मुंबई: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में रहने वाले लोगों के लिए अच्छी खबर है। दक्षिण एशिया का सबसे लंबा केबल-स्टेड कर्व्ड ब्रिज वकोला में बनाया गया है। यह सांताक्रूज चेंबूर लिंक रोड (एससीएलआर) परियोजना का हिस्सा है। इस ब्रिज से कुर्ला से छत्रपति शिवाजी इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक बिना रुके आना-जाना हो सकेगा। कहा जा है कि यह ब्रिज न केवल ट्रैफिक की भीड़ का समाधान है, बल्कि मुंबई के लिए एक नया मील का पत्थर भी है।
किसने कराया निर्माण?
एससीएलआर का निर्माण पूर्वी उपनगरीय वाहनों को पश्चिमी उपनगरों में जाने में सुविधा प्रदान करने और बांद्रा-कुर्ला परिसर में भीड़भाड़ से बचने के लिए किया गया है। इसके अंतर्गत दो फ्लाईओवर हैं। एक बीकेसी क्षेत्र में और दूसरा कलिना और कुर्ला के बीच। हालांकि कलिना से एयरपोर्ट की ओर वेस्टर्न एक्सप्रेसवे पर ट्रैफिक जाम रहता है। इस भीड़भाड़ को दूर करने के लिए मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमएमआरडीए) की ओर से वकोला जंक्शन पर एक विशेष केबल-स्टेड ब्रिज बनाया गया है और अब इसका काम पूरा हो चुका है।
कहां पर है ब्रिज?
यह ब्रिज वकोला जंक्शन पर सिग्नल और वेस्टर्न एक्सप्रेसवे पर मौजूदा फ्लाईओवर के ऊपर स्थित है। इसलिए जमीन से इसकी ऊंचाई 25 मीटर है। कुर्ला से आते हुए यह पुल वाकोला सिग्नल हेड से उतरकर सीधे पानबाई इंटरनेशनल स्कूल के पास एयरपोर्ट की ओर जाएगा। इसलिए कुर्ला से एयरपोर्ट तक ट्रैफिक बिना रुके, सिग्नल-फ्री और आसान होगा।
कब खुलेगा?
एमएमआरडीए महानगर आयुक्त डॉ संजय मुखर्जी ने बीते दिनों इस पुल का दौरा किया। उन्होंने कहा कि इस नए पुल का काम अब अंतिम चरण में है और इसे जल्द ही लोगों की सेवा में लाया जाएगा। इस पुल को मानसून के दौरान सेवा में लाया जाएगा। यह पुल न केवल ट्रैफिक की भीड़ का समाधान है, बल्कि मुंबई के लिए एक नया मील का पत्थर भी है।
90 डिग्री का 100 मीटर का मोड़
वाकोला जंक्शन पर इस पुल का मोड़ 90 डिग्री का है। यह मोड़ 100 मीटर लंबा है। इसलिए इस पुल को केबल-स्टेड बनाया गया है। यह दक्षिण एशिया का पहला ऐसा केबल-स्टेड पुल है। इसमें 215 मीटर लंबा ऑर्थोट्रोपिक स्टील डेक यानी स्टील गर्डर का भी इस्तेमाल किया गया है। पुल की चौड़ाई 10.5 से 17.2 मीटर है और यह पुल डबल है।
लंबे समय से विलंबित थी परियोजना
सांताक्रूज-चेंबूर लिंक रोड का काम 2016 में शुरू हुआ था। इसके कुल तीन चरण थे। केबल-स्टेड फ्लाईओवर का अंतिम चरण 2019 में ही पूरा होने की उम्मीद थी। हालांकि, कोरोना काल और उसके बाद भी विभिन्न कारणों से परियोजना में देरी हुई। उस दौरान परियोजना की लागत में भी 650 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई। अब आखिरकार देरी के बाद यह परियोजना पूरी हो रही है। निर्माण पूरा हो चुका है और अब नोटिस बोर्ड, पेंटिंग, स्ट्रीट लाइट लगाने समेत अंतिम सौंदर्यीकरण का काम चल रहा है।
किसने कराया निर्माण?
एससीएलआर का निर्माण पूर्वी उपनगरीय वाहनों को पश्चिमी उपनगरों में जाने में सुविधा प्रदान करने और बांद्रा-कुर्ला परिसर में भीड़भाड़ से बचने के लिए किया गया है। इसके अंतर्गत दो फ्लाईओवर हैं। एक बीकेसी क्षेत्र में और दूसरा कलिना और कुर्ला के बीच। हालांकि कलिना से एयरपोर्ट की ओर वेस्टर्न एक्सप्रेसवे पर ट्रैफिक जाम रहता है। इस भीड़भाड़ को दूर करने के लिए मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमएमआरडीए) की ओर से वकोला जंक्शन पर एक विशेष केबल-स्टेड ब्रिज बनाया गया है और अब इसका काम पूरा हो चुका है।
कहां पर है ब्रिज?
यह ब्रिज वकोला जंक्शन पर सिग्नल और वेस्टर्न एक्सप्रेसवे पर मौजूदा फ्लाईओवर के ऊपर स्थित है। इसलिए जमीन से इसकी ऊंचाई 25 मीटर है। कुर्ला से आते हुए यह पुल वाकोला सिग्नल हेड से उतरकर सीधे पानबाई इंटरनेशनल स्कूल के पास एयरपोर्ट की ओर जाएगा। इसलिए कुर्ला से एयरपोर्ट तक ट्रैफिक बिना रुके, सिग्नल-फ्री और आसान होगा।
कब खुलेगा?
एमएमआरडीए महानगर आयुक्त डॉ संजय मुखर्जी ने बीते दिनों इस पुल का दौरा किया। उन्होंने कहा कि इस नए पुल का काम अब अंतिम चरण में है और इसे जल्द ही लोगों की सेवा में लाया जाएगा। इस पुल को मानसून के दौरान सेवा में लाया जाएगा। यह पुल न केवल ट्रैफिक की भीड़ का समाधान है, बल्कि मुंबई के लिए एक नया मील का पत्थर भी है।
90 डिग्री का 100 मीटर का मोड़
वाकोला जंक्शन पर इस पुल का मोड़ 90 डिग्री का है। यह मोड़ 100 मीटर लंबा है। इसलिए इस पुल को केबल-स्टेड बनाया गया है। यह दक्षिण एशिया का पहला ऐसा केबल-स्टेड पुल है। इसमें 215 मीटर लंबा ऑर्थोट्रोपिक स्टील डेक यानी स्टील गर्डर का भी इस्तेमाल किया गया है। पुल की चौड़ाई 10.5 से 17.2 मीटर है और यह पुल डबल है।
लंबे समय से विलंबित थी परियोजना
सांताक्रूज-चेंबूर लिंक रोड का काम 2016 में शुरू हुआ था। इसके कुल तीन चरण थे। केबल-स्टेड फ्लाईओवर का अंतिम चरण 2019 में ही पूरा होने की उम्मीद थी। हालांकि, कोरोना काल और उसके बाद भी विभिन्न कारणों से परियोजना में देरी हुई। उस दौरान परियोजना की लागत में भी 650 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई। अब आखिरकार देरी के बाद यह परियोजना पूरी हो रही है। निर्माण पूरा हो चुका है और अब नोटिस बोर्ड, पेंटिंग, स्ट्रीट लाइट लगाने समेत अंतिम सौंदर्यीकरण का काम चल रहा है।
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