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दशहरे पर भीषण हादसों से कांपा उठा देशः 24 लोग डूबे-देर रात तक रेस्क्यू जारी

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खंडवा। मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान बड़ा हादसा हो गया. पंधाना क्षेत्र के ग्राम अर्दला में ट्रैक्टर-ट्रॉली पुलिया पर पलट गई जिससे उसमें सवार 20 से 25 लोग तालाब में गिर गए. इस हादसे में अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि कई लोग घायल बताए जा रहे हैं. मृतकों में ज्यादातर बच्चियां शामिल हैं.

जानकारी के मुताबिक अर्दला और जामली गांव के लोग ट्रैक्टर-ट्रॉली में बैठकर विसर्जन के लिए तालाब पहुंचे थे. ट्रॉली को पुलिया पर खड़ा किया गया था लेकिन उस पर जरूरत से ज्यादा लोग सवार थे. ट्रॉली का संतुलन बिगड़ने से यह पलट गई और लोग तालाब में गिर पड़े. हादसे के तुरंत बाद आसपास मौजूद लोगों ने रेस्क्यू शुरू किया. मौके पर पुलिस और प्रशासनिक अमला भी पहुंच गया. अब तक 10 शव निकाले जा चुके हैं और कई घायलों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है. मृतकों के नाम आरती (18), दिनेश (13), उर्मिला (16), शर्मिला (15), गणेश (20), किरण (16), पाटलीब (25), रेवसिंह (13), आयुष (9), संगीता (16)

तलाब में डूबने से 10 लोगों की दर्दनाक मौत

पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार राय ने बताया कि घटना में अब तक 10 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है और रेस्क्यू अभियान जारी है. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि मृतकों में ज्यादातर 15 से 17 वर्ष की आयु के किशोर और बच्चियां हैं. वहीं, इस घटना पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दुख जताया है. उन्होंने ट्वीट कर मृतकों के परिजनों के प्रति शोक संवेदना व्यक्त की और घोषणा की कि परिजनों को 4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी. घायलों का इलाज नजदीकी अस्पताल में कराया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने मां दुर्गा से सभी परिवारों को शक्ति और घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना की.

यूपी में भीषण हादसाः नदी में डूबे 14 युवक-मच गया कोहराम

आगरा। आगरा में मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन के दाैरान बड़ा हादसा हो गया। उटंगन नदी में 14 लोग डूब गए। विसर्जन के लिए सभी हाथ पकड़कर आगे बढ़ रहे थे। अचानक एक का हाथ फिसला। उसके साथ ही सभी पानी में समा गए।

आगरा के खेरागढ़ स्थित उटंगन नदी में बृहस्पतिवार को मां दुर्गा की मूर्ति विसर्जित करने आए गांव कुशियापुर डूगरवाला के 14 युवक गहरे पानी में डूब गए। हादसे से अफरा-तफरी मच गई। ग्रामीणों ने कड़ी मशक्कत के बाद एक युवक विष्णु को बचा लिया। डेढ़ घंटे बाद पुलिस की मदद से तीन युवकों ओमपाल, मनोज और गगन के शव निकाले गए। रात तक तलाश के बाद भी बाकी 10 का पता नहीं चल सका था। इनमें 5 नाबालिग हैं।

सूचना पर जिलाधिकारी अरविंद मल्लप्पा बंगारी और डीसीपी पश्चिमी जोन अतुल शर्मा माैके पर पहुंचे। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि नदी के पास सुरक्षा के इंतजाम नहीं थे। पुलिस तैनात होती तो हादसा बच सकता था। गुस्साए लोगों ने राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) की टीम के नहीं पहुंचने पर जाम लगा दिया। पुलिस अधिकारियों के समझाने पर 2 घंटे बाद ग्रामीण शांत हुए।

हादसा दोपहर 1 बजे हुआ। खेरागढ़ के गांव कुसियापुर में चामड़ माता के मंदिर के पास नवरात्र में मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित की गई थी। दशहरा पर मूर्ति के विसर्जन के लिए गांव के 40-50 पुरुष, महिलाएं और बच्चे उटंगन नदी के पास पहुंचे। इनमें विष्णु (20), ओमपाल (25), गगन (24), हरेश (20), अभिषेक (17), भगवती (22), ओके (16), सचिन पुत्र रामवीर (26), सचिन पुत्र ऊना (17), गजेंद्र (17) और दीपक (15) गहरे पानी में चले गए।

ग्रामीणों के मुताबिक सभी डूबने लगे। बचाव के साधन नहीं होने की वजह से वह लोग कुछ नहीं कर सके। बाद में कुछ ग्रामीणों ने हिम्मत की और पानी में कूदकर विष्णु को बाहर निकाल लिया। हालत गंभीर होने पर उसे आगरा एसएन मेडिकल काॅलेज की इमरजेंसी रेफर कर दिया गया।

बाकी के डूबने के बाद पुलिस को सूचना दी गई। करीब डेढ़ घंटे बाद ओमपाल और गगन को पानी से निकालकर अस्पताल पहुंचाया गया। चिकित्सकों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया गया। नदी में डूबे अन्य 10 युवकों की तलाश के लिए 6 घंटे बाद एसडीआरएफ की टीम पहुंची। पुलिस ने भी गोताखोरों की मदद से तलाश की लेकिन रात तक किसी का पता नहीं चल सका था। सभी के परिवारों में कोहराम मचा है।

हाथ पकड़कर बढ़ रहे थे आगे
गांव कुशियापुर में 4 फुट की दुर्गा प्रतिमा स्थापित करने के बाद हर दिन आस्था का सैलाब उमड़ रहा था। 10 दिन तक सुबह-शाम की आरती के बाद गांव की गलियों में देवी के गीतों से माहाैल भक्तिमय हो जाता था। दशहरा आया तो प्रतिमा विसर्जन के लिए क्या बड़े, क्या छोटे, सब नदी किनारे चल पड़े। मगर हादसे की जानकारी आई तो पूरे गांव में करुण क्रंदन गूंज उठा।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि उटंगन नदी में कई गड्ढे हैं। विसर्जन के लिए सभी हाथ पकड़कर आगे बढ़ रहे थे। अचानक एक का हाथ फिसला। उसके साथ ही सभी पानी में समा गए। उटंगन नदी में जिस स्थान पर डूबने की घटना हुई, वहां से गांव कुशियापुर तीन किलोमीटर की दूरी पर है। गांव के लोगों ने बताया कि नदी पर आने के बाद मूर्ति को पानी में ले जाना था। इसके लिए 11 से 15 युवक और किशोर तैयार हुए। किनारे के पास पानी काफी कम था। इस कारण अंदर चले गए। बाद में पानी गहरा होने लगा। मगर मूर्ति भी 4 फुट की थी। इस पर बीच पानी में ले जाना चाह रहे थे।

पानी में डूबने से बचने के लिए एक-दूसरे ने अपने हाथ पकड़ रखे थे। एक हाथ से मूर्ति को पकड़ लिया था। किसी को अंदाजा नहीं था कि अंदर गड्ढा बना हुआ है, जिसमें पानी गहरा है। उस गड्ढे में अचानक एक युवक का पैर फिसल गया। उसे बचाने के लिए पीछे वालों ने हाथ पकड़ा। मगर, वह उसे संभाल नहीं सके। एक-एक करके 9 युवक और 5 किशोर पानी में समा गए। दो और युवक गगन और अमित पानी में डूब रहे थे। पीछे की तरफ गांव का भोला भी था। उन्हें देखकर उसने पीछे से हाथ पकड़ लिए। वह तत्काल दोनों को कम पानी की तरफ ले गए।

किनारे पर खड़े डूबे हुए किशोर और युवकों के परिजन चीखपुकार मचाने लगे। मगर पुलिस नहीं थी। तकरीबन आधा घंटे बाद पुलिसकर्मी पहुंचे। इनमें एसएसआई बिजेंद्र सिंह तैरना जानते थे। उन्होंने पानी में छलांग लगा दी। वह तकरीबन एक घंटे तक तलाश करते रहे। इसके बाद डूबने वाले ओमपाल और गगन को बाहर निकाल लाए। मगर तब तक उनकी मृत्यु हो चुकी थी। अन्य का पता नहीं चल सका। ग्रामीणों का कहना था कि नदी के अंदर गड्ढे का किसी को भी अंदाजा नहीं था। इस वजह से ही हादसा हुआ।

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