पटना, 20 मई . बिहार की राजधानी पटना के ज्ञान भवन में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता सम्मेलन स्थानीय उत्पादकों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ है. इस सम्मेलन में जर्मनी, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे 22 देशों के 70 से अधिक उद्यमियों (खरीदारों) ने हिस्सा लिया.
इसके अलावा, देश भर से 50 से अधिक क्रेता और विक्रेता इसमें शामिल हुए. इस सम्मेलन का उद्देश्य राज्य के खाद्य और संबद्ध क्षेत्रों के प्रमुख हितधारकों को एक मंच पर लाना है, ताकि व्यापार को बढ़ावा दिया जा सके, निर्यात को मजबूत किया जा सके और बिहार की कृषि-खाद्य क्षमताओं को वैश्विक मंच पर लाया जा सके. यह सम्मेलन दुनिया के लोगों के सामने बिहार की कृषि समृद्धि और खाद्य उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है.
केंद्र सरकार द्वारा मखाना बोर्ड बनाने के निर्णय और हाल ही में भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग दिए जाने के बाद बिहार के मखाना व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है. केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा समर्थित इन विकासों ने राज्य के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, खासकर मखाना, आम और लीची के लिए अंतरराष्ट्रीय दरवाजे खोल दिए हैं.
समाचार एजेंसी से बात करते हुए व्यवसायी विकास कुमार ने बिहार के मखाना में अंतरराष्ट्रीय खरीदारों द्वारा दिखाई गई जबरदस्त रुचि पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन किसानों और मखाना निर्यातकों के लिए एक महत्वपूर्ण बढ़ावा है.
विकास कुमार ने बताया कि विभिन्न देशों के खरीदारों ने बिहार के मखाना के लिए स्थानीय बाजार मूल्य से 500 रुपए तक अधिक भुगतान करने की इच्छा व्यक्त की. यह एक बड़ी छलांग है. हम पहले से ही सरकारी संघों के माध्यम से कई देशों को निर्यात कर रहे हैं. इस आयोजन के साथ, लगभग 20 नई अंतरराष्ट्रीय साझेदारियां पाइपलाइन में हैं. मखाना आधारित उत्पाद जैसे बिस्कुट, चॉकलेट, टॉफी, भुने हुए स्नैक्स और चिप्स की मांग काफी अधिक है.
उन्होंने कहा कि बिहार में दुनिया का 90 प्रतिशत से अधिक मखाना उत्पादित होता है, इसलिए इसकी संभावनाएं अपार हैं. बाजार पहले ही 100 करोड़ रुपये को पार कर चुका है और आगे भी बढ़ने वाला है. अगर सरकार अपने मौजूदा प्रयासों को जारी रखती है, तो मखाना उत्पादकों के लिए भविष्य उज्ज्वल है.
स्थानीय उद्यमी और कार्बाइड मुक्त आम और सब्जियों के निर्यातक सोनी ने भी इस आयोजन की जानकारीपूर्ण दृष्टिकोण के लिए प्रशंसा की.
सोनी ने कहा कि लोग अक्सर नहीं जानते कि कहां से खरीदें या किसे बेचें. इस सम्मेलन ने उस अंतर को पाट दिया. हम हानिकारक रसायनों के बजाय गर्म पानी के उपचार का उपयोग करते हैं और हमारी कई प्रक्रियाओं के लिए सरकार की मंजूरी है. इस मंच ने हमें उन संभावित खरीदारों से सीधे जुड़ने में मदद की जो सुरक्षित, उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद की तलाश में हैं.
यह कार्यक्रम केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (एमओएफपीआई) और बिहार राज्य उद्योग विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था. इसने बिहार भर के सैकड़ों उत्पादकों, उद्यमियों और व्यापारियों को अंतरराष्ट्रीय खरीदारों से जुड़ने और नए बाजारों की खोज करने के लिए एक साथ लाया.
सोमवार को कार्यक्रम का उद्घाटन करने वाले केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान ने इसके व्यापक दृष्टिकोण पर जोर दिया.
उन्होंने कहा कि यह बिहार के उत्पादकों को वैश्विक बाजार से जोड़ने का एक विनम्र प्रयास है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि भारतीय खाद्य उत्पाद दुनिया की हर थाली तक पहुंचे और इस सपने को पूरा करने में बिहार की महत्वपूर्ण भूमिका है.
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पीएसके/जीकेटी
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