Tips For Study in Australia: बहुत से भारतीय छात्रों को लगता है कि विदेश में पढ़ने के लिए सिर्फ फर्राटेदार अंग्रेजी आनी चाहिए। हालांकि, ये बात कुछ हद तक सही भी है, लेकिन ये विदेश में पढ़ने का सिर्फ एक ही पहलू है। दूसरा पहलू ये है कि आपको ना सिर्फ भाषा आनी चाहिए, बल्कि यहां पढ़ाए जाने वाले तरीकों से तालमेल बिठाना, सांस्कृतिक अंतरों को समझना और रोजमर्रा के जीवन में हो रहे बदलाव के साथ रहना भी सिखना पड़ता है। जो ये नहीं कर पाता है, उसे दिक्कतें उठानी पड़ती हैं।
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सिडनी यूनिवर्सिटी में बैचलर ऑफ कॉमर्स की फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट मिष्ठी मित्तल ने ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने के अपने एक्सपीरियंस को शेयर किया है। उन्होंने उन चीजों के बारे में बात की है, जिनकी जानकारी रखने वाले स्टूडेंट्स को यहां पढ़ने आने पर दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। मिष्ठी का कहना है कि यहां पर सिर्फ अंग्रेजी आने से काम नहीं चलता है, बल्कि यहां की संस्कृति काफी अलग है, जिसके साथ तालमेल बिठाना बेहद जरूरी है। उन्होंने यहां पढ़ाए जाने वाले तरीकों को लेकर भी बात की।
रट्टा मारना छोड़कर, क्रिटिकल थिंकिंग सीखनी होगी
भारतीय छात्रा ने कहा, 'एक आम मिथ है कि अगर आप फर्राटेादर अंग्रेजी जानते हैं, तो फिर आपके लिए विदेश में पढ़ना आसान हो जाएगा। लेकिन भाषा के अलावा, लोगों के सोचने, बातचीत करने और यहां तक कि पढ़ाई के प्रति उनके दृष्टिकोण में भी एक सांस्कृतिक बदलाव दिखता है। इसके लिए अभ्यस्त होने की जरूरत होती है।' मिष्ठी ने आगे कहा, इसका मतलब है कि आपको रट्टा मारने की आदत छोड़नी होगी और एक ऐसे सिस्टम में ढलना होगा, जो क्रिटिकल थिंकिंग और प्रॉब्लम सॉल्विंग पर जोर देता है।
मिष्ठी ने बताया कि अकेडमिक सिस्टम में ढलना जरूरी होता है। सिडनी में पढ़ाई निबंध लिखने, असल दुनिया की केस स्टडी और रिसर्च के इर्द-गिर्द घूमती है। पीयर असिस्टेड स्टडी सेशंस (PASS) प्रोग्राम जैसी सपोर्ट सिस्टम और ट्यूटर्स पढ़ाई को लेकर होने वाले इस बदलाव को आसान बनाने में मदद करते हैं।
संस्कृति और सोशल लाइफ में फिट होना
ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने के लिए यहां के समाज में फिट होना जरूरी है। उदाहरण के लिए मिष्ठी ने बताया कि यहां आने के बाद पहले हफ्ते में उन्हें उत्सुकता और तनाव दोनों था। उन्हों कहा कि यहां दुकानें जल्दी बंद हो जाती हैं और शहर शांत हो जाता है, तब आपको मालूम चलता है कि विदेश में जिंदगी कैसी है। मिष्ठी ने कहा कि घर की याद आना आम बात है, खासतौर पर त्योहारों के समय। लेकिन घर वालों से हमेशा बात करने से ये समस्या भी दूर हो जाती है।
ओरिएंटेशन वीक और प्री-डिपार्चर इवेंट ने छात्रों को जल्दी से जुड़ाव बनाने में मदद की। आगमन से पहले सहपाठियों से मिलना और सोशल एक्टिविटी में भाग लेने से यूनिवर्सिटी के लोगों के साथ घुलना-मिलना और उसका हिस्सा महसूस करना आसान हो जाता है। मिष्ठी इस बात पर जोर देती हैं कि नए देश में कम अलग-थलग महसूस करने के लिए जल्दी से रिश्ते बनाना बेहद जरूरी हो सकता है।
पैसे को मैनेज करना
विदेश में पढ़ने के लिए पैसे को मैनेज करना बेहद जरूरी होता है। मिष्ठी की तीन साल की पढ़ाई का खर्च 43 हजार ऑस्ट्रेलियाई डॉलर है। इसके अलावा वह हर महीने रहने-खाने पर 2500 से 3500 डॉलर खर्च करती हैं। उन्हें यूनिवर्सिटी की तरफ से 20% की आर्थिक सहायता भी मिलती है, जिसने उनका बजट काफी कम किया है। रहने की व्यवस्था करना बेहद जरूरी होता है। मिष्ठी सिडनी यूनिवर्सिटी विलेज में पांच बेडरूम वाले एक अपार्टमेंट में रहती हैं, जहां वह हर हफ्ते 456 डॉलर किराया देती हैं।
मिष्ठी ने स्टूडेंट्स को सलाह दी कि वे उन जगहों पर रहें, जहां से पब्लिक ट्रांसपोर्ट करीब है। किसी भी फ्लैट या अपार्टमेंट को लेने से पहले उसकी अच्छी तरह से जांच करें और ऑनलाइन स्कैम से बचकर रहें। उन्होंने बताया कि खुद से खाना बनाने, डिस्काउंट वाले स्टूडेंट ट्रांसपोर्ट कार्ड का इस्तेमाल करने और बजटिंग एप्स का इस्तेमाल करने से जीवन आसान हो जाता है।
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सिडनी यूनिवर्सिटी में बैचलर ऑफ कॉमर्स की फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट मिष्ठी मित्तल ने ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने के अपने एक्सपीरियंस को शेयर किया है। उन्होंने उन चीजों के बारे में बात की है, जिनकी जानकारी रखने वाले स्टूडेंट्स को यहां पढ़ने आने पर दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। मिष्ठी का कहना है कि यहां पर सिर्फ अंग्रेजी आने से काम नहीं चलता है, बल्कि यहां की संस्कृति काफी अलग है, जिसके साथ तालमेल बिठाना बेहद जरूरी है। उन्होंने यहां पढ़ाए जाने वाले तरीकों को लेकर भी बात की।
रट्टा मारना छोड़कर, क्रिटिकल थिंकिंग सीखनी होगी
भारतीय छात्रा ने कहा, 'एक आम मिथ है कि अगर आप फर्राटेादर अंग्रेजी जानते हैं, तो फिर आपके लिए विदेश में पढ़ना आसान हो जाएगा। लेकिन भाषा के अलावा, लोगों के सोचने, बातचीत करने और यहां तक कि पढ़ाई के प्रति उनके दृष्टिकोण में भी एक सांस्कृतिक बदलाव दिखता है। इसके लिए अभ्यस्त होने की जरूरत होती है।' मिष्ठी ने आगे कहा, इसका मतलब है कि आपको रट्टा मारने की आदत छोड़नी होगी और एक ऐसे सिस्टम में ढलना होगा, जो क्रिटिकल थिंकिंग और प्रॉब्लम सॉल्विंग पर जोर देता है।
मिष्ठी ने बताया कि अकेडमिक सिस्टम में ढलना जरूरी होता है। सिडनी में पढ़ाई निबंध लिखने, असल दुनिया की केस स्टडी और रिसर्च के इर्द-गिर्द घूमती है। पीयर असिस्टेड स्टडी सेशंस (PASS) प्रोग्राम जैसी सपोर्ट सिस्टम और ट्यूटर्स पढ़ाई को लेकर होने वाले इस बदलाव को आसान बनाने में मदद करते हैं।
संस्कृति और सोशल लाइफ में फिट होना
ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने के लिए यहां के समाज में फिट होना जरूरी है। उदाहरण के लिए मिष्ठी ने बताया कि यहां आने के बाद पहले हफ्ते में उन्हें उत्सुकता और तनाव दोनों था। उन्हों कहा कि यहां दुकानें जल्दी बंद हो जाती हैं और शहर शांत हो जाता है, तब आपको मालूम चलता है कि विदेश में जिंदगी कैसी है। मिष्ठी ने कहा कि घर की याद आना आम बात है, खासतौर पर त्योहारों के समय। लेकिन घर वालों से हमेशा बात करने से ये समस्या भी दूर हो जाती है।
ओरिएंटेशन वीक और प्री-डिपार्चर इवेंट ने छात्रों को जल्दी से जुड़ाव बनाने में मदद की। आगमन से पहले सहपाठियों से मिलना और सोशल एक्टिविटी में भाग लेने से यूनिवर्सिटी के लोगों के साथ घुलना-मिलना और उसका हिस्सा महसूस करना आसान हो जाता है। मिष्ठी इस बात पर जोर देती हैं कि नए देश में कम अलग-थलग महसूस करने के लिए जल्दी से रिश्ते बनाना बेहद जरूरी हो सकता है।
पैसे को मैनेज करना
विदेश में पढ़ने के लिए पैसे को मैनेज करना बेहद जरूरी होता है। मिष्ठी की तीन साल की पढ़ाई का खर्च 43 हजार ऑस्ट्रेलियाई डॉलर है। इसके अलावा वह हर महीने रहने-खाने पर 2500 से 3500 डॉलर खर्च करती हैं। उन्हें यूनिवर्सिटी की तरफ से 20% की आर्थिक सहायता भी मिलती है, जिसने उनका बजट काफी कम किया है। रहने की व्यवस्था करना बेहद जरूरी होता है। मिष्ठी सिडनी यूनिवर्सिटी विलेज में पांच बेडरूम वाले एक अपार्टमेंट में रहती हैं, जहां वह हर हफ्ते 456 डॉलर किराया देती हैं।
मिष्ठी ने स्टूडेंट्स को सलाह दी कि वे उन जगहों पर रहें, जहां से पब्लिक ट्रांसपोर्ट करीब है। किसी भी फ्लैट या अपार्टमेंट को लेने से पहले उसकी अच्छी तरह से जांच करें और ऑनलाइन स्कैम से बचकर रहें। उन्होंने बताया कि खुद से खाना बनाने, डिस्काउंट वाले स्टूडेंट ट्रांसपोर्ट कार्ड का इस्तेमाल करने और बजटिंग एप्स का इस्तेमाल करने से जीवन आसान हो जाता है।
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