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अमीर बनना या फिर अमीर दिखना, क्या है ज्यादा जरूरी, लग्जरी शोरूम में नहीं मिलती है आर्थिक स्वतंत्रता

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आजकल लोग दिखावे की जिंदगी ज्यादा जी रहे है. इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पैसे ना होने की स्थिति में भी लोग कैसे लग्जरी चीजों को खरीद रहे हैं केवल लोगों को दिखाने के लिए कि उनका लाइफस्टाइल कितना लग्जरी है. कुछ ऐसा ही लोग सोशल मीडिया पर भी कर रहे हैं, अपनी असली जिंदगी न दिखाकर लोग सोशल मीडिया पर दिखावा कर रहे हैं. लोग अब अमीर बनना नहीं बल्कि अमीर दिखना ज्यादा जरूरी समझ रहे हैं. अब इसी बात को लेकर एक चार्टर्ड अकाउंटेंट यानी CA नितिन कौशिक ने एक्स पर पोस्ट किया है और बताया है कि कैसे लोग अमीर बनने के नहीं बल्कि अमीर दिखने के पीछे भाग रहे हैं.



नितिन कौशिक ने अपने पोस्ट में बताया कि 25 करोड़ रुपये के पोर्टफोलियो वाला व्यक्ति 10 लाख रुपये की कार में सफर करता है. वहीं 1.7 करोड़ की कुल संपत्ति वाला व्यक्ति एक नई लग्जरी कार का दिखावा करता है.



क्या होता है असली अमीर होनानितिन कौशिक ने पोस्ट में बताया कि अमीर बनना इसे नहीं कहते हैं कि आप क्या पहनते हैं, क्या गाड़ी चलाते हैं या फिर क्या अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते है बल्कि अमीर बनना यह है कि आपको पास कितनी संपत्ति है. ऐसी संपत्तियां जो आपको सोते समय बढ़ती है. अपने पोस्ट में आगे नितिन कौशिक ने 2 लोगों की तुलना की.



पहला व्यक्ति अपने लाइफस्टाइल पर कम खर्च करता है. यह व्यक्ति अपने इक्विटी, रियल एस्टेट और कंपाउडिंग पर ज्यादा ध्यान देता है. वहीं दूसरा व्यक्ति ज्यादा ईएमआई भरता है, बचत कम करता है. ऐसे में यहां देखा जा सकता है कि कैसे पहला व्यक्ति आर्थिक रूप से स्वतंत्र है. वहीं दूसरी आर्थिक रूप से कमजोर है. पहला व्यक्ति शायद अमीर न दिखे लेकिन उसके पास संपत्ति है. वहीं दूसरा व्यक्ति अमीर दिखता है लेकिन उसके पास संपत्ति नहीं है.





नितिन कौशिक के पोस्ट से सीख मिलती है कि अमीर दिखने से ज्यादा जरूरी आर्थिक आजादी है, जो किसी शोरूम में नहीं बल्कि अनुशासन, धैर्य और समझदारी से निवेश करने पर मिलती है.

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