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भारत में किडनी स्वास्थ्य पर गंभीर चिंता: 10% लोग प्रभावित

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विश्व किडनी दिवस 2024: भारत में किडनी रोग की स्थिति 7% लोग किडनी को नुकसान पहुंचा रहे हैं पेन किलर के सेवन से, एम्स की रिपोर्ट

भारत में किडनी रोग से ग्रस्त लोगों की संख्या 10 प्रतिशत तक पहुंच गई है। अधिकांश मरीजों को अपनी स्थिति का पता काफी देर से चलता है, जिससे किडनी फेलियर के मामलों में वृद्धि हो रही है। एम्स दिल्ली के नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. भौमिक के अनुसार, किडनी की बीमारी का पता देर से चलने के कारण 70% मरीजों के ठीक होने की संभावना कम हो जाती है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 7% लोग पेन किलर के सेवन से अपनी किडनी को नुकसान पहुंचा रहे हैं।


नियमित परीक्षण की आवश्यकता

डॉ. भौमिक ने बताया कि रक्त में यूरिया और क्रिएटिनिन की जांच और समय-समय पर पेशाब की जांच से किडनी में समस्याओं के शुरुआती संकेत मिल सकते हैं। लक्षणों के प्रकट होने तक अक्सर बहुत देर हो जाती है, इसलिए नियमित चेकअप से समस्याओं का समय पर पता लगाया जा सकता है।


हालांकि किडनी के इलाज के लिए दवाई, सर्जरी, डायलिसिस और ट्रांसप्लांट जैसे कई विकल्प उपलब्ध हैं, लेकिन गंभीर किडनी रोग से ग्रस्त मरीजों का जीवन अक्सर कठिनाइयों से भरा होता है। ऐसे मरीजों में उच्च रक्तचाप और हीमोग्लोबिन की कमी जैसी समस्याएं भी आम हैं, जिससे उनकी सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।


किडनी का महत्व और देखभाल

किडनी का मुख्य कार्य रक्त को शुद्ध करना है, और इसके लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना आवश्यक है। किडनी हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन डी को सक्रिय करती है और कैल्शियम के पाचन में मदद करती है। संतुलित आहार और भरपूर पानी पीने से किडनी को कम मेहनत करनी पड़ती है।


आयुर्वेदिक उपचार के लाभ

राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान के शोधकर्ताओं ने पाया है कि आयुर्वेदिक दवाएं किडनी के रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकती हैं। बेंगलुरु में किए गए एक अध्ययन में, किडनी की प्रारंभिक बीमारी से ग्रस्त मरीजों को आयुर्वेदिक दवा नीरी केएफटी दी गई। 42 दिनों के बाद, मरीजों में क्रिएटिनिन के स्तर में सुधार देखा गया।


यह दवा 19 जड़ी-बूटियों से बनी है, जिसमें पुनर्नवा, गोखरू, वरुण, पलाश, और गिलोय शामिल हैं। ये जड़ी-बूटियां किडनी की सफाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आयुर्वेदिक दवाएं किडनी की समस्याओं के लिए एक सस्ता विकल्प हो सकती हैं, लेकिन इन्हें प्रशिक्षित आयुर्वेदिक डॉक्टर की देखरेख में ही लेना चाहिए।


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