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पायल पहनने के लाभ और परंपरा: एक सांस्कृतिक दृष्टिकोण

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पायल का महत्व

पायल, जो कि 16 श्रृंगार में से एक मानी जाती है, न केवल पैरों की सुंदरता को बढ़ाती है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होती है। वास्तुशास्त्र के अनुसार, पायल पहनना शुभ होता है, क्योंकि इसकी आवाज नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर देती है। प्राचीन काल से, पायल को महिलाओं के लिए विशेष महत्व दिया गया है, और इसका संकेत यह होता था कि महिला कहीं जा रही है।


पायल के स्वास्थ्य लाभ

पायल पहनने से न केवल पैरों की सुंदरता बढ़ती है, बल्कि यह महिलाओं के शरीर को भी लाभ पहुंचाती है। जब महिलाएं चांदी या सोने की पायल पहनती हैं, तो यह उनके शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाती है। वास्तुशास्त्र के अनुसार, चांदी की पायल पहनना अधिक शुभ माना जाता है, जबकि सोने को पैरों में नहीं पहनना चाहिए।


पायल और शरीर का संतुलन

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चांदी एक ठंडी धातु है, और आयुर्वेद के अनुसार, शरीर के ऊपरी हिस्से में सोना और पैरों में चांदी पहनना चाहिए। इससे शरीर का तापमान संतुलित रहता है।


पायल की सांस्कृतिक परंपरा

हिंदू धर्म में पायल पहनना शुभ माना जाता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार, पायल की आवाज से घर की नकारात्मक शक्तियां कम होती हैं और दैवीय शक्तियां सक्रिय होती हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, और पायल की आवाज से घर के पुरुषों को पता चल जाता था कि कोई महिला आ रही है।


महिलाओं के पायल की आवाज से पुरुषों को असहज स्थिति से बचने में मदद मिलती थी। प्राचीन समय में, महिलाओं को घर में आने-जाने की स्वतंत्रता नहीं होती थी, लेकिन पायल की आवाज से सभी सदस्य समझ जाते थे कि उनकी बहु आ रही है।


आधुनिक युग में पायल

आज भी महिलाएं और कुंवारी लड़कियां पायल पहनती हैं। यह परंपरा आज भी जीवित है, और कई लड़कियां फैशन के तौर पर एक पैर में भी पायल पहनती हैं।


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