नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी ने शशि थरूर के "ऑपरेशन सिंदूर" पर दिए गए बयानों को लेकर फिलहाल कोई कार्रवाई न करने का फैसला किया है। पार्टी के बड़े नेताओं का मानना है कि थरूर के स्पष्टीकरण के बाद अब इस मामले को और आगे बढ़ाने की जरूरत नहीं है। कुछ नेताओं ने इस मुद्दे पर बयान दिए थे, लेकिन पार्टी अब इसे यहीं खत्म करना चाहती है।
थरूर ने X पर एक पोस्ट किया था। इसमें उन्होंने लिखा था कि "आलोचकों और ट्रोल करने वालों" का स्वागत है कि वे उनके विचारों को तोड़-मरोड़ कर पेश करें। उन्होंने यह भी कहा कि उनके पास "करने के लिए बेहतर चीजें हैं"। थरूर इन आलोचनाओं पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहते हैं।
पनामा में एक "लंबे और सफल दिन" के बाद थरूर ने एक और पोस्ट किया। उन्होंने लिखा कि उनके पास एक और पूरा दिन बाकी है। उन्होंने कहा कि वह फिर भी "उन कट्टरपंथियों के लिए समय निकालेंगे जो LoC के पार भारतीय वीरता के बारे में मेरी कथित अज्ञानता पर गुस्सा कर रहे हैं"। शशि थरूर को पहले भी कई मुद्दों पर कांग्रेस की आलोचना का सामना करना पड़ा है। फिलहाल, "ऑपरेशन सिंदूर" पर उनकी टिप्पणी को लेकर उनकी आलोचना हो रही है। "ऑपरेशन सिंदूर" भारत द्वारा पाकिस्तान समर्थित आतंकी शिविरों पर की गई सटीक हमले थे।
कांग्रेस नेता उदित राज ने थरूर को BJP के "प्रचार स्टंट" के लिए "सुपर प्रवक्ता" बताया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि थरूर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चापलूसी कर रहे हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा और जयराम रमेश ने भी उन पर कटाक्ष किए। उन्होंने थरूर को याद दिलाया कि भारत ने पहले भी पाकिस्तान के खिलाफ हमले किए हैं।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक शशि थरूर का केरल इकाई के साथ भी पहले विवाद हो चुका है। उस समय भी राज्य इकाई को कई शिकायतें थीं, लेकिन केंद्रीय नेताओं ने विधानसभा चुनावों को देखते हुए कोई हस्तक्षेप नहीं किया था। लेकिन ऐसा लगता है कि केंद्रीय इकाई भी थरूर से खुश नहीं है। इसका संकेत तब मिला जब केंद्र सरकार ने "ऑपरेशन सिंदूर" को समझाने के लिए 33 देशों में सर्वदलीय टीमों को भेजने का फैसला किया। कांग्रेस ने थरूर को इस टीम में शामिल करने की सिफारिश नहीं की।
हालांकि, केंद्र सरकार ने थरूर को स्वतंत्र रूप से चुना। कांग्रेस ने इस पर भी अपनी नाराजगी जताई है। इससे पता चलता है कि कांग्रेस पार्टी थरूर के बयानों से खुश नहीं है और उन्हें लेकर पार्टी में मतभेद हैं। लेकिन फिलहाल पार्टी इस मामले को और आगे नहीं बढ़ाना चाहती है।
थरूर ने X पर एक पोस्ट किया था। इसमें उन्होंने लिखा था कि "आलोचकों और ट्रोल करने वालों" का स्वागत है कि वे उनके विचारों को तोड़-मरोड़ कर पेश करें। उन्होंने यह भी कहा कि उनके पास "करने के लिए बेहतर चीजें हैं"। थरूर इन आलोचनाओं पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहते हैं।
पनामा में एक "लंबे और सफल दिन" के बाद थरूर ने एक और पोस्ट किया। उन्होंने लिखा कि उनके पास एक और पूरा दिन बाकी है। उन्होंने कहा कि वह फिर भी "उन कट्टरपंथियों के लिए समय निकालेंगे जो LoC के पार भारतीय वीरता के बारे में मेरी कथित अज्ञानता पर गुस्सा कर रहे हैं"। शशि थरूर को पहले भी कई मुद्दों पर कांग्रेस की आलोचना का सामना करना पड़ा है। फिलहाल, "ऑपरेशन सिंदूर" पर उनकी टिप्पणी को लेकर उनकी आलोचना हो रही है। "ऑपरेशन सिंदूर" भारत द्वारा पाकिस्तान समर्थित आतंकी शिविरों पर की गई सटीक हमले थे।
कांग्रेस नेता उदित राज ने थरूर को BJP के "प्रचार स्टंट" के लिए "सुपर प्रवक्ता" बताया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि थरूर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चापलूसी कर रहे हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा और जयराम रमेश ने भी उन पर कटाक्ष किए। उन्होंने थरूर को याद दिलाया कि भारत ने पहले भी पाकिस्तान के खिलाफ हमले किए हैं।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक शशि थरूर का केरल इकाई के साथ भी पहले विवाद हो चुका है। उस समय भी राज्य इकाई को कई शिकायतें थीं, लेकिन केंद्रीय नेताओं ने विधानसभा चुनावों को देखते हुए कोई हस्तक्षेप नहीं किया था। लेकिन ऐसा लगता है कि केंद्रीय इकाई भी थरूर से खुश नहीं है। इसका संकेत तब मिला जब केंद्र सरकार ने "ऑपरेशन सिंदूर" को समझाने के लिए 33 देशों में सर्वदलीय टीमों को भेजने का फैसला किया। कांग्रेस ने थरूर को इस टीम में शामिल करने की सिफारिश नहीं की।
हालांकि, केंद्र सरकार ने थरूर को स्वतंत्र रूप से चुना। कांग्रेस ने इस पर भी अपनी नाराजगी जताई है। इससे पता चलता है कि कांग्रेस पार्टी थरूर के बयानों से खुश नहीं है और उन्हें लेकर पार्टी में मतभेद हैं। लेकिन फिलहाल पार्टी इस मामले को और आगे नहीं बढ़ाना चाहती है।
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