लखनऊ: बीजेपी के पूर्व विधायक और मुस्लिम बाहुल्य सीट पर जीत दर्ज करने वाले राघवेंद्र प्रताप सिंह का एक बयान इस समय छाया हुआ है। उन्होंने कहा कि हमारी दो ले गए, तो तुम उनकी 10 लाओ। उनका कहने का मतलब था कि हमारी दो बेटी-बहनों को लेकर गए हैं तो तुम उनकी 10 ले आओ। अब इस पर सियासी भूचाल आ गया है। विपक्ष पूर्व विधायक के बयान पर बीजेपी को घेर रहा है। इन सभी सियासी उठापटक के बीच आइए जानते हैं राघवेंद्र प्रताप सिंह कौन हैं?
1 अप्रैल 1966 को बस्ती जिले में राघवेंद्र प्रताप सिंह का जन्म हुआ था। ग्रेजुएशन की पढ़ाई गोरखपुर स्थित दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय से की। पढ़ाई पूरी होते ही वह योगी आदित्यनाथ के संपर्क में आ गए। यही से उनकी राजनीति में एंट्री हुई। बीए करने के बाद योगी से मुलाकात हुई और युवा वाहिनी से जुड़ गए। इसके बाद युवा वाहिनी में काम करने के दौरान उनका कद तेजी से बढ़ा। उनको हिंदू युवा वाहिनी का प्रदेश प्रभारी बना दिया गया। इसके बाद उनकी राजनीति में एक अलग छवि की पहचान शुरू हुई। लोग उनको हिंदू नेता के रूप में पहनाने लगे और वह एक फायरब्रांड नेता बन गए।
सपा सरकार ने जब अपनी सरकार बनाई थी, उस समय 2012 में सिद्धार्थनगर की मुस्लिम बाहुल्य सीट डुमरियागंज से राघवेंद्र प्रताप सिंह को टिकट मिला था। यह टिकट उनको योगी आदित्यनाथ की नजदीकी के चलते मिला। हालांकि, राघवेंद्र प्रताप सिंह को पीस पार्टी के प्रत्याशी के हाथों हार मिली और वह चौथे नंबर पर रहे थे। इसके बाद 2017 में एक बार फिर से बीजेपी ने उन पर भरोसा जताया और उनको टिकट दिया। इस बार उन्होंने बसपा उम्मीदवार सैय्यदा खातून को 171 वोटों से हरा दिया। हालांकि, ये जीत छोटी थी, लेकिन मुस्लिम बाहुल्य होने के चलते बीजेपी के लिए काफी सुकून देने वाली जीत थी। तीसरी बार 2022 चुनाव में भी बीजेपी ने उन पर भरोसा जताया, लेकिन इस बार उनको सपा उम्मीदवार सैय्यदा खातून के हाथों हार मिली और वह दूसरे नंबर पर रहे थे।
क्या है बयान
बता दें कि 16 अक्टूबर को सिद्धार्थनगर के धनखरपुर गांव में एक जनसभा का आयोजन किया गया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि हमारे समाज की 2 लड़कियां ले गए, तुम मुसलमानों की 10 लड़कियां लाओ। 2 पे 10 से कम मंजूर नहीं है। उन्होंने आगे कहा था कि यह जो करेगा उसके खाने-पीने और नौकरी का इंतजाम हम करेंगे। अब उनके इस बयान का वीडियो काफी तेजी से वायरल हो रहा है।
1 अप्रैल 1966 को बस्ती जिले में राघवेंद्र प्रताप सिंह का जन्म हुआ था। ग्रेजुएशन की पढ़ाई गोरखपुर स्थित दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय से की। पढ़ाई पूरी होते ही वह योगी आदित्यनाथ के संपर्क में आ गए। यही से उनकी राजनीति में एंट्री हुई। बीए करने के बाद योगी से मुलाकात हुई और युवा वाहिनी से जुड़ गए। इसके बाद युवा वाहिनी में काम करने के दौरान उनका कद तेजी से बढ़ा। उनको हिंदू युवा वाहिनी का प्रदेश प्रभारी बना दिया गया। इसके बाद उनकी राजनीति में एक अलग छवि की पहचान शुरू हुई। लोग उनको हिंदू नेता के रूप में पहनाने लगे और वह एक फायरब्रांड नेता बन गए।
सपा सरकार ने जब अपनी सरकार बनाई थी, उस समय 2012 में सिद्धार्थनगर की मुस्लिम बाहुल्य सीट डुमरियागंज से राघवेंद्र प्रताप सिंह को टिकट मिला था। यह टिकट उनको योगी आदित्यनाथ की नजदीकी के चलते मिला। हालांकि, राघवेंद्र प्रताप सिंह को पीस पार्टी के प्रत्याशी के हाथों हार मिली और वह चौथे नंबर पर रहे थे। इसके बाद 2017 में एक बार फिर से बीजेपी ने उन पर भरोसा जताया और उनको टिकट दिया। इस बार उन्होंने बसपा उम्मीदवार सैय्यदा खातून को 171 वोटों से हरा दिया। हालांकि, ये जीत छोटी थी, लेकिन मुस्लिम बाहुल्य होने के चलते बीजेपी के लिए काफी सुकून देने वाली जीत थी। तीसरी बार 2022 चुनाव में भी बीजेपी ने उन पर भरोसा जताया, लेकिन इस बार उनको सपा उम्मीदवार सैय्यदा खातून के हाथों हार मिली और वह दूसरे नंबर पर रहे थे।
क्या है बयान
बता दें कि 16 अक्टूबर को सिद्धार्थनगर के धनखरपुर गांव में एक जनसभा का आयोजन किया गया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि हमारे समाज की 2 लड़कियां ले गए, तुम मुसलमानों की 10 लड़कियां लाओ। 2 पे 10 से कम मंजूर नहीं है। उन्होंने आगे कहा था कि यह जो करेगा उसके खाने-पीने और नौकरी का इंतजाम हम करेंगे। अब उनके इस बयान का वीडियो काफी तेजी से वायरल हो रहा है।
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