New Delhi, 2 नवंबर . Supreme court Monday को देशभर में आवारा कुत्तों के प्रबंधन से संबंधित मामले की सुनवाई करेगा. इस मामले को स्वत: संज्ञान में लेने के बाद कोर्ट ने पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है.
इस मामले की सुनवाई जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की एक विशेष पीठ करेगी.
इससे पहले इस पीठ ने पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियम, 2023 को लागू करने के संबंध में शीर्ष अदालत के निर्देशों का कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा पालन न करने पर नाराजगी व्यक्त की थी.
27 अक्टूबर को पिछली सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने 22 अगस्त को जारी स्पष्ट आदेशों के बावजूद अधिकांश राज्य Governmentों द्वारा अनुपालन हलफनामा दायर करने में विफलता पर कड़ा रुख अपनाया था. Supreme court ने कहा था कि केवल पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने ही अपने हलफनामे प्रस्तुत किए हैं.
जस्टिस विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली पीठ ने टिप्पणी की थी कि क्या अधिकारियों ने अखबार या social media नहीं पढ़ा? क्या उन्होंने नहीं पढ़ा, अगर उन्हें नोटिस नहीं दिया गया तो भी हलफनामा यहां होना चाहिए था. सभी राज्यों के मुख्य सचिव 3 नवंबर को यहां मौजूद रहें.”
31 अक्टूबर को Supreme court ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के मुख्य सचिवों को वर्चुअल रूप से पेश होने की अनुमति देने के अनुरोध को खारिज कर दिया था और निर्देश दिया था कि उन्हें शीर्ष अदालत के समक्ष शारीरिक रूप से उपस्थित होना होगा.
सर्वोच्च न्यायालय ने इससे पहले सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एबीसी नियमों को लागू करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण देते हुए हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था, जिसमें नसबंदी अभियान, टीकाकरण कार्यक्रम और पशु आश्रयों और बाड़ों की स्थापना शामिल है.
सर्वोच्च न्यायालय ने इससे पहले सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एबीसी नियमों को लागू करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण देते हुए हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था, जिसमें नसबंदी अभियान, टीकाकरण कार्यक्रम और पशु आश्रयों और बाड़ों की स्थापना शामिल है.
कोर्ट ने कहा था कि लगातार गैर-अनुपालन के लिए दंडात्मक उपाय और जुर्माना लगाया जा सकता है. इस मामले मे कई निवासी कल्याण संघों और व्यक्तियों की ओर से हस्तक्षेप याचिकाएं आई हैं, सर्वोच्च न्यायालय इनकी बारीकी से निगरानी कर रही है. अदालत ने कहा था कि यह मुद्दा न केवल सार्वजनिक सुरक्षा बल्कि देश की वैश्विक छवि से भी जुड़ा है.
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एएसएच/वीसी
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