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जीने, सांस लेने के अधिकार की जगह पटाखे फोड़ने के अधिकार को... अमिताभ कांत ने SC के फैसले पर ये क्या कह दिया

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नई दिल्ली : दिल्ली में दिवाली के बाद जहरीली हवा का स्तर उम्मीद से भी अधिक पहुंच गया है। मंगलवार की सुबह धुंध के साथ ही दम घोंटने वाली हवा के साथ राजधानी वासियों की सुबह हुई। दिवाली के मौके पर लोगों ने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से पटाखे फोड़ने की मिली छूट का जमकर आनंद उठाया। हालांकि, दिवाली के बाद जिस तरह से सांसों पर संकट पैदा हो गया है, उसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट फैसले को लेकर भी सवाल उठने लग गए हैं। कहा जा रहा है कि शीर्ष अदालत ने जीने के अधिकार की जगह पटाखे फोड़ने के अधिकार को तरजीह दी।

भारत में 2023 जी-20 शिखर सम्मेलन के शेरपा और केंद्र के थिंक टैंक नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने कहा है कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता "बेहद खराब" है। प्रदूषण नियंत्रण के 'निर्मम और निरंतर कार्यान्वयन' से ही दिल्ली को 'स्वास्थ्य और पर्यावरणीय आपदा' से बचाया जा सकता है।

सांस लेने के अधिकार के ऊपर पटाखे जलाने को तरजीह
उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने "पटाखे जलाने के अधिकार को जीने और सांस लेने के अधिकार से ऊपर" रखा है। यह कड़ी टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब राष्ट्रीय राजधानी में लगातार पटाखे फोड़ने के बाद जहरीली हवा की एक मोटी परत जम गई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, दोपहर 1 बजे दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 357 था, जो 'बेहद खराब' श्रेणी में था।


सुप्रीम कोर्ट ने हटाया था बैन
सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में पटाखे फोड़ने पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया था। साथ ही, कहा था कि दिल्लीवासी दिवाली मनाने के लिए ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल कर सकते हैं। अदालत ने कहा कि वह "एक संतुलित दृष्टिकोण अपना रही है, परस्पर विरोधी हितों को ध्यान में रखते हुए और सीमित मात्रा में अनुमति देते हुए, उत्पन्न होने वाली पर्यावरणीय चिंताओं से समझौता नहीं कर रही है।

हालांकि, अदालत ने दो दिनों के लिए सुबह 6 बजे से 7 बजे और रात 8 बजे से 10 बजे के बीच पटाखे फोड़ने की अनुमति दी थी, लेकिन दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में आधी रात के बाद भी पटाखे फूटते देखे गए।
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