तिरुपति    : 17 नवंबर 2015 को आंध्र प्रदेश के चित्तूर में सनसनीखेज वारदात हुई थी। यहां की मेयर कटारी अनुराधा और उनके पति कटारी मोहन की हत्या कर दी गई थी। इस केस ने पूरे राज्य को ही नहीं बल्कि पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। जमकर सियासत हुई थी। केस कई महीनों तक चर्चा का विषय बना रहा। अब 10 साल बाद इस केस में कोर्ट का फैसला आया है। चित्तूर की छठी अतिरिक्त जिला सत्र अदालत ने इस डबर मर्डर केस में पांच आरोपियों को मौत की सज़ा सुनाई है।   
   
न्यायाधीश एन श्रीनिवास राव ने इस मामले को दुर्लभतम मामलों की श्रेणी में रखा। उन्होंने पांचों आरोपियों को लगभग एक दशक पहले 2015 में चित्तूर नगर निगम कार्यालय के अंदर दोहरे हत्याकांड की योजना बनाने और उसे अंजाम देने का दोषी ठहराया।
     
इन लोगों को हुई मौत की सजा
जिन पांच आरोपियों को मौत की सज़ा सुनाई गई है उनमें एस चंद्रशेखर उर्फ चिंटू (कटारी मोहन का भतीजा), गोविंदा स्वामी श्रीनिवासय्या वेंकट चलपति, जयप्रकाश रेड्डी, मंजूनाथ और मुनिरत्नम वेंकटेश शामिल हैं। श्रीराम चंद्रशेखर उर्फ चिंटू, वेंकटचलपति, जया प्रकाश रेड्डी, मंजूनाथ और वेंकटेश को मौत की सजा सुनाई गई है।
   
अनुराधा का नगर निगम में दफ्तर के अंदर मारी थी गोलीपिछले हफ़्ते, अदालत ने इस सनसनीखेज मामले में उन्हें दोषी ठहराया था। चित्तूर की तत्कालीन महापौर अनुराधा और उनके पति कटारी मोहन की 17 नवंबर, 2015 को नृशंस हत्या कर दी गई थी। चित्तूर नगर निगम कार्यालय के अंदर एक हथियारबंद गिरोह ने दंपति पर हमला किया था। अनुराधा की उनके कक्ष में गोली मारकर हत्या कर दी गई, जबकि मोहन का पीछा किया गया और भागने की कोशिश करने पर उसे चाकू मार दिया गया। दिनदहाड़े हुए इस दोहरे हत्याकांड ने पूरे राज्य में सनसनी फैला दी थी।
   
मामले में 23 लोग थे आरोपीअदालत गुरुवार को सजा की घोषणा करने वाली थी, लेकिन प्रक्रियात्मक कारणों का हवाला देते हुए इसे टाल दिया गया। दोषियों को कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत लाया गया। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पुलिस ने परिसर के चारों ओर तीन स्तरीय घेरा बना रखा था। शुरुआत में इस मामले में 23 लोगों को आरोपी बनाया गया था। आरोपियों में से एक कसाराम रमेश को अदालत ने बरी कर दिया, जबकि एक अन्य आरोपी एस. श्रीनिवास चारी की मुकदमे के दौरान मृत्यु हो गई।
   
16 अन्य हुए बरी
शेष 21 आरोपियों में से पांच को दोषी ठहराया गया। हत्यारों को शरण देने और उन्हें धन व हथियार मुहैया कराने के 16 अन्य आरोपियों पर सबूतों के अभाव में आरोप साबित नहीं हो सके। अदालत ने उन्हें बरी कर दिया। मुख्य आरोपी श्रीराम चंद्रशेखर उर्फ चिंटू, कटारी मोहन का भतीजा है, जो तेलुगु देशम पार्टी की चित्तूर जिला इकाई के उपाध्यक्ष थे। कटारी मोहन और उनके भतीजे के बीच व्यक्तिगत, वित्तीय और राजनीतिक विवादों के कारण यह भीषण दोहरा हत्याकांड हुआ। मुकदमे के दौरान, अदालत ने 122 गवाहों से पूछताछ की। पांच दोषियों में से दो अपनी गिरफ्तारी के बाद से जेल में हैं, जबकि तीन अन्य जमानत पर हैं।
  
न्यायाधीश एन श्रीनिवास राव ने इस मामले को दुर्लभतम मामलों की श्रेणी में रखा। उन्होंने पांचों आरोपियों को लगभग एक दशक पहले 2015 में चित्तूर नगर निगम कार्यालय के अंदर दोहरे हत्याकांड की योजना बनाने और उसे अंजाम देने का दोषी ठहराया।
इन लोगों को हुई मौत की सजा
जिन पांच आरोपियों को मौत की सज़ा सुनाई गई है उनमें एस चंद्रशेखर उर्फ चिंटू (कटारी मोहन का भतीजा), गोविंदा स्वामी श्रीनिवासय्या वेंकट चलपति, जयप्रकाश रेड्डी, मंजूनाथ और मुनिरत्नम वेंकटेश शामिल हैं। श्रीराम चंद्रशेखर उर्फ चिंटू, वेंकटचलपति, जया प्रकाश रेड्डी, मंजूनाथ और वेंकटेश को मौत की सजा सुनाई गई है।
अनुराधा का नगर निगम में दफ्तर के अंदर मारी थी गोलीपिछले हफ़्ते, अदालत ने इस सनसनीखेज मामले में उन्हें दोषी ठहराया था। चित्तूर की तत्कालीन महापौर अनुराधा और उनके पति कटारी मोहन की 17 नवंबर, 2015 को नृशंस हत्या कर दी गई थी। चित्तूर नगर निगम कार्यालय के अंदर एक हथियारबंद गिरोह ने दंपति पर हमला किया था। अनुराधा की उनके कक्ष में गोली मारकर हत्या कर दी गई, जबकि मोहन का पीछा किया गया और भागने की कोशिश करने पर उसे चाकू मार दिया गया। दिनदहाड़े हुए इस दोहरे हत्याकांड ने पूरे राज्य में सनसनी फैला दी थी।
मामले में 23 लोग थे आरोपीअदालत गुरुवार को सजा की घोषणा करने वाली थी, लेकिन प्रक्रियात्मक कारणों का हवाला देते हुए इसे टाल दिया गया। दोषियों को कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत लाया गया। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पुलिस ने परिसर के चारों ओर तीन स्तरीय घेरा बना रखा था। शुरुआत में इस मामले में 23 लोगों को आरोपी बनाया गया था। आरोपियों में से एक कसाराम रमेश को अदालत ने बरी कर दिया, जबकि एक अन्य आरोपी एस. श्रीनिवास चारी की मुकदमे के दौरान मृत्यु हो गई।
16 अन्य हुए बरी
शेष 21 आरोपियों में से पांच को दोषी ठहराया गया। हत्यारों को शरण देने और उन्हें धन व हथियार मुहैया कराने के 16 अन्य आरोपियों पर सबूतों के अभाव में आरोप साबित नहीं हो सके। अदालत ने उन्हें बरी कर दिया। मुख्य आरोपी श्रीराम चंद्रशेखर उर्फ चिंटू, कटारी मोहन का भतीजा है, जो तेलुगु देशम पार्टी की चित्तूर जिला इकाई के उपाध्यक्ष थे। कटारी मोहन और उनके भतीजे के बीच व्यक्तिगत, वित्तीय और राजनीतिक विवादों के कारण यह भीषण दोहरा हत्याकांड हुआ। मुकदमे के दौरान, अदालत ने 122 गवाहों से पूछताछ की। पांच दोषियों में से दो अपनी गिरफ्तारी के बाद से जेल में हैं, जबकि तीन अन्य जमानत पर हैं।
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