ठाणे, 15 सितंबर . आजादी के 78 वर्ष बाद भी ठाणे जिले के शहापुर तालुका के वंचित आदिवासी समाज को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखने के खिलाफ श्रमजीवी संगठन-Maharashtra ने Monday को जोरदार विरोध प्रदर्शन किया. संगठन ने शहापुर के चार प्रमुख Governmentी कार्यालयों, वन विभाग, आदिवासी विकास विभाग, तहसील कार्यालय और पंचायत समिति कार्यालय, पर एक साथ धड़क मोर्चा निकालकर घेराव किया.
प्रदर्शन के लिए सुबह 11 बजे शहापुर बस स्टैंड से शुरू हुए ‘मूलभूत हक मोर्चा’ में हजारों आदिवासी बंधु शामिल हुए, जो शासन-प्रशासन की लंबी उपेक्षा से आक्रोशित हैं. यह आंदोलन आदिवासी समाज की दशकों पुरानी मांगों को लेकर एक नया संकल्प लेता दिखा, जहां संगठन ने चेतावनी दी कि यदि शासन ने तत्काल कदम नहीं उठाए, तो संघर्ष और उग्र रूप धारण कर लेगा.
शहापुर तालुका, जो ठाणे जिले का हिस्सा है, आदिवासी बहुल क्षेत्र है. यहां कातकरी, थाकुर और अन्य जनजातियां निवास करती हैं, लेकिन कई पाड़े (टोले) आज भी अंधेरे में डूबे हैं. बिजली, सड़क, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं इन क्षेत्रों तक नहीं पहुंची हैं. संगठन के अनुसार, तालुका के 70 से अधिक पाड़ों में सड़कें नहीं हैं, जिससे स्वास्थ्य आपातकाल में लोगों की जान पर बन आती है. इसी अन्याय के खिलाफ यह मोर्चा एकजुट हुआ, जो आदिवासी समाज की लंबित मांगों को केंद्र में रखता है.
संगठन के तालुका अध्यक्ष मालु हुमणे, सचिव प्रकाश खोडका और ठाणे जिला सरचिटणीस दशरथ भालके ने मीडिया से बातचीत में कहा, “हमारी मांगें बार-बार शासन तक पहुंचाई गईं, लेकिन केवल आश्वासनों का सिलसिला चला. अब प्रशासन ने गंभीरता नहीं दिखाई तो आंदोलन उग्र होगा, और इसकी पूरी जिम्मेदारी शासन पर होगी.”
मोर्चे के दौरान संगठन ने शासन के समक्ष 12 प्रमुख मांगें रखीं, जो आदिवासी समाज के समग्र विकास से जुड़ी हैं. इनमें वन भूमि में ढाई एकड़ जमीन गांवठाण (समुदाय भवन) के लिए तत्काल मंजूर करना, नए गांवठाणों को शहरी सुविधाएं प्रदान करना और हर पाड़े में श्मशानभूमि और सड़कें बनाना शामिल है. इसके अलावा, लंबित व्यक्तिगत वनहक दावों को मंजूर करना, उंभरई के आद्य क्रांतिकारी राघोजी भांगरे की समाधि का जीर्णोद्धार और स्मारक निर्माण और पाड़ों को मुख्य गांव से जोड़ने वाली संपर्क सड़कें पूरी करना प्रमुख हैं.
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एससीएच
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