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झारखंड हाईकोर्ट के आदेश पर हाजिर हुईं गृह सचिव, 30 दिनों में मॉडल जेल मैन्युअल को अधिसूचित करने का वादा

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रांची, 28 अप्रैल . झारखंड की जेलों में बंद कैदियों की स्थिति और जेल मैन्युअल में सुधार के मामले में स्वतः संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एम.एम. रामचंद्र राव और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ में सुनवाई हुई.

राज्य की गृह सचिव वंदना डाडेल अदालत में सशरीर उपस्थित हुईं. झारखंड हाईकोर्ट ने उनसे पूछा कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुए मॉडल जेल मैन्युअल कब लाएगी.

राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन और अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने कोर्ट के समक्ष अंडरटेकिंग फाइल करते हुए कहा कि झारखंड जेल मैन्युअल का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है. कैबिनेट से स्वीकृति के बाद इसे 30 दिनों के अंदर अधिसूचित कर दिया जाएगा.

हाईकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 10 जून को निर्धारित की है.

इसके पहले हाईकोर्ट ने 23 अप्रैल को इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मॉडल जेल मैन्युअल नहीं बनाए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई थी.

झारखंड हाईकोर्ट ने कहा था कि तीन माह पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने जेल मैनुअल से संबंधित एक आदेश पारित किया है, लेकिन राज्य सरकार ने इसका अनुपालन नहीं किया है.

हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा था कि राज्य की जेलों में जितनी बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं, उन्हें भरने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है?

राज्य सरकार की ओर से बताया गया था कि मॉडल जेल मैन्युअल बनाने की प्रक्रिया चल रही है. राज्य सरकार ने अदालत से इसके लिए कुछ समय देने का आग्रह किया था. सरकार की ओर से रखे गए पक्ष पर असंतोष जताते हुए खंडपीठ ने मामले में गृह विभाग के सचिव को सशरीर हाजिर होने का निर्देश दिया था.

हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करना सभी राज्यों की जिम्मेदारी है और इसमें देरी स्वीकार नहीं की जा सकती.

एसएनसी/एबीएम

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