Bihar Chunav Dates: बिहार की राजनीति में अब चुनावी हलचल तेज हो गई है। चुनाव आयोग अक्टूबर के पहले सप्ताह में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है। माना जा रहा है कि यह चुनाव दो चरणों में संपन्न होंगे। यह मुकाबला राज्य की सत्ता पर काबिज एनडीए गठबंधन और विपक्षी इंडिया गठबंधन के बीच होगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जहां बीस साल से अधिक के शासन के बाद फिर से जनता का भरोसा जीतना चाहेंगे, वहीं विपक्ष बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और वोट चोरी जैसे मुद्दों पर मोर्चा खोल चुका है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपनी राज्यव्यापी यात्रा में लगातार “वोट चोरी” का आरोप लगा रहे हैं। दूसरी ओर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव बेरोजगारी और कथित भ्रष्टाचार के मुद्दों पर अभियान चला रहे हैं। इस बार के चुनाव की एक खासियत यह है कि यह बिहार की पहली बड़ी राजनीतिक जंग होगी जो 2023 में नीतीश सरकार द्वारा कराए गए जातीय सर्वेक्षण के बाद लड़ी जा रही है।
जातिगत गणित का नया समीकरण
सर्वेक्षण ने बिहार की सामाजिक संरचना को उजागर कर दिया। इसमें सामने आया कि पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग मिलाकर राज्य की 63% आबादी हैं। इनमें यादव 14% और ईबीसी 36% हैं। अनुसूचित जातियां 19% और सवर्ण लगभग 15% हैं। मुस्लिम समुदाय की हिस्सेदारी 17% है, जिनमें से कई जातियां ओबीसी श्रेणी में आती हैं, लेकिन आमतौर पर वे सामुदायिक आधार पर वोट करते हैं।
इस सर्वेक्षण के बाद नीतीश सरकार ने नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण को 50% से बढ़ाकर 65% किया और इसके साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10% आरक्षण भी बरकरार रखा। हालांकि पटना हाईकोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा दी, लेकिन इस कदम ने नीतीश की ओबीसी नेता वाली छवि को और मजबूत किया।
केंद्र की रणनीति और विपक्ष की मुश्किलें
दिलचस्प यह है कि अप्रैल 2025 में केंद्र सरकार ने भी राष्ट्रीय जाति जनगणना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। भाजपा लंबे समय तक इस मांग से दूर रही थी, लेकिन अब उसने इसे स्वीकार कर विपक्ष के प्रमुख हथियार को कमजोर करने की कोशिश की है। विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम भाजपा को हिंदू एकजुटता की राजनीति और ओबीसी वर्ग में अपनी पकड़, दोनों को साधने का अवसर देगा।
इतिहास गवाह है कि बिहार की राजनीति में जाति हमेशा निर्णायक कारक रही है और इस बार भी हालात अलग नजर नहीं आ रहे हैं। जातिगत आंकड़े और आरक्षण की राजनीति ने लड़ाई को और पैना कर दिया है। एनडीए को विपक्ष की तुलना में कोई खास नुकसान की आशंका नहीं है, बशर्ते वह अपने सवर्ण वोट बैंक को जन सुराज जैसे नए दल से सुरक्षित रख पाए।
एनडीए का दांव: नीतीश कुमार अपनी छवि और गठबंधन की ताकत पर भरोसा करेंगे। भाजपा के साथ मिलकर वे विकास और स्थिरता का संदेश देने की कोशिश करेंगे।
विपक्ष का हमला: राहुल गांधी वोट चोरी के मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर तक ले गए हैं, लेकिन सर्वे बताते हैं कि बेरोजगारी और पलायन जैसे मुद्दों पर लोगों की चिंता कहीं ज्यादा है। तेजस्वी यादव इसी आधार पर अपनी राजनीति को धार दे रहे हैं।
You may also like
APY Scheme- अटल पेँशन योजना में मात्र 420 रूपये निवेश कर पाएं 10 हजार महीना, जानिए स्कीम डिटेल्स
कोलकाता से भुवनेश्वर पहुंचेंगे एक बार` चार्ज में! JIO की नई चमत्कारी पेशकश कीमत सुनकर झूम उठेंगे आप
भारत ने पाकिस्तान को एशिया कप में फिर से हराया, अभिषेक शर्मा की शानदार पारी
मुख्यमंत्री को सौंपी अखाड़ा परिषद ने आपदा राहत कार्य को 34 लाख की सहयोग राशि
Kalki 2898 AD: दीपिका की जगह अनुष्का शेट्टी का नाम चर्चा में