लाइव हिंदी खबर :-सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश ना मिलने पर राजनीतिक और धार्मिक बहस पुरानी है। पहले भी कई बार यह विवाद आक्रामक रुख अख्तियार कर चुका है। ताजा विवाद सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद शुरू हुआ जिसमें सर्वोच्च अदालत ने सभी आयु वर्ग की महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में जाने की इजाजत दे दी। इससे पहले तक सबरीमाला मंदिर में रजस्वला महिलाओं के प्रवेश पर पूरी तरह प्रतिबंध था।
उच्चतम न्यायालय की पाँच जजों की पीठ ने इस प्रतिबंध को असंवैधानिक घोषित कर दिया है। लेकिन अयप्पा के भक्त महिलाओं के मंदिर में प्रवेश का विरोध क्यों कर रहे हैं? इसके पीछे उनकी पौराणिक धार्मिक मान्यता है जिससे जुड़ा किस्सा हम आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं। यह किस्सा भगवान अयप्पा की कथित प्रेमकहानी से सम्बन्धित है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान अयप्पा भगवान शिव और भगवान विष्णु (मोहिनी रूप) के पुत्र हैं। कहते हैं कि समुद्र मंथन के दौरान जब भगवान विष्णु ने दैत्यों से अमृत लेने के लिए सुंदर स्त्री रूप धारण किया था, जिसे मोहिनी के नाम से जानते हैं, तो उसे देख भगवान शिव मोहित हो गए थे। इसके बाद ही एक पुत्र का जन्म हुआ था जिसे शिव ने दक्षिण भारत में पंपा नदी के किनारे छोड़ दिया था।
अयप्पा को मिली सुंदर स्त्रीवहां राजा राजशेखरा को वे मिले। उन्होंने ही 12 वर्ष तक अय्यपा का पालन पोषण किया। कहा जाता है कि अय्यप्पा के जन्म का उद्देश्य एक राक्षसी का वध करना था। बड़े होने पर अयप्पा ने राजमहल के सुख का त्याग किया और अपना मकसद पूरा करने निकल गए। उन्होंने उस राक्षसी का वध किया लेकिन जैसे ही उसकी मृत्यु हुई उसके भीतर से एक सुंदर कन्या प्रकट हो गई। पुराणों में इस स्त्री को मलिकापुरुथम्मा के नाम से जाना गया है।
अयप्पा के सामने प्रकट होते ही मलिकापुरुथम्मा ने उनसे विवाह करने का प्रस्ताव रख दिया। किन्तु अयप्पा ने उसी क्षण प्रस्ताव ठुकरा दिया और कहा कि उन्हें सबरीमाला जाना है जहां उनके भक्त उनका इन्तजार कर रहे हैं। लेकिन अगर वो चाहे तो कुछ समय के बाद सबरीमाला आ सकती है। लेकिन वहां आकर उसे पहले कन्नी-स्वामी (सबरीमाला का भक्त समूह) से मिलना होगा। अगर वो विवाह की अनुमति दे दें तो यह विवाह संभव है, अन्यथा नहीं।
सबरीमाला के भक्तों ने तब भी किया था विरोधभगवान अयप्पा के चले जाने के कुछ समय बाद मलिकापुरुथम्मा सबरीमाला आई। लेकिन भक्तों ने विवाह की अनुमति नहीं दी क्योंकि अगर ऐसा होता तो भगवान अयप्पा उन्हें छोड़कर चले जाते। यही कारण है कि भक्तों ने ना तो मलिकापुरुथम्मा को भीतर जाने की इजाजत दी और ना ही कभी किसी महिला को (जो प्रजनन चक्र से गुजर रही हो) मंदिर में जाने की अनुमति दी गई।
सबरीमाला मंदिर के पास बना मंदिरकहा जाता है कि आज भी मलिकापुरुथम्मा सबरीमाला मंदिर के आसपास ही भगवान अयप्पा का इन्तजार कर रही है। उनके सम्मान में मंदिर के पास एक और मंदिर बना है जो कि देवी मलिकापुरुथम्मा को समर्पित है। इस देवी की पूजा पुरुष और महिलाएं दोनों कर सकते हैं।
एक अन्य मान्यता यह भी कहती है कि 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश ना करने का एक कारण ये भी है कि भक्त देवी मलिकापुरुथम्मा को निराश नहीं करना चाहते। वे भगवान अयप्पाऔर मलिकापुरुथम्मा की प्रेम कहानी का सम्मान करते हैं, इसलिए कोई भी महिला भगवान अयप्पा के सामने नहीं जा सकती है।
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