं और क्षेत्रीय टकराव को भी अपने अनुसार मोड़ रहे हैं. जिससे चीन और पाकिस्तान को काउंटर किया जा सके."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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