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दैनिक आहार में श्रीअन्न का उपयोग शरीर को रखता है स्वस्थ

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पुदुक्कोट्टई, 20 अक्टूबर (हि.स.)। मोटे अनाज (श्रीअन्न) का उपयोग स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जबसे इसके उपयोग को लेकर देश की जनता से अपील है तब से इसके मार्केट में भी तेजी आई है। इससे कई प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन के साथ-साथ स्नैक्श (नाश्ता) भी तैयार किया जाने लगा है। इसके कारण मोटे अनाज को उगाने वाले किसानों की आय में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

तमिलनाडु के पुदुक्कोट्टई में पुदुक्कोट्टई ऑर्गेनिक एग्रीकल्चर प्रोडक्शन कंपनी ऐसे स्नैक्स (नाश्ता) तैयार करके बेच रही है जिन्हें हर कोई खा सके, जिनमें रागी, बाजरा, काकुम (कंगनी) और अन्य अनाज शामिल हैं। इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। केंद्र सरकार श्रीअन्न को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम भी चला रही है।

प्रधानमंत्री मोदी पिछले कुछ समय से भाजपा सांसदों से देशभर में श्रीअन्न (मोटे अनाज) को बढ़ावा देने की अपील कर रहे हैं। इससे छोटे और सीमांत किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। बजट में अनाज को श्रीअन्न कहकर अनाज के विकास पर ज़ोर दिया गया है। मोटा अनाज स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होता है। मोटे अनाजों में कई बीमारियों से लड़ने की क्षमता होती है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि दैनिक आहार में अधिक मोटे अनाज का उपयोग करके, व्यक्ति स्वस्थ और कई बीमारियों से मुक्त रह सकता है। इस संदर्भ में तमिलनाडु में पुदुक्कोट्टई ऑर्गेनिक फार्मिंग प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन रागी, हराका, नवने सामे, बरगु, कोरले, ऊदालु, बाजरा और जोला जैसे अनाजों का उपयोग करके मीठे और नमकीन व्यंजन तैयार कर रहा है। उनके स्वास्थ्य लाभों के बारे में जानकारी प्रदान कर रहा है।

पुदुक्कोट्टई ऑर्गेनिक द्वारा अपनी कृषि विपणन शाखा की मदद से स्थापित एक मिठाई की दुकान, पुदुक्कोट्टई ऑर्गेनिक को दीपावली से पहले सामानों के आर्डर में भारी वृद्धि देखने को मिली है। बाज़ार में उपलब्ध मिठाइयों से उनकी मिठाइयां और मसाले इसलिए विशेष हैं क्योंकि वे केवल जैविक रूप से उत्पादित रागी, सज्जा और जोला रागी (चावल के दाने) का उपयोग करते हैं।

पीओएफपीसीएल के सीईओ जी. अखिल भारती ने कहा कि सभी मिठाइयां और मसाले कंपनी के साथ पंजीकृत किसानों द्वारा उत्पादित जोला, सज्जा और रागी से बनाए जाते हैं। इसके अलावा मिठाइयां देसी गुड़ से बनाई जाती हैं। इनमें कोई प्रिज़र्वेटिव या रंग नहीं मिलाया जाता है। यह दुकान रागी और विभिन्न चावल के दानों सहित विभिन्न सामग्रियों से मिठाइयाँ और मसाले बनाती है। अखिला ने कहा, हमारे उत्पाद रागी, हराका, कंगनी, बरगु, कोरले, ऊदालु, बाजरा आदि सहित सात प्रमुख सामग्रियों का उपयोग करके बनाए जाते हैं। कुल 9 मिठाइयां और 16 प्रकार के नमकीन उच्चतम गुणवत्ता के साथ बनाए जाते हैं। वे लड्डू, अधिरिसम और मनोकरम जैसी मिठाइयां बेचते हैं, जबकि नमकीन व्यंजनों में मुरुक्कू, छेदी, रिबन पकौड़ा और छेदी शामिल हैं।

ये स्नैक्स न केवल तमिलनाडु के साथ ही कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, दिल्ली जैसे विभिन्न राज्यों में भी बेचे जाते हैं। साथ ही इस कंपनी के माध्यम से कई किसान सीधे अपना धान और अन्य मोटा अनाज बेचकर लाभान्वित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि खासकर, यहाँ महिलाओं को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं, जिससे उनकी आजीविका भी बेहतर हो रही है।

पीओएफपीसीएल के प्रबंध निदेशक ए. अट्टप्पन ने कहा कि वर्तमान में हम प्रतिदिन 250 किलोग्राम मिठाइयां और 500 किलोग्राम से अधिक नमकीन का उत्पादन करते हैं।

दूसरी ओर ग्राहक उत्पादों के स्वाद और सुगंध के कारण भी इस आउटलेट की ओर आकर्षित होते हैं। पुदुक्कोट्टई में रहने वाले नियमित ग्राहक एम. मधुसूदन और सुधीर ने कहा कि इससे हमें अपने बच्चों को स्वस्थ रूप में मिठाइयां और नमकीन उपलब्ध कराने का अवसर मिलता है।

हिन्दुस्थान समाचार / Dr. Vara Prasada Rao PV

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