बवासीर, जिसे अर्श रोग भी कहा जाता है, तब होता है जब मलद्वार के बाहर मांसांकुर (मस्से) उभर आते हैं। इस स्थिति में शौच के दौरान खून पतली रेखा के रूप में निकलता है। रोगी को चलने में कठिनाई, चक्कर आना, और दृष्टि में धुंधलापन जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। इसके अलावा, यह रोग स्मरण शक्ति को भी प्रभावित कर सकता है।
बवासीर का मुख्य कारण
बवासीर का मुख्य कारण कब्ज होता है। जब कोई व्यक्ति अधिक तैलीय, मसालेदार और चटपटा भोजन करता है, तो उसकी पाचन क्रिया प्रभावित होती है, जिससे पेट में कब्ज बनता है। यह स्थिति मल को सूखा और कठोर बना देती है, जिसके परिणामस्वरूप मलद्वार की त्वचा छिल जाती है और मस्से बन जाते हैं।
बवासीर से बचने के लिए आदतें
बवासीर से बचने के लिए कुछ आदतें अपनाना आवश्यक है। नियमित समय पर भोजन करना, धीरे-धीरे चबाकर खाना, और तली-भुनी चीजों का सेवन कम करना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, कब्ज को दूर करने वाली औषधियों का अत्यधिक सेवन न करें, क्योंकि यह पाचन क्रिया को कमजोर कर सकता है।
घरेलू उपाय
हारसिंगार: हारसिंगार के 2 ग्राम फूलों को 30 ग्राम पानी में रातभर भिगोकर रखें। सुबह इसे मसलकर छान लें और 1 चम्मच खांड़ मिलाकर खाली पेट सेवन करें। कपूर: कपूर, रसोत, चाकसू और नीम के फूलों को मिलाकर पाउडर बनाएं और मूली में भरकर भूनें। वनगोभी: वनगोभी के पत्तों का रस बवासीर के मस्सों पर लगाने से लाभ होता है। मूली: मूली का रस और जलेबी मिलाकर सेवन करने से बवासीर में राहत मिलती है।
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