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ममता की लिखी पुस्तकों को स्कूलों में अनिवार्य बनाना हिटलरशाही का उदाहरण : सुकांत मजूमदार

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बालुरघाट, 24 जून . पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की लिखी पुस्तकों को स्कूलओं में अनिवार्य बनाने के कदम की दक्षिण दिनाजपुर से सांसद और राज्य भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने तीखी आलोचना की. उन्‍होंने इसे हिटलरशाही का उदाहरण बताया है.

सुकांत मजूमदार ने समाचार एजेंसी से बातचीत के दौरान कहा, “यह हिटलरशाही का उदाहरण है. हिटलर ऐसे ही काम जर्मनी में करता था. हाल ही में खबरें आई थीं कि स्कूलों के पास चॉक और डस्टर खरीदने के लिए भी पैसे नहीं हैं. ऐसे में यह जनता के पैसों की लूट है. मुख्यमंत्री की पुस्तकों को जबरन शामिल करना अस्वीकार्य है. उन्‍होंने कटाक्ष किया कि यह किताब पन्ने फाड़ कर ठोंगा के अलावा किसी काम में आने वाली नहीं है.”

उन्होंने आगे सवाल किया, “अगर उन्हें लेखक बनने का इतना शौक है, तो उन्हें खुले बाजार में किताबें बेचने दें. आखिरकार, उन्होंने खुद दावा किया है कि वे पेंटिंग और किताबें लिखकर पैसे कमाती हैं.”

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार कहते हैं, “पश्चिम बंगाल में कोई वास्तविक लोकतंत्र नहीं है. यहां तक कि हाल ही में हुए उपचुनाव में भी, जहां 57 फीसदी आबादी मुस्लिम थी, यह स्पष्ट था कि तृणमूल कांग्रेस जीतेगी. उसके बाद एक मुस्लिम लड़की को बम से मार दिया गया. इससे उनकी मानसिकता और लोकतंत्र के प्रति उनके नजरिए का पता चलता है. लोकतंत्र में किसी की जान नहीं जानी चाहिए. इस मामले को लेकर चुनाव आयोग को भी विचार करना चाहिए. आयोग को पश्चिम बंगाल चुनाव के लिए नियम और कानून बनाना चाहिए.”

मजूमदार ने चुनाव के बाद हुई हिंसा को लेकर मुख्यमंत्री पर हमला बोला. एक किशोरी की मौत का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “उनका एकमात्र दोष यह था कि उनके माता-पिता एक अलग राजनीतिक दल का समर्थन करते थे. मैंने व्यक्तिगत रूप से उस क्षेत्र से हमारे उम्मीदवार को उस परिवार से मिलने का निर्देश दिया था. भले ही वे हमारे समर्थक नहीं हैं, यह पूरी तरह से मानवीय चिंता का विषय था, क्‍योंकि लोकतंत्र में किसी की जान नहीं जानी चाहिए. क्या मुख्यमंत्री को जरा भी शर्म नहीं आती?”

एएसएच/केआर

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