सोमवार की शाम तक़रीबन 7 बजे जब दिल्ली में लाल क़िला मेट्रो स्टेशन के नज़दीक एक कार में धमाका हुआ तो इससे प्रभावित लोगों को यहां से महज़ दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित लोक नायक अस्पताल ले जाया गया.
अस्पताल के बाहर से लेकर इमरजेंसी वॉर्ड के बाहर तक हमें हर तरफ़ अफ़रा-तफ़री से भरा माहौल नज़र आया.
अस्पताल के इमरजेंसी ब्लॉक के बाहर जहां पुलिसबल और सुरक्षाकर्मियों की भारी तैनाती थी, वहीं इमरजेंसी वॉर्ड के बाहर अपनों की सुध लेने में जुटे परिजन.
हम लोक नायक अस्पताल आठ बजे के करीब पहुंचे थे. किसी भी मीडियाकर्मी को अंदर जाने की इजाज़त नहीं थी. कुछ मीडियाकर्मी एक एम्बुलेंस चालक से बात कर रहे थे.
वह कहते सुनाई दे रहे थे, ''वहां के माहौल को देखकर हमें नहीं लगता ये सीएनजी ब्लास्ट होगा. अगर होता तो एक गाड़ी में आग लगी होती, दस पंद्रह गाड़ियां आग में लिपटी नहीं नज़र आतीं. ये सभी गाड़ियां एक दूसरे से दूर खड़ी थीं."
- दिल्ली के लाल क़िला मेट्रो स्टेशन के नज़दीक सोमवार शाम को एक कार में धमाका हुआ.
- इस घटना में कम से कम आठ लोगों की मौत की पुष्टि दिल्ली पुलिस ने की है.
- गृह मंत्री अमित शाह ने इस घटना को लेकर बयान जारी किया है. साथ ही घटनास्थल और अस्पताल का दौरा किया है.
- दिल्ली के पुलिस कमिश्नर सतीश गोलचा ने बताया यह घटना सोमवार शाम 6.52 बजे की है जब रेड लाइट पर एक गाड़ी रुकी हुई थी.
- इस घटना की वजह से आसपास खड़े वाहन भी इसकी चपेट में आए थे.
हमने भी उनसे बात की. उनका नाम मोहम्मद असद है.
असद ने बीबीसी हिन्दी को बताया, '' हमें अस्पताल से बताया गया कि लाल क़िले के पास ब्लास्ट हुआ है और हमें अपनी गाड़ी लेकर वहां पहुंचना है. कॉल के बाद अस्पताल के बाहर खड़ी तक़रीबन आठ-दस एम्बुलेंस लोकेशन के लिए रवाना हो गईं. घटनास्थल पर हमें चार-पांच शव मिले, वो भी टुकड़ों में. जैसे शरीर का एक अंग कहीं पड़ा था, तो दूसरा कहीं और. हमने किसी तरह इन शवों के टुकड़ों को वहां से उठाया और लेकर अस्पताल आए. हमें वहां कोई घायल नहीं नज़र आया क्योंकि शायद वह पहले ही अस्पताल लाए जा चुके थे.''
इस बातचीत के थोड़े ही समय बाद अपने काफ़िले के साथ देश के गृह मंत्री अमित शाह हमें एलएनजेपी अस्पताल के अंदर जाते नज़र आए.
अस्पताल प्रशासन के ही एक स्टाफ़ ने नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर हमें बताया कि अमित शाह ने घटना में घायल लोगों से मुलाक़ात की. दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता भी प्रभावितों से मिलने अस्पताल पहुंचीं.
घायलों के रिश्तेदार परेशान
BBC पवन शर्मा के जीजा भवानी शंकर भी लाल क़िले के पास हुए धमाके में घायल हो गए थे
Getty इस बीच, घायलों के कुछ परिजन हमें अस्पताल के बाहर मिले. पवन शर्मा नाम के एक शख़्स ने हमें बताया कि उनकी बहन के पति यानी जीजा भवानी शंकर को फ़िलहाल अंदर अस्तपाल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती किया गया है लेकिन उनसे मिलने की इजाज़त नहीं मिल रही.
हमारी बात पवन के पिता से भी हुई, जो अस्पताल के मेन गेट के अंदर मौजूद थे. उन्होंने भी पुष्टि की कि घायलों से उनके परिजनों को मिलने नहीं दिया जा रहा है.
भवानी शंकर की हालत के बारे में बताते हुए पवन कहते हैं, "घटना जब हुई उसके थोड़े ही देर बाद मेरे जीजा की वीडियो कॉल आई थी. उनके चेहरे पर चोटें लगी हुई थीं और हाथ भी चोटिल था. वह ठीक से बोल भी नहीं पा रहे थे."
भवानी शंकर के रिश्तेदारों के मुताबिक़ वह लाल क़िले के इलाक़े में ही टैक्सी चलाया करते थे.
एक और परिजन राहुल भी अपने परिवार के एक शख़्स जोगिंदर से मिलने की जद्दोजहद में जुटे थे. जोगिंदर के बारे में बताते हुए वह कहते हैं, वह एक कैब ड्राइवर हैं. बहन को फ़ोन कर के शाम को उन्होंने बताया था कि उनकी तबीयत बिगड़ रही है और शायद कोई घटना घटी है. उसके बाद से उनके परिवार के लोगों के उनसे मिलने की इजाज़त नहीं मिली है.
'अस्पताल प्रशासन मिलने नहीं दे रहा'
BBC धमाके में सफ़ान नामक युवक भी घायल हो गया, उनके चाचा ताजुद्दीन उन्हें देखने अस्पताल पहुँचे घायलों में सफ़ान नाम के शख़्स भी शामिल हैं. उनसे मिलने के प्रयास में अस्पताल के भीतर-बाहर चक्कर काट रहे उनके चाचा ताजुद्दीन ने हमें बताया, ''वह 17 साल का है. जब कार धमाका हुआ तब वह कुछ ही सौ मीटर दूर वहां बैट्री रिक्शा से गुज़र रहे थे. उन्हें चोट आई है और उनके एक कान से सुनाई नहीं दे रहा. हालांकि वह कहते हैं कि अस्पताल प्रशासन किसी भी परिजन को घायलों से मिलने नहीं दे रहे."
ताजुद्दीन के मुताबिक़, अस्पताल प्रशासन का कहना है कि जब तक सभी मरीजों का ठीक से इलाज नहीं हो जाता, तब तक वह किसी को भी प्रभावितों से मिलने नहीं दे सकते.
अस्पताल के अंदर और इमरजेंसी वार्ड के बाहर की स्थिति का ब्योरा देते हुए वह हमें बताते हैं, ''हमारी ही तरह दूसरे और लोग भी हैं जो अपने घायल रिश्तेदार से मिलने के लिए परेशान हैं.''
'न्यूज़ में भाई की हालत देखी'
BBC पूर्णिमा जायसवाल अपने घायल भाई को देखने अस्पताल पहुँचीं थीं. अब तक रात के तक़रीबन साढ़े 11 बज चुके थे. हम किसी तरह अस्पताल के भीतर प्रवेश कर पाने में सफल हुए. यहां इमरजेंसी वार्ड के बाहर एक अफ़रा-तफ़री जैसा माहौल था.
पूर्णिमा जायसवाल नाम की महिला फूट-फूटकर रो रही थीं. थोड़ी ही देर पहले उन्होंने अपने भाई को घायल अवस्था में वार्ड के भीतर स्ट्रेचर पर जाते हुए देखा था.
वह कहती हैं, ''हमने सबसे पहले न्यूज़ में उसकी झलक देखी. गृहमंत्री अमित शाह उससे मिल रहे थे. वह घायल था. हम तुरंत अस्पताल के लिए निकले, अभी ठीक उसे बुरी अवस्था में अंदर जाते हुए देखा. वह मुझसे ही मिलकर निकला था.उसके नाक पर पट्टी लगी थी. हाथ और चेहरे पर भारी चोट नज़र आ रही थी.''
थोड़ी ही देर में हमें एक और महिला के रोने की चीखें सुनाई दीं. हमने देखा कि एक महिला वार्ड के अंदर से बाहर की ओर आ रही है. इन महिला ने धमाके में अपने भाई को खो दिया.
महिला के भाई का नाम मोहसिन मलिक था. वह लाल क़िले के इलाक़े में ही ई-रिक्शा चलाया करते थे. उनकी बहन को संभालने की कोशिश कर रहे शख़्स ने हमें बताया कि मोहसिन 28 साल का था. उसके दो बच्चे हैं. अस्पताल प्रशासन ने उनके परिवारवालों को बताया है कि वह अब इस दुनिया में नहीं रहे.
यहीं आसपास हमारी मुलाक़ात कुछ ऐसे लोगों से भी हुई जिनके रिश्तेदार चांदनी चौक के इलाक़े में ही थे लेकिन घटना के बाद से उनका फ़ोन स्विच ऑफ़ आ रहा है. न ही अस्पताल प्रशासन के पास ऐसे लोगों की कोई सूचना मौजूद है, न पुलिस.
अपनों की तलाश में अस्पताल पहुँचे
BBC इन्हीं में से एक संदीप अपने समधी लोकेश की तलाश में भटक रहे थे.
बीते दो घंटे से इमरजेंसी वार्ड के बाहर बैठे, वो हर वह प्रयास करते नज़र आते हैं, जिससे उन्हें अपने समधी लोकेश के बारे में कोई सुराग मिल पाए.
वह हमें बताते हैं, ''घटना के वक़्त दरअसल वह चांदनी पर अपने ही एक पारिवारिक ड्राइवर के इंतज़ार में थे. उन्हें उसी के साथ कहीं के लिए निकलना था. कार में धमाके की ख़बर आने के कुछ घंटे के बाद हमें पता चला कि मृत लोगों में उस ड्राइवर का भी नाम है. पर हमारे समधी की कोई ख़बर नहीं थी. हमने उनको फ़ोन किया पर फ़ोन पुलिस के पास है. पुलिस का कहना था कि घटनास्थल पर उन्हें यह फ़ोन मिला, लेकिन पुलिस को उनके बारे में कोई सूचना नहीं थी. पुलिस ने हमसे कहा कि हम एलएनजेपी अस्पताल में जाकर चेक करें. पिछले दो घंटे से यही हूं लेकिन यहां भी किसी को कोई ख़बर नहीं है.''
हमसे बात करते हुए ही संदीप को वार्ड के बाहर खड़े अस्पताल के स्टाफ़ ने कहा कि वह गेट नंबर चार पर जाएं क्योंकि वहीं से उन्हें कोई जानकारी मिल पाएगी.
हमारी आख़िरी बात उनसे रात तक़रीब ढाई बजे हुई थी. वह अस्पताल की मॉर्चरी के बाहर खड़े थे. उनसे अस्पताल वालों ने यहां शव की शिनाख़्त करने को कहा था.
रात दो बजे के ही क़रीब हमने अस्पताल के पीआरओ से दोबारा संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. आख़िरी बातचीत के मुताबिक़, अब तक घटना में आठ लोगों की मौत हो चुकी है और तीस से ज़्यादा लोग घायल हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
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