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आजादी के 77 साल बाद भी UP के इस गांव के मजरों की नहीं बदली तस्वीर, पूरे गांव में लोग घरों में जलाते हैं दीपक

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पंकज मिश्रा, हमीरपुरः उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में एक गांव के तमाम मडरों की आजादी के ७७ साल बाद भी तस्वीर नहीं बदली। पक्की सड़क न बनने से गांव के मजरों के लोग दलदले रास्ते से निकलने को मजबूर है। हजारों ग्रामीण आज भी दीएं की रोशनी में रात गुजारते है। वहीं हाईस्कूल और बारहवीं की पढ़ाई के लिए बच्चों को कई किमी दूर जाना पड़ता है। बारिश के मौसम में तो इस गांव के मजरों में प्रसव पीड़ा की महिलाओं के लिए सरकारी एम्बुलेंस तक नहीं पहुंच पाती है।हमीरपुर जिले के तीन सौ तीस ग्राम पंचायतों में एक ऐसी ग्राम पंचायत के तीन मजरे है जहां आजादी के साढ़े सात दशक बाद भी ग्रामीणों का जीवन बदतर है। जिले के कुरारा विकास खंड क्षेत्र के बेरी ग्राम पंचायत के इंदपुरी, बिंदपुरी और बरौली के अलावा तीन और डेरे बसे। जहां के हजारों बाशिदें कच्चे और खस्ताहाल रास्ते से निकलने को मजबूर है। इंदपुरी, बिंदपुरी, बरौली समेत अन्य तमाम मजरों की आबादी कम से कम तीन हजार है। जहां के लोगों की जिंदगी बंजारों की तरह गुजर रही है। बरसात के मौसम में इन मजरों के चारों ओर पानी भर जाता है जिससे ग्रामीणों का निकलना भी दुश्वार हो जाता है।आजादी के 77 साल बीतने के बाद भी गांव और तमाम मजरों की तस्वीर आज भी बदरंग है। इन मजरों के लोग विकास से दूर है। हाईस्कूल और बारहवीं की पढ़ाई के लिए गरीब परिवारों के बच्चों को कई चार किमी दूर कुरारा जाना पड़ता है। बच्चों की मजबूरी भी पैदल जाने की होती है। कई लड़कियां भी ऐसी है जो साइकिल से पढ़ने चार किमी दूर स्कूल जाती है। प्रसव पीड़ा होने पर गांव में सरकारी एम्बुलेंस तक नहीं पहुंचा पाती है। गांव के सरपंच का कहना है कि इन मजरों के लिए सड़क निर्माण कराने के लिए लेटर लिखा जा रहा है। आजादी के कई दशक बाद भी आज तक नही बनी पक्की सड़कग्राम पंचायत बेरी में कभी रियासत रही है। उस जमाने में बेरी स्टेट के राजा आसपास के दर्जनों गांवों और मजरों में बुनियादी सुविधाएं ग्रामीणों को मुहैया कराते थे लेकिन रियासत खत्म होने के बाद जब लोकतंत्र स्थापित हुआ तो ज्यादातर गांव के मजरे बद से बदतर हो गए है। इन मजरों से आज तक कोई सरपंच भी नहीं बना। बेरी ग्राम पंचायत के आधीन इन मजरों के सरपंच अनिल अनुरागी का कहना है कि आजादी के इतने बरस बीत गए है लेकिन इन मजरों में आज तक एक भी पक्की सड़क नहीं बन सकी। गांव के मजरे में लगाए गए बिजली के पोल भी अब बने मजाकगांवों में ग्रामीणों को शिक्षा से जोड़ने के लिए अभियान चलाने वाले समर्थ फाउंडेशन के सचिव देवेन्द्र गांधी ने बताया कि इंदपुरी, बिंदपुरी, बरौली और आसपास के तमाम मजरों की तस्वीर बेहद चिंताजनक है। इन मजरों के हजारों लोगों को आज तक पक्की सड़क की सुविधा नहीं मिल पाई है वहीं बिजली की रोशनी से ये मजरे वंचित है। बताया कि इन मजरों में प्राइमरी स्कूल ही संचालित है जबकि बिजली सप्लाई के लिए मजरों में पोल लगाने के बाद आज तक बिजली से मजरे रोशन नहीं हुए। लोग दीएं की रोशनी जलाते हैं।
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