हाल ही में भारत में 5 रुपये के सिक्कों के चलन में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। पुराने मोटे और भारी सिक्कों की जगह अब नए, हल्के और पतले सिक्के अधिक प्रचलित हो गए हैं। इस बदलाव के पीछे एक दिलचस्प कारण है, जिसे जानकर आप चौंक सकते हैं।
पुराने सिक्कों का उत्पादन बंद
पिछले कुछ महीनों में, बाजार से पुराने 5 रुपये के सिक्के धीरे-धीरे गायब हो रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और सरकार ने इन पुराने सिक्कों का उत्पादन रोक दिया है, और अब केवल नए सिक्कों का निर्माण किया जा रहा है।
धातु का अवैध उपयोग
पुराने 5 रुपये के सिक्कों की धातु का अवैध उपयोग बढ़ने लगा था। विशेष रूप से, ये सिक्के बांग्लादेश में भेजे जाते थे, जहां इनसे ब्लेड बनाने का काम किया जाता था। इन सिक्कों की धातु की गुणवत्ता इतनी अच्छी थी कि इससे बने ब्लेड की कीमत सिक्के से कहीं अधिक होती थी।
एक सिक्के से कई ब्लेड
एक 5 रुपये का सिक्का पिघलाकर लगभग 6 ब्लेड बनाए जा सकते थे, जिनकी कीमत 12 रुपये तक हो सकती थी। इस प्रकार, 5 रुपये के सिक्के को पिघलाकर अधिक मूल्य में बेचा जा रहा था, जिससे यह एक गंभीर समस्या बन गई थी।
मेटल वैल्यू और सरफेस वैल्यू का अंतर
इन सिक्कों की धातु की कीमत और उन पर अंकित मूल्य में बड़ा अंतर था। सिक्कों में मौजूद धातु की कीमत 5 रुपये से कहीं अधिक थी, जिसका गलत उपयोग हो रहा था।
RBI का नया कदम
इस समस्या को ध्यान में रखते हुए, RBI ने पुराने सिक्कों के धातु को बदलने का निर्णय लिया। नए 5 रुपये के सिक्के अब हल्के और पतले हैं, और इन्हें अलग धातु से बनाया गया है, जिससे ब्लेड बनाने की संभावना कम हो सके।
बांग्लादेश में अवैध व्यापार
बांग्लादेश में इन सिक्कों के अवैध व्यापार का मामला भी सामने आया था। RBI और सरकार ने इस समस्या का समाधान करने के लिए पुराने सिक्कों के उत्पादन को बंद किया है। नए सिक्कों के निर्माण के साथ, इस दुरुपयोग को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकेगा।
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