किसी भी कार्य को छोटा या बड़ा नहीं समझा जाना चाहिए। यदि आपके अंदर कुछ करने का जज़्बा है, तो मेहनत और समर्पण से आप सफलता प्राप्त कर सकते हैं। जम्मू और कश्मीर के कठुआ जिले के बिलावर क्षेत्र की ममता शर्मा इस बात का जीता-जागता उदाहरण हैं।
पति की नौकरी जाने के बाद का संघर्ष
जब ममता के पति की नौकरी चली गई, तो परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई। लेकिन ममता ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने कौशल को कमाई का साधन बनाया। आज उनका परिवार न केवल खुद का पेट भरता है, बल्कि कई अन्य जरूरतमंदों की भूख भी मिटाता है।
ममता के पति पहले एक पॉलिटेक्निक कॉलेज में काम करते थे, जहां उन्हें 7,000 रुपये मासिक मिलते थे। नौकरी जाने के बाद, परिवार को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। बच्चों की पढ़ाई और किराए के लिए पैसे की कमी हो गई। ममता ने इस स्थिति का सामना करने का निर्णय लिया और अपने पति से कहा कि वे ढाबा खोल सकते हैं।
ऑल्टो कार में ढाबा खोलने का अनोखा आइडिया
पति-पत्नी ने ढाबे के लिए जगह की तलाश शुरू की, लेकिन पैसे की कमी के कारण कोई विकल्प नहीं मिला। तब ममता ने एक अनोखा विचार प्रस्तुत किया: क्यों न ऑल्टो कार में ही ढाबा खोला जाए? उन्होंने एक ऑल्टो कार की व्यवस्था की और 'विष्णु ढाबा' की शुरुआत की।
जम्मू के बिक्रम चौकी में स्थित इस ढाबे में घर का बना स्वादिष्ट खाना उपलब्ध है, जिसकी कीमत भी बहुत कम है। फुल प्लेट 50 रुपये और हाफ प्लेट 30 रुपये में मिलती है। शुरुआत में, वे दिन में केवल 100 रुपये ही कमा पाते थे। लेकिन एक दिन, जब उन्होंने अपनी ऑल्टो कार को एक पेड़ के नीचे खड़ा किया, तो लोग आकर्षित हुए और वहां आने लगे।
स्वादिष्ट भोजन की बढ़ती मांग
ममता का 'विष्णु ढाबा' पिछले डेढ़ महीने में काफी प्रसिद्ध हो गया है। यह रोज़ दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक खुलता है। ममता, उनके पति और दो बच्चे सुबह से ही खाने की तैयारी में जुटे रहते हैं। भोजन में 'राजमा', 'चना दाल', 'छोले दाल', 'कड़ी', 'अंबल' और चावल जैसी चीजें शामिल होती हैं।

नीरज शर्मा, ममता के पति, कहते हैं कि काम करने का जुनून होना चाहिए। जब आप मेहनत करते हैं, तो सम्मान और धन दोनों प्राप्त कर सकते हैं। हमें गर्व है कि हम दूसरों की भूख मिटाते हुए अपने परिवार का भी भरण-पोषण कर रहे हैं।