Harvard University News: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बीच चल रही तकरार ने एक नया मोड़ ले लिया है। सरकार ने यूनिवर्सिटी को चेतावनी दी है कि उसकी मान्यता खतरे में पड़ सकती है। विदेशी छात्रों से जुड़ी जानकारी के लिए यूनिवर्सिटी को औपचारिक रूप से समन भेजने की भी तैयारी हो रही है। अगर हार्वर्ड की मान्यता रद्द होती है तो यहां पढ़ने वाले हजारों छात्रों का भविष्य अधर में लटक जाएगा। इसमें 800 भारतीय छात्र भी हैं, जो यहां डिग्री ले रहे हैं।
Video
डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन और डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज ने कहा है कि उन्होंने 'न्यू इंग्लैंड कमीशन ऑफ हायर एजुकेशन' को नोटिफिकेशन भेजा है। इसमें बताया गया है कि हार्वर्ड ने कहीं न कहीं एंटी-डिस्क्रिमिनेशन कानूनों का उल्लंघन किया है और कमीशन की तरफ से मान्यता को लेकर तय किए गए स्टैंडर्ड को पूरा करने में फेल हुआ है। नोटिफिकेशन में हार्वर्ड में इजरायल-हमास युद्ध के बाद पिछले साल हुए कैंपस में प्रदर्शनों का हवाला दिया गया है, जिसे यहूदी विरोधी माना जा रहा है।
हार्वर्ड मान्यता स्टैंडर्ड का पालन कर रहा, साबित करें: शिक्षा मंत्री
शिक्षा मंत्री लिंडा मैकमोहन ने कहा, "हार्वर्ड ने अपने कैंपस में यहूदी विरोधी उत्पीड़न और भेदभाव को जारी रहने दिया। ऐसा करके यूनिवर्सिटी छात्रों, प्रोफेसर्स और अमेरिकी टैक्सपेयर्स के प्रति अपने दायित्वों को पूरा करने में फेल हुआ है।" उन्होंने कहा, "मंत्रालय उम्मीद करता है कि 'न्यू इंग्लैंड कमीशन ऑफ हायर एजुकेशन' अपनी पॉलिसी और प्रैक्टिस को लागू करेगा। साथ ही डिपार्टमेंट उम्मीद करता है कि संगठन हमें ये सुनिश्चित कराए कि हार्वर्ड संघीय कानून और मान्यता स्टैंडर्ड का अनुपालन कर रहा है।"
सरकार और हार्वर्ड के बीच विवाद क्यों है?
दरअसल, पिछले साल हार्वर्ड में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और मांग की कि इजरायल को किसी भी तरह के हथियार सप्लाई नहीं किए जाएं। ट्रंप सरकार का कहना है कि प्रदर्शनों में यहूदी विरोधी भावना देखने को मिली। सरकार ने हार्वर्ड से उन विदेशी छात्रों के नाम मांगे, जिन्होंने प्रदर्शन में हिस्सा लिया। यूनिवर्सिटी ने नाम देने से इनकार कर दिया, जिसके बाद से ही हार्वर्ड और ट्रंप सरकार के बीच विवाद खड़ा हो गया है।
Video
डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन और डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज ने कहा है कि उन्होंने 'न्यू इंग्लैंड कमीशन ऑफ हायर एजुकेशन' को नोटिफिकेशन भेजा है। इसमें बताया गया है कि हार्वर्ड ने कहीं न कहीं एंटी-डिस्क्रिमिनेशन कानूनों का उल्लंघन किया है और कमीशन की तरफ से मान्यता को लेकर तय किए गए स्टैंडर्ड को पूरा करने में फेल हुआ है। नोटिफिकेशन में हार्वर्ड में इजरायल-हमास युद्ध के बाद पिछले साल हुए कैंपस में प्रदर्शनों का हवाला दिया गया है, जिसे यहूदी विरोधी माना जा रहा है।
हार्वर्ड मान्यता स्टैंडर्ड का पालन कर रहा, साबित करें: शिक्षा मंत्री
शिक्षा मंत्री लिंडा मैकमोहन ने कहा, "हार्वर्ड ने अपने कैंपस में यहूदी विरोधी उत्पीड़न और भेदभाव को जारी रहने दिया। ऐसा करके यूनिवर्सिटी छात्रों, प्रोफेसर्स और अमेरिकी टैक्सपेयर्स के प्रति अपने दायित्वों को पूरा करने में फेल हुआ है।" उन्होंने कहा, "मंत्रालय उम्मीद करता है कि 'न्यू इंग्लैंड कमीशन ऑफ हायर एजुकेशन' अपनी पॉलिसी और प्रैक्टिस को लागू करेगा। साथ ही डिपार्टमेंट उम्मीद करता है कि संगठन हमें ये सुनिश्चित कराए कि हार्वर्ड संघीय कानून और मान्यता स्टैंडर्ड का अनुपालन कर रहा है।"
सरकार और हार्वर्ड के बीच विवाद क्यों है?
दरअसल, पिछले साल हार्वर्ड में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और मांग की कि इजरायल को किसी भी तरह के हथियार सप्लाई नहीं किए जाएं। ट्रंप सरकार का कहना है कि प्रदर्शनों में यहूदी विरोधी भावना देखने को मिली। सरकार ने हार्वर्ड से उन विदेशी छात्रों के नाम मांगे, जिन्होंने प्रदर्शन में हिस्सा लिया। यूनिवर्सिटी ने नाम देने से इनकार कर दिया, जिसके बाद से ही हार्वर्ड और ट्रंप सरकार के बीच विवाद खड़ा हो गया है।
You may also like
अमेरिका की कंपनी के लिए फ्रीलांसिंग कर घर बैठे कमाएं लाखों रुपये, टॉप-5 प्लेटफॉर्म पर मिलेगी जॉब
Kylie Kelce ने Taylor Swift को बताया अपना जादुई सहारा
हैरी कैविल की सुपरमैन वापसी पर सवाल: नई फिल्म में बदलाव
LIC में फिर IPO लाएगी सरकार, लेनदेन की बारीकियों पर काम करेगा विनिवेश विभाग
पुणे शहर का सपना पूरा हुआ : मिलिंद एकबोटे