Next Story
Newszop

बिहार के समस्तीपुर में अप्रैल की शुरुआत में ही सिकुड़ने लगी बूढ़ी गंडक, 27 फीट तक गिरा भूजल स्तर

Send Push

समस्तीपुर, 11 अप्रैल . बिहार के समस्तीपुर जिले में जल संकट ने समय से पहले ही दस्तक दे दी है. शहर के बीचोंबीच बहने वाली बूढ़ी गंडक नदी अप्रैल की शुरुआत में ही सिकुड़ने लगी है. बहादुरपुर, जितवारपुर, हकीमाबाद, अंगारघाट जैसे दर्जनों स्थानों पर नदी की धारा बहुत पतली हो गई है, जिससे स्थानीय लोग चिंतित हैं. यह स्थिति पहले कभी इतनी जल्दी सामने नहीं आई थी.

वहीं, जिले के अधिकतर तालाब और नदियां भी सूखने की कगार पर हैं. इसका सीधा असर भूगर्भीय जलस्तर पर पड़ा है, जो औसतन 22 फीट नीचे चला गया है. सबसे गंभीर स्थिति पूसा प्रखंड में देखी गई है, जहां जलस्तर 27 फीट तक गिर गया है. समस्तीपुर और सरायरंजन में भी भूजल स्तर में 26 फीट की गिरावट दर्ज की गई है.

गंगा किनारे बसे मोहिउद्दीननगर और मोहनपुर में भी जलस्तर क्रमशः 20-23 फीट तक नीचे चला गया है. लगातार गिरते जलस्तर को देखते हुए आने वाले महीनों में जिले में गंभीर जल संकट की आशंका जताई जा रही है.

लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) को सरकार ने इस स्थिति को लेकर अलर्ट किया है. हर 15 दिन पर जलस्तर की स्थिति की समीक्षा की जा रही है. कार्यपालक अभियंता कुमार अभिषेक ने बताया कि बारिश की कमी और नदी-नालों के सूखने के कारण भूजल स्तर में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है.

राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के मौसम विभाग के अनुसार, साल 2024 में जिले में केवल 783 मिमी वर्षा हुई, जबकि दीर्घकालिक औसत 1,250 मिमी है. सितंबर और अक्टूबर में सामान्य से 80 प्रतिशत कम वर्षा हुई. वहीं, नवंबर से मार्च तक बारिश न के बराबर रही.

कृषि वैज्ञानिक डॉ. अब्दुल सत्तार ने बताया कि नमी की कमी के कारण मेढ़क, केंचुआ, केकड़ा जैसे जीव विलुप्त हो सकते हैं, जिससे खेतों में शत्रु कीटों का खतरा बढ़ जाएगा. साथ ही चापाकल (हैंडपंप) सूखने लगेंगे और मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी प्रभावित होगी.

विशेषज्ञों का मानना है कि जल संकट की यह स्थिति चिंता का विषय है. अगर समय रहते पर्याप्त बारिश नहीं हुई और जल संरक्षण के उपाय नहीं किए गए, तो समस्तीपुर सहित पूरे जिले को भीषण जल संकट का सामना करना पड़ सकता है.

डीएससी/एकेजे

The post first appeared on .

Loving Newspoint? Download the app now