Lucknow, 5 नवंबर . उत्तराखंड के Chief Minister पुष्कर सिंह धामी द्वारा आरएसएस की प्रशंसा करने पर कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि आजादी के पहले आरएसएस अंग्रेजों के साथ था. यह सच्चाई है, इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
सुरेंद्र राजपूत ने समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा, “जब देश औपनिवेशिक शासन के अधीन था, तब आरएसएस अंग्रेजों के साथ खड़ा दिखाई देता था. उस समय आरएसएस के सदस्य ब्रिटिश सेना में भारतीयों की भर्ती में शामिल थे, जिनमें सुभाष चंद्र बोस की सेना का नरसंहार करने वाले भी शामिल थे.”
उन्होंने कहा कि आरएसएस आज से नहीं, बहुत पहले से ही हिंदू-मुस्लिम करता चला आ रहा है. इन लोगों ने हमेशा दलितों और अल्पसंख्यकों को उनका हक नहीं दिया है. ऐसी संघ की बात कर भारतीय जनता पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह केवल संघ का मुखौटा बन गई है.
सुरेंद्र राजपूत ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि ये लोग बोलते कुछ भी हैं, लेकिन इनका काम और रास्ता केवल देश को विभाजन की तरफ ले जाने वाला है. आरएसएस कोई रजिस्टर्ड एनजीओ नहीं है.
उन्होंने कहा कि दो बार सरदार पटेल ने प्रतिबंध लगा दिया था, जबकि भारतीय जनता पार्टी सरदार पटेल को अपना गुरु मानती है, इसके बाद भी संघ के साथ खड़ी है. कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि आज नहीं तो कल भाजपा की गलतियों की सजा देश को चुकानी पड़ेगी.
कुछ दिनों पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि उनकी निजी राय है कि आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए. खड़गे ने कहा कि देश की कानून व्यवस्था की ज्यादातर समस्याएं भाजपा और आरएसएस से जुड़ी हुई हैं. उन्होंने आरएसएस की विचारधारा को गलत बता दिया.
इसके साथ ही कुछ महीने पहले मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे ने भी कहा था कि केंद्र की सत्ता में अगर आए तो कानूनी प्रक्रिया के तहत आरएसएस को बैन कर देंगे, जिसके बाद से लगातार सियासत गर्मा रही है.
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एसएके/वीसी
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