मुंबई: मराठा नेता मनोज जरांगे पाटिल ने आखिरकार आज पांचवें दिन अपना अनशन समाप्त कर दिया। मराठा कैबिनेट उप-समिति के प्रमुख राधाकृष्ण विखे पाटिल और समिति के अन्य सदस्यों की ओर से की गई मुलाकात सफल रही। महाराष्ट्र सरकार ने मनोज जरांगे की 8 में से 6 मांगें मान ली हैं। इसके बाद सरकारी प्रतिनिधिमंडल के अनुरोध पर मनोज जरांगे पाटिल ने जूस पीकर अपना अनशन वापस ले लिया। दरअसल मनोज जरांगे ने इच्छा जताई थी कि इस अवसर पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और दोनों उप-मुख्यमंत्री आएं। लेकिन उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी। सरकारी प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि सभी निर्णय मुख्यमंत्री और दोनों उप-मुख्यमंत्रियों के मार्गदर्शन में ही लिए गए थे। इसके बाद मनोज जरांगे पाटिल ने अपना अनशन समाप्त कर दिया।
मनोज जरांगे हुए भावुक
मनोज जरांगे पाटिल ने जब अपना अनशन समाप्त किया, तो आजाद मैदान में माहौल बेहद उत्सवी था। पूरे मैदान में गुलाल उड़ाया जा रहा था। इस दौरान मनोज जरांगे पाटिल की आंखों में खुशी के आंसू आ गए और वह बेहद भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि आज हमारे लिए दिवाली है।इस अवसर पर सरकारी प्रतिनिधिमंडल ने मनोज जरांगे का अभिनंदन किया। प्रदर्शनकारियों ने मनोज जरांगे के नाम के नारे भी लगाए। इसके बाद वह मेडिकल जांच के लिए एंबुलेंस से आजाद मैदान से रवाना हुए।
कुनबी दर्जा मिलने से क्या होगा?
जरांगे की घोषणा से उनके समर्थकों में जहां जश्न का माहौल है, वहीं मुंबईवासियों को राहत मिली है। कुनबी दर्जा मिलने से मराठा समुदाय के सदस्य ओबीसी आरक्षण का दावा करने के पात्र हो जाएंगे, जो जरांगे की प्रमुख मांग है। इससे पहले दिन में बॉम्बे हाईकोर्ट ने जरांगे और प्रदर्शनकारियों को दोपहर तीन बजे तक आजाद मैदान खाली करने का निर्देश दिया था, क्योंकि वे बिना अनुमति के धरना दे रहे थे। बाद में, अदालत ने जरांगे के इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया कि उन्हें बुधवार सुबह तक अनशन स्थल पर ही रहने की अनुमति दी जाए।
मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने की मुलाकात
हाईकोर्ट की ओर से स्थिति से निपटने के तरीके को लेकर राज्य सरकार की खिंचाई करने और बुधवार सुबह तक कानून की गरिमा बनाए रखने के लिए किसी भी हद तक जाने की चेतावनी देने के बाद, मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल की अध्यक्षता में एक मंत्रिमंडलीय उप-समिति ने दोपहर में विरोध स्थल पर जरांगे से मुलाकात की। महाराष्ट्र के अलग-अलग हिस्सों से हजारों प्रदर्शनकारियों के साथ 29 अगस्त को जरांगे आजाद मैदान पहुंचे और ओबीसी श्रेणी के तहत मराठों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठ गए थे।
हाईकोर्ट ने प्रदर्शनकारियों को लेकर लगाई फटकार
सैंकड़ों प्रदर्शनकारियों ने दक्षिण मुंबई की सड़कों पर कब्जा कर लिया। प्रदर्शनकारी छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस परिसर में एकत्र थे जिससे लाखों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। हाईकोर्ट ने प्रदर्शनकारियों को उनके अनियंत्रित व्यवहार के लिए फटकार लगाई और कहा कि वे सड़कों को गंदा कर रहे हैं और उन्हें अवरुद्ध कर रहे हैं, जिससे मुंबई सचमुच ठप हो गई है।
हम जीत गए-जरांगे
विखे पाटिल और मंत्रिमंडलीय उप-समिति के अन्य सदस्यों से मुलाकात के बाद जरांगे ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि हम जीत गए हैं। उप-समिति ने हैदराबाद ‘गजेटियर’ को लागू करने की जरांगे की मांगों को स्वीकार कर लिया और कहा कि कुनबी रिकॉर्ड वाले मराठों को उचित जांच के बाद जाति प्रमाण पत्र दिए जाएंगे। जरांगे ने अपने समर्थकों के समक्ष समिति के मसौदा बिंदुओं को पढ़ते हुए कहा कि समिति ने हैदराबाद ‘गजेटियर’ को लागू करने की मांग स्वीकार कर ली है और तत्काल शासनादेश जारी किया जाएगा।
विरोध प्रदर्शनों में जान गंवाने वालों को मिलेगी नौकरी
उन्होंने कहा कि सतारा गजट का क्रियान्वयन एक महीने के भीतर पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि समिति की ओर से दिए गए आश्वासन के अनुसार, मराठा प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पहले दर्ज किए गए मामले सितंबर के अंत तक वापस ले लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह भी निर्णय लिया गया कि अब तक विरोध प्रदर्शनों के दौरान जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को शैक्षिक योग्यता के अनुसार एक सप्ताह के भीतर वित्तीय सहायता और सरकारी नौकरी दी जाएगी।
अब तक 15 करोड़ रुपये की सहायता दी
समिति ने जरांगे को बताया कि अब तक 15 करोड़ रुपये की सहायता (जान गंवा चुके प्रदर्शनकारियों के परिजनों को) दी जा चुकी है और बाकी राशि एक सप्ताह में दे दी जाएगी। विखे पाटिल ने कहा कि ‘सेज सोयारे’ (रक्त संबंधी) अधिसूचना पर आठ लाख आपत्तियां प्राप्त हुई हैं और सरकार को उनकी जांच के लिए समय चाहिए। मंत्री ने कहा कि सरकार यह कहते हुए जीआर जारी करने के लिए कानूनी विकल्प भी तलाश रही है कि कुनबी और मराठा एक ही समुदाय हैं, और इस प्रक्रिया में दो महीने लगेंगे।
आजाद मैदान पर जश्न का माहौल
जरांगे की जीत की घोषणा के बाद आजाद मैदान और उसके आसपास मराठा आरक्षण प्रदर्शनकारियों के बीच जश्न का माहौल था। हजारों प्रदर्शनकारियों ने उनका उत्साहवर्धन किया और जब उन्होंने कहा, “जितलो रे राजे हो अपन” (हम जीत गए मेरे दोस्तों) तो उनकी आंखों में आंसू आ गए। मैदान मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज के जयकारे से गूंज उठा और कार्यकर्ता खुशी में ‘हलगी’ (परंपरागत ढोल) की थाप पर नाचने लगे।
हाईकोर्ट की सख्ती से बदले सुर
इससे पहले दिन में जरांगे ने कहा कि वह सरकार के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, वह मुंबई नहीं छोड़ेंगे। कार्यकर्ता ने कहा कि मराठा प्रदर्शनकारियों को इस सप्ताहांत तक मुंबई आने से कोई नहीं रोक सकता। हालांकि हाईकोर्ट की ओर से उन्हें और उनके समर्थकों को दोपहर तीन बजे तक आज़ाद मैदान खाली करने या कार्रवाई का सामना करने का निर्देश दिए जाने के बाद उनके सुर बदल गए।
हाईकोर्ट ने दी थी चेतावनी
अदालत ने चेतावनी दी कि अगर जरांगे और उनके समर्थक मैदान खाली नहीं करते हैं तो उन पर भारी जुर्माना और अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। जरांगे की तरफ से पेश वकील सतीश मानशिंदे ने कार्यकर्ता और उनकी टीम की ओर से शहर की सड़कों पर कुछ प्रदर्शनकारियों के अनियंत्रित व्यवहार के लिए उच्च न्यायालय से माफी मांगी। मुंबईवासियों को बड़ी राहत देते हुए बृहन्मुंबई विद्युत आपूर्ति एवं परिवहन (बेस्ट) ने मंगलवार को छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) से बस परिचालन फिर शुरू कर दिया। एक अधिकारी ने बताया कि मराठा आरक्षण आंदोलन के कारण चार दिन पहले बस सेवाएं निलंबित कर दी गई थीं।
मनोज जरांगे हुए भावुक
मनोज जरांगे पाटिल ने जब अपना अनशन समाप्त किया, तो आजाद मैदान में माहौल बेहद उत्सवी था। पूरे मैदान में गुलाल उड़ाया जा रहा था। इस दौरान मनोज जरांगे पाटिल की आंखों में खुशी के आंसू आ गए और वह बेहद भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि आज हमारे लिए दिवाली है।इस अवसर पर सरकारी प्रतिनिधिमंडल ने मनोज जरांगे का अभिनंदन किया। प्रदर्शनकारियों ने मनोज जरांगे के नाम के नारे भी लगाए। इसके बाद वह मेडिकल जांच के लिए एंबुलेंस से आजाद मैदान से रवाना हुए।
कुनबी दर्जा मिलने से क्या होगा?
जरांगे की घोषणा से उनके समर्थकों में जहां जश्न का माहौल है, वहीं मुंबईवासियों को राहत मिली है। कुनबी दर्जा मिलने से मराठा समुदाय के सदस्य ओबीसी आरक्षण का दावा करने के पात्र हो जाएंगे, जो जरांगे की प्रमुख मांग है। इससे पहले दिन में बॉम्बे हाईकोर्ट ने जरांगे और प्रदर्शनकारियों को दोपहर तीन बजे तक आजाद मैदान खाली करने का निर्देश दिया था, क्योंकि वे बिना अनुमति के धरना दे रहे थे। बाद में, अदालत ने जरांगे के इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया कि उन्हें बुधवार सुबह तक अनशन स्थल पर ही रहने की अनुमति दी जाए।
मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने की मुलाकात
हाईकोर्ट की ओर से स्थिति से निपटने के तरीके को लेकर राज्य सरकार की खिंचाई करने और बुधवार सुबह तक कानून की गरिमा बनाए रखने के लिए किसी भी हद तक जाने की चेतावनी देने के बाद, मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल की अध्यक्षता में एक मंत्रिमंडलीय उप-समिति ने दोपहर में विरोध स्थल पर जरांगे से मुलाकात की। महाराष्ट्र के अलग-अलग हिस्सों से हजारों प्रदर्शनकारियों के साथ 29 अगस्त को जरांगे आजाद मैदान पहुंचे और ओबीसी श्रेणी के तहत मराठों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठ गए थे।
हाईकोर्ट ने प्रदर्शनकारियों को लेकर लगाई फटकार
सैंकड़ों प्रदर्शनकारियों ने दक्षिण मुंबई की सड़कों पर कब्जा कर लिया। प्रदर्शनकारी छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस परिसर में एकत्र थे जिससे लाखों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। हाईकोर्ट ने प्रदर्शनकारियों को उनके अनियंत्रित व्यवहार के लिए फटकार लगाई और कहा कि वे सड़कों को गंदा कर रहे हैं और उन्हें अवरुद्ध कर रहे हैं, जिससे मुंबई सचमुच ठप हो गई है।
हम जीत गए-जरांगे
विखे पाटिल और मंत्रिमंडलीय उप-समिति के अन्य सदस्यों से मुलाकात के बाद जरांगे ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि हम जीत गए हैं। उप-समिति ने हैदराबाद ‘गजेटियर’ को लागू करने की जरांगे की मांगों को स्वीकार कर लिया और कहा कि कुनबी रिकॉर्ड वाले मराठों को उचित जांच के बाद जाति प्रमाण पत्र दिए जाएंगे। जरांगे ने अपने समर्थकों के समक्ष समिति के मसौदा बिंदुओं को पढ़ते हुए कहा कि समिति ने हैदराबाद ‘गजेटियर’ को लागू करने की मांग स्वीकार कर ली है और तत्काल शासनादेश जारी किया जाएगा।
विरोध प्रदर्शनों में जान गंवाने वालों को मिलेगी नौकरी
उन्होंने कहा कि सतारा गजट का क्रियान्वयन एक महीने के भीतर पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि समिति की ओर से दिए गए आश्वासन के अनुसार, मराठा प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पहले दर्ज किए गए मामले सितंबर के अंत तक वापस ले लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह भी निर्णय लिया गया कि अब तक विरोध प्रदर्शनों के दौरान जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को शैक्षिक योग्यता के अनुसार एक सप्ताह के भीतर वित्तीय सहायता और सरकारी नौकरी दी जाएगी।
अब तक 15 करोड़ रुपये की सहायता दी
समिति ने जरांगे को बताया कि अब तक 15 करोड़ रुपये की सहायता (जान गंवा चुके प्रदर्शनकारियों के परिजनों को) दी जा चुकी है और बाकी राशि एक सप्ताह में दे दी जाएगी। विखे पाटिल ने कहा कि ‘सेज सोयारे’ (रक्त संबंधी) अधिसूचना पर आठ लाख आपत्तियां प्राप्त हुई हैं और सरकार को उनकी जांच के लिए समय चाहिए। मंत्री ने कहा कि सरकार यह कहते हुए जीआर जारी करने के लिए कानूनी विकल्प भी तलाश रही है कि कुनबी और मराठा एक ही समुदाय हैं, और इस प्रक्रिया में दो महीने लगेंगे।
आजाद मैदान पर जश्न का माहौल
जरांगे की जीत की घोषणा के बाद आजाद मैदान और उसके आसपास मराठा आरक्षण प्रदर्शनकारियों के बीच जश्न का माहौल था। हजारों प्रदर्शनकारियों ने उनका उत्साहवर्धन किया और जब उन्होंने कहा, “जितलो रे राजे हो अपन” (हम जीत गए मेरे दोस्तों) तो उनकी आंखों में आंसू आ गए। मैदान मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज के जयकारे से गूंज उठा और कार्यकर्ता खुशी में ‘हलगी’ (परंपरागत ढोल) की थाप पर नाचने लगे।
हाईकोर्ट की सख्ती से बदले सुर
इससे पहले दिन में जरांगे ने कहा कि वह सरकार के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, वह मुंबई नहीं छोड़ेंगे। कार्यकर्ता ने कहा कि मराठा प्रदर्शनकारियों को इस सप्ताहांत तक मुंबई आने से कोई नहीं रोक सकता। हालांकि हाईकोर्ट की ओर से उन्हें और उनके समर्थकों को दोपहर तीन बजे तक आज़ाद मैदान खाली करने या कार्रवाई का सामना करने का निर्देश दिए जाने के बाद उनके सुर बदल गए।
हाईकोर्ट ने दी थी चेतावनी
अदालत ने चेतावनी दी कि अगर जरांगे और उनके समर्थक मैदान खाली नहीं करते हैं तो उन पर भारी जुर्माना और अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। जरांगे की तरफ से पेश वकील सतीश मानशिंदे ने कार्यकर्ता और उनकी टीम की ओर से शहर की सड़कों पर कुछ प्रदर्शनकारियों के अनियंत्रित व्यवहार के लिए उच्च न्यायालय से माफी मांगी। मुंबईवासियों को बड़ी राहत देते हुए बृहन्मुंबई विद्युत आपूर्ति एवं परिवहन (बेस्ट) ने मंगलवार को छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) से बस परिचालन फिर शुरू कर दिया। एक अधिकारी ने बताया कि मराठा आरक्षण आंदोलन के कारण चार दिन पहले बस सेवाएं निलंबित कर दी गई थीं।
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