बिहार में लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) पिछले कुछ सालों में बदली दिखी है, पटना से लेकर दिल्ली तक उसके नेताओं में और रणनीति में बड़ा बदलाव दिखा है, लालू यादव के सामाजिक समीकरण के साथ-साथ अब राजद युवाओं पर भी फोकस करती दिख रही है, ये बदलाव तेजस्वी की राजनीति में एंट्री के साथ ही दिखने लगी थी, लेकिन इस बदलाव के पीछे एक और नाम की चर्चा होती रही है।
कहा जाता है राजद की छवि को बदलने में संजय यादव का बड़ा हाथ है, जिन्हें तेजस्वी ही अपनी पार्टी में लेकर आए थे।
जन्म हरियाणा में लेकिन राजनीतिक पकड़ बिहार में
24 फरवरी 1984 को हरियाणा के नांगल सिरोही गांव में जन्मे संजय यादव ने कंप्यूटर साइंस और मैनेजमेंट की पढ़ाई की है।
2007 में भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की उपाधि लेने के बाद उन्होंने दिल्ली की बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम किया। डेटा एनालिसिस और मैनेजमेंट में उनकी दक्षता ने उन्हें राजनीति के तकनीकी पहलुओं को समझने में मदद दी। यहीं से वो राजद की ओर मुड़े और फिर बिहार को अपनी राजनीतिक जमीन बना ली।
राजनीति में प्रवेश और तेजस्वी से रिश्ता
दिल्ली में उनकी मुलाकात तेजस्वी यादव से तब हुई जब तेजस्वी क्रिकेट खेला करते थे। संजय ने कुछ समय अखिलेश यादव (समाजवादी पार्टी) के साथ भी काम किया। 2012 में वे औपचारिक रूप से आरजेडी से जुड़े और 2015 तथा 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में पार्टी की रणनीति बनाने में अहम भूमिका निभाई। आज वे तेजस्वी के सबसे करीबी सहयोगी और भरोसेमंद रणनीतिकार माने जाते हैं।
आरजेडी की नई पहचान में संजय की भूमिका
लालू प्रसाद यादव ने आरजेडी को सामाजिक न्याय की राजनीति से पहचान दिलाई थी। अब संजय यादव ने इसमें डिजिटल और विकास का एजेंडा जोड़कर पार्टी की छवि बदलने में बड़ी भूमिका निभाई है। उन्होंने सोशल मीडिया को हथियार बनाया और फेसबुक, ट्विटर से लेकर जमीनी स्तर पर डिजिटल अभियान के जरिए आरजेडी को युवाओं तक पहुंचाया। दिल्ली और देशभर के विश्वविद्यालयों में आरजेडी की मौजूदगी मजबूत करने में भी उनकी भूमिका रही है। संजय यादव ने आरजेडी के भीतर विभिन्न विचारधाराओं, पीढ़ियों और वर्गों को जोड़ने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनका मानना रहा कि पार्टी तभी मजबूत होगी जब हर कार्यकर्ता अपने को संगठन से जुड़ा और सम्मानित महसूस करेगा। राजद के अधिकतर नेता संजय के सियासी पैंतरे का लोहा मानते हैं। संजय यादव आमतौर पर पर्दे के पीछे रहकर काम करते रहे हैं।
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