अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ईसाई धर्म और अपनी पत्नी ऊषा वेंस को लेकर एक कार्यक्रम में की गई टिप्पणी के बाद चर्चा में आ गए हैं.
दरअसल, जेडी वेंस यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिसिसिपी में चार्ली किर्क के सम्मान में आयोजित एक का हिस्सा बने.
इस दौरान एक महिला ने वेंस से ट्रंप प्रशासन की कड़ी माइग्रेशन पॉलिसी और उनके अपने अंतरधार्मिक परिवार को लेकर तीखे सवाल पूछे.
जवाब देते हुए जेडी वेंस ने ये कहा कि उनके तीनों बच्चों को ईसाई धर्म के अनुसार पाला जा रहा है और उन्हें उम्मीद है कि एक दिन उनकी पत्नी भी ईसाई धर्म को समझें.
ऊषा वेंस भारतीय मूल की हिंदू हैं.
कार्यक्रम के दौरान स्टूडेंट्स से संवाद करते हुए जेडी वेंस ने कहा, "मुझे ये मानने में कोई गलती नहीं लगती कि ईसाई मूल्य इस देश की महत्वपूर्ण नींव है."
उन्होंने कहा, "जो कोई ये कहता है कि उसका नज़रिया निष्पक्ष है, संभवत: उसके पास आपको बेचने के लिए कोई एजेंडा है. कम से कम मैं इस बात को ईमानदारी से स्वीकार करता हूं कि मेरा मानना है कि इस देश की ईसाई नींव एक अच्छी बात है."
जेडी वेंस के जवाब पर भारत में भी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. सोशल मीडिया यूज़र्स उनके पुराने बयान भी शेयर कर रहे हैं, जिसमें वह यह कह चुके हैं कि उनकी पत्नी को हर रविवार चर्च ले जाना उन्हें बुरा लगता है.
अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने क्या-क्या कहा?एक महिला ने जेडी वेंस से एक के बाद एक कई सवाल किए और इसी दौरान ये भी पूछा गया कि वे एक अंतरधार्मिक परिवार में कैसे रहते हैं. साथ ही इस महिला ने ये भी कहा कि वो ईसाई नहीं हैं लेकिन वो अमेरिका से उतना ही प्यार करती हैं जितना जेडी वेंस. लेकिन ईसाई होना इतनी बड़ी बात क्यों बन गया है.
महिला ने पूछा, "आपकी पत्नी अभी भी खुद को हिंदू कहती हैं. आप एक अंतरधार्मिक, अंतरनस्लीय परिवार में तीन बच्चे पाल रहे हैं. आप अपने बच्चों को ये कैसे सीखा पा रहे हैं कि वे आपके धर्म को अपनी मां के धर्म से आगे न रखें."
इस पर वेंस ने बताया कि उनके दो बड़े बच्चे क्रिश्चयन स्कूल जाते हैं और उनके आठ साल के बेटे ने पिछले साल अपना पहला कम्युनियन (चर्च में होने वाला एक समारोह) अटैंड किया था.
उन्होंने कहा, "अब अधिकतर रविवारों को ऊषा मेरे साथ चर्च जाती हैं. जैसा कि मैं उनसे सार्वजनिक तौर पर भी कह चुका हूं, और अब मैं ये अपने 10 हज़ार करीबी दोस्तों के सामने कहूंगा कि मुझे उम्मीद है कि आख़िरकार, वह (ऊषा) भी चर्च में उस चीज़ से प्रभावित होंगी, जिससे मैं हुआ."
"हाँ ईमानदारी से कहूंगा कि मैं ऐसा चाहता हूं. क्योंकि मैं ईसाई धर्म में विश्वास रखता हूं और उम्मीद करता हूं कि मेरी पत्नी भी इसी नज़रिए से देखे. लेकिन अगर वो ऐसा नहीं करती तो भी कोई समस्या नहीं, क्योंकि ईश्वर कहते हैं कि सबकी अपनी मर्ज़ी है."
इस कार्यक्रम के दौरान जेडी वेंस ने ये भी कहा कि ऊषा वेंस हिंदू परिवार में पली-बढ़ीं लेकिन उनका परिवार धार्मिक नहीं था.
उन्होंने कहा, "मैं जब अपनी पत्नी से मिला, तब मैं खुद को नास्तिक मानता था और वो भी अपने बारे में यही सोचती थीं."
जेडी वेंस के इस बयान के बाद अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही है. इसी कड़ी में पूर्व राजनयिक और विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने भी एक्स पर एक पोस्ट किया है.
उन्होंने वेंस का वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "वह (वेंस) उन्हें (ऊषा) एग्नॉस्टिक कहते हैं. मानों उनकी हिंदू पहचान स्वीकार करने से डरते हों. आख़िर धार्मिक आज़ादी की सारी बातें कहां चली गईं? "
उन्होंने लिखा, "वह जिस देश में बैठे हैं, वहां यूएस कमीशन ऑफ़ इंटरनेशनल रिलीजियस फ़्रीडम (यूएससीआईआरएफ़) जैसी संस्था है. भलाई की शुरुआत घर से होनी चाहिए."
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कुछ महीने पहले ही मेगन मकेन के पॉडकास्ट में ऊषा वेंस ने भी ये बताया था कि एक अंतरधार्मिक परिवार में उनके बच्चे कैसे पल रहे हैं.
इस पॉडकास्ट में ऊषा ने कहा था कि उनके बच्चे कैथोलिक स्कूल में जाते हैं. उन्होंने कहा कि बच्चे हिंदू धर्म से, परंपराओं से भी अछूते नहीं है.
इसी में ऊषा ने बताया था कि जब वह येल यूनिवर्सिटी में पढ़ते समय जेडी वेंस से मिली थीं, तब जेडी वेंस ईसाई नहीं थे.
उन्होंने कहा, "जब मैं जेडी से मिली तो वह कैथोलिक नहीं थे वे बाद में कनवर्ट हुए. और जब हुए तो हमने इस बारे में बहुत बातचीत की. जब आप ईसाई धर्म अपनाते हैं तो इसके साथ कई अहम ज़िम्मेदारियां आती हैं. जैसे अपने बच्चे को उसी आस्था के साथ पालना. हमें इस बारे में कई गंभीर चर्चाएं करनी पड़ीं कि ये सब कैसे किया जाए. क्योंकि मैं कैथोलिक नहीं हूं और मेरा धर्म परिवर्तन करने या ऐसा कुछ करने का कोई इरादा नहीं है."
पिछले साल हुए राष्ट्रपति चुनाव से पहले खुद जेडी वेंस भी कई बार अपने और अपनी पत्नी के धर्म के बारे में अपनी राय रख चुके हैं.
फॉक्स न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में जेडी वेंस ने बताया था कि वह साल 2018 में ईसाई धर्म की दीक्षा ली और उन्होंने इसमें मदद के लिए अपनी पत्नी का शुक्रिया कहा था.
इस इंटरव्यू में वह कहते हैं, "मैंने कभी दीक्षा नहीं ली. मैं ईसाई के तौर पर बड़ा हुआ लेकिन बैपटाइज़ नहीं हुआ था. मेरा बैपटिज़्म 2018 में हुआ. ऊषा गै़र-ईसाई के तौर पर बड़ी हुई हैं. लेकिन मुझे याद है कि जब मैं अपने धर्म से फिर से जुड़ा तो ऊषा ने बहुत साथ दिया."
इसी इंटरव्यू में ऊषा ने बताया कि वह एक धार्मिक परिवार में पली बढ़ी हैं और अपने माता-पिता के प्रभाव की वजह से ही उन्होंने अपने पति के सफ़र में उनका साथ दिया.
ऊषा ने कहा, "मेरे माता-पिता हिंदू हैं और ये एक वजह है जो उन्हें बहुत अच्छा अभिभावक और अच्छा इंसान बनाती है. मैंने इसकी ताक़त खुद अपने जीवन में देखी है."
वहीं, एक अन्य इंटरव्यू में वेंस ने ये कहा था कि उन्हें अपनी हिंदू पत्नी को हर रविवार चर्च ले जाने में बुरा महसूस होता है.
इन पुराने बयानों के वीडियो शेयर करते हुए चंद्र आर. श्रीकांत नाम की एक सोशल मीडियायूज़र लिखती हैं, "ऊषा पहले: मैं एक धार्मिक परिवार में बड़ी हुई. मेरे पैरेंट्स हिंदू थे, और यही बात उन्हें अच्छा माता-पिता और इंसान बनाती है. जेडी अब: वह हिंदू परिवार में बड़ी हुईं लेकिन यह परिवार धार्मिक नहीं था और ऊषा भी नास्तिक थीं. क्या इंसान है."
वहीं, एक और यूज़र ने लिखा, "भारत को अक्सर असहिष्णुता के नाम पर पश्चिमी गुटों की ओर से शर्मिंदा किया जाता है. लेकिन विडंबना देखिए, भारत में कभी भी उपराष्ट्रपति अपने जीवनसाथी को सार्वजनिक रूप से यह नहीं कहेगा कि वह बहुसंख्यक धर्म अपना ले. "
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ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका में विदेशी लोगों को लेकर कई कदम उठाए हैं. एच-1बी वीज़ा की फ़ीस में बढ़ोतरी, एम्प्लॉयमेंट ऑथराइज़ेशन डॉक्यूमेंट्स का ऑटोमेटिक अपडेशन रोकना और यूनिवर्सिटीज़ में विदेशी स्टूडेंट्स के दाख़िले से जुड़ी कई पाबंदियां लगाई हैं.
जेडी वेंस से ईसाई धर्म पर सवाल करने वाली महिला ने ही ये भी पूछा, "जब आप ये कहते हैं कि अमेरिका में बहुत सारे इमिग्रेंट्स यानी अप्रावासी हो गए हैं तो आप क्या कहना चाहते हैं? आपने कब ये संख्या तय की? और आपने हमें ये सपना क्यों बेचा? आपने हम पर एहसान नहीं किया, हमने यहां रहने के लिए कड़ी मेहनत की है. पैसे दिए हैं. तब आप एक उपराष्ट्रपति के तौर पर ये कैसे कह सकते हैं कि अब यहां बहुत से इमिग्रेंट्स हैं और हम उन्हें बाहर करेंगे."
इस पर जेडी वेंस ने कहा, "मेरा मानना है कि अमेरिका को प्रवासियों की संख्या कम करनी चाहिए. लेकिन अगर अमेरिका ने कोई क़ानून पास किया है और वादा किया है तो बेशक हमें उसे वादे का सम्मान करना चाहिए. मैं उन लोगों के लिए कह रहा था जो अवैध रूप से अमेरिका आए हैं और मैं भविष्य में प्रवासियों की संख्या कम करने की बात कर रहा था."
हालांकि, महिला ने बीच में वेंस को रोकते हुए कहा, "आप कह रहे हैं कि वैध तरीके से आए लोगों को बाहर नहीं किया जा रहा है लेकिन आप ऐसी नीतियां थोप रहे हैं जो हमें नुकसान पहुंचा रही हैं. ये नीतियां समस्याओं को हल भी नहीं कर रहीं, बल्कि और बेचैनी बढ़ा रही हैं."
इसके बाद वेंस ने कहा, "मैं ये मान सकता हूं कि अमेरिका को भविष्य में प्रवासियों की संख्या घटानी चाहिए. और वैध तरीके से आए लोगों का सम्मान भी किया जाना चाहिए. लेकिन सिर्फ़ इसलिए कि एक व्यक्ति, या 10 या 100 व्यक्ति वैध रूप से आए और वे अमेरिका को बनाने में योगदान दे रहे हैं, इसका मतलब ये नहीं कि हम भविष्य में एक करोड़ या 10 करोड़ लोगों को यहां बसाने के लिए प्रतिबद्ध हैं? नहीं, ये सही नहीं."
उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया से कई लोग अमेरिका आना चाहते हैं और उपराष्ट्रपति होने के नाते मेरा काम दुनियाभर के बारे में सोचना नहीं बल्कि अमेरिका के लोगों के बारे में सोचना है.
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जेडी वेंस ने भारतीय मूल की ऊषा चिलुकुरी से साल 2014 में शादी की थी.
दोनों की मुलाक़ात साल 2013 में येल यूनिवर्सिटी में हुई थी. ऊषा और जेडी के तीन बच्चे हैं. ईवान, विवेक और मीराबेल.
ऊषा के मां-बाप आंध्र प्रदेश से अमेरिका जाकर बसे थे. ऊषा सैन डियागो में पली बढ़ीं.
ऊषा का बैकग्राउंड अपने पति से काफ़ी अलग था. ऊषा ने येल से ग्रैजुएशन की पढ़ाई पूरी की और फिर कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से मास्टर डिग्री की.
वो सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स की क्लर्क के तौर पर भी काम कर चुकी हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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