बाबर आज़म की हालिया पारी ने सभी को चौंका दिया। यह केवल एक साधारण पारी नहीं थी, बल्कि उनकी चुप्पी में छिपी हुई वापसी का संकेत थी। हर शॉट में उनकी क्लास और हर रन में उनका आत्मविश्वास झलक रहा था। आलोचकों की बातें सुनने के बजाय, बाबर ने अपने बल्ले को बोलने दिया। बिना किसी भाव-भंगिमा के, उन्होंने यह साबित कर दिया कि स्टाइल, टेम्परामेंट और ग्रेस क्या होती है।
उनके हर शॉट पर स्टेडियम में तालियों की गूंज थी, और जब वह क्रीज़ से लौटे, तो दर्शकों ने उन्हें सम्मान के साथ खड़ा होकर सलाम किया।
शांत चेहरा, मजबूत इरादा
जब बाबर आज़म क्रीज़ पर आए, तो उनका चेहरा शांत था, लेकिन इरादे स्पष्ट थे। उन्होंने गेंदबाज़ों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। उनके हर शॉट में आत्मविश्वास की चमक थी, न कि गुस्से की।
यह पारी बाबर ने 2014 में फैसलाबाद में क्वैद-ए-आज़म ट्रॉफी सिल्वर लीग के फाइनल में खेली थी, जहां उन्होंने स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व किया।
10 घंटे की मेहनत
इस फाइनल में बाबर ने लगभग 10 घंटे तक धैर्य और तकनीक का अद्भुत उदाहरण पेश किया। उन्होंने 266 रनों की पारी खेली, जिसमें 29 चौके और 5 छक्के शामिल थे। वह पिच पर ऐसे टिके जैसे वह उसका किला हो।
हर रन और हर कदम जैसे खुदा की इबादत में बदल गया था। थकान का कोई नामोनिशान नहीं था, बस एक जुनून था—"मुझे खेलना है और सबको चुप कराना है।"
टीम की उम्मीद, लेकिन अकेले
बाबर ने एक छोर से पारी को संभाला, लेकिन अन्य बल्लेबाज़ उनका साथ नहीं दे सके। कोई भी खिलाड़ी अर्धशतक तक नहीं पहुंच पाया। फिर भी, बाबर ने हार नहीं मानी और अकेले दम पर टीम को 527/8 तक पहुंचाया, जिससे विपक्षी टीम को 334 रनों का लक्ष्य मिला।
हालांकि, उनकी यह पारी बेकार गई और मैच ड्रा रहा। हबीब बैंक लिमिटेड ने पहली पारी की बढ़त के आधार पर ट्रॉफी जीत ली।
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