लंदन: पुरातत्वविदों ने समंदर के अंदर पड़े 300 साल पुराने जहाज के मलबे को खोज निकाला है। बताया जा रहा है कि इस जहाज के मलबे में बेशकीमती खजाना मौजूद है, जिसकी कीमत 101 मिलियन पाउंड यानी लगभग 11.74 अरब रुपये है। नोसा सेन्होरा डो काबो का यह जहाज साल 1721 में मेडागास्कर के पास समुद्री डाकुओं के एक बड़े हमले में डूब गया था। पुर्तगाली जहाज भारत के गोवा से माल लेकर लिस्बन जा रहा था, तभी उस पर समुद्री डाकुओं ने हमला बोल दिया था। उस समय गोवा पर पुर्तगाल का शासन हुआ करता था।
ब्रिटिश मीडिया आउटलेट द सन की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि इस खजाने से भरे जहाज पर 8 अप्रैल 17 अप्रैल 1721 को कैप्टन ओलिवियर द बजर्ड लेवास्सेर की अगुवाई में समुद्री लुटेरों ने हमला किया था। इस दौर को इतिहासकार समुद्री डकैती के स्वर्ण युग के रूप बताते रहे हैं। यह उस दौरान के सबसे कुख्यात हमलों से से बन गया क्योंकि इसमें भारी लूटपाट हुई थी। इसे इतिहास में समुद्री लुटेरों की सबसे बड़ी लूट में से एक माना जाता है।
भारत से लेकर जा रहा था खजाना
ऐसा अनुमान है कि भारत से जा रहे इस जहाज पर अरबों रुपये के खजाने के साथ 200 गुलाम भी थे, जिनके बारे में आज तक नहीं पता है कि उनका क्या हुआ था? नोसा सेन्होरा डो काबो पुर्तगाली साम्राज्य का जहाज था, जो भारी हथियारों से लैस था। ऐसे में इस पर कब्जा होना और फिर डुबो दिया जाना पुर्तगाली साम्राज्य के लिए बदनामी की वजह बन गया था।
सोने की सिल्लियां, मोती और खजाने से भरा
पुरातत्वविदों ने 16 साल की जांच के बाद ऐतिहासिक जहाज के मलों को मेडागास्कर के उत्तर-पूर्वी तट पर नोसी बोराहा द्वीप के पास अंबोडीफोटात्रा की खाड़ी में पाया गया। जहाज के मलबे की जगह से 3300 से ज्यादा कलाकृतियां निकाली गई हैं। इनमें धार्मिक मूर्तियों, सोने की सिल्लियां, मोती और खजाने से भरे संदूक शामिल हैं।
एक हाथीदांत की पट्टी मिली है, जिस पर सोने के अक्षरों में 'INRI' लिखा है। यह लैटिन शब्द लेसस नाजरेनस रेक्स लुडायोरम (Iesus Nazarenus Rex Iudaeorum) का संक्षिप्त रूप है, जिसका अर्थ है कि 'नाजरेथ का यीशु, यहूदियों का राजा।' ब्राउन विश्वविद्यालय के शोधकर्ता ब्रैंडन ए. क्लिफोर्ड और मार्क आर. एगोस्टिनी ने इस माल को 'समुद्री डाकुओं के मानकों के हिसाब से भी एक अद्भुत खजाना' बताया। उनका अनुमान है कि आज की मुद्रा में अकेले इस माल की कीमत 108 मिलियन पाउंड से ज़्यादा हो सकती है।
पुर्तगाल का औपनिवेशिक साम्राज्य
जब नोसा सेन्होरा डो काबो जहाज पर हमला किया गया था, उस काल में पुर्तगाल का भारत और यूरोप के बीच प्रमुख समुद्री व्यापार मार्गों पर नियंत्रण हुआ करता था। इन मार्गों के जरिए उपनिवेशों से लूट का माल पुर्तगाली मुख्यभूमि तक पहुंचता था। मसालों और कीमती पत्थरों के अलावा, जहाज़ गुलाम लोगों को भी ले जाता था, जिन्हें पूरे साम्राज्य में बंदरगाहों और खदानों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता था। बेशकीमती चीजों से लदे ये जहाज समुद्री डाकुओं के हमलों का मुख्य लक्ष्य हुआ करते थे।
ब्रिटिश मीडिया आउटलेट द सन की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि इस खजाने से भरे जहाज पर 8 अप्रैल 17 अप्रैल 1721 को कैप्टन ओलिवियर द बजर्ड लेवास्सेर की अगुवाई में समुद्री लुटेरों ने हमला किया था। इस दौर को इतिहासकार समुद्री डकैती के स्वर्ण युग के रूप बताते रहे हैं। यह उस दौरान के सबसे कुख्यात हमलों से से बन गया क्योंकि इसमें भारी लूटपाट हुई थी। इसे इतिहास में समुद्री लुटेरों की सबसे बड़ी लूट में से एक माना जाता है।
भारत से लेकर जा रहा था खजाना
ऐसा अनुमान है कि भारत से जा रहे इस जहाज पर अरबों रुपये के खजाने के साथ 200 गुलाम भी थे, जिनके बारे में आज तक नहीं पता है कि उनका क्या हुआ था? नोसा सेन्होरा डो काबो पुर्तगाली साम्राज्य का जहाज था, जो भारी हथियारों से लैस था। ऐसे में इस पर कब्जा होना और फिर डुबो दिया जाना पुर्तगाली साम्राज्य के लिए बदनामी की वजह बन गया था।
सोने की सिल्लियां, मोती और खजाने से भरा
पुरातत्वविदों ने 16 साल की जांच के बाद ऐतिहासिक जहाज के मलों को मेडागास्कर के उत्तर-पूर्वी तट पर नोसी बोराहा द्वीप के पास अंबोडीफोटात्रा की खाड़ी में पाया गया। जहाज के मलबे की जगह से 3300 से ज्यादा कलाकृतियां निकाली गई हैं। इनमें धार्मिक मूर्तियों, सोने की सिल्लियां, मोती और खजाने से भरे संदूक शामिल हैं।
एक हाथीदांत की पट्टी मिली है, जिस पर सोने के अक्षरों में 'INRI' लिखा है। यह लैटिन शब्द लेसस नाजरेनस रेक्स लुडायोरम (Iesus Nazarenus Rex Iudaeorum) का संक्षिप्त रूप है, जिसका अर्थ है कि 'नाजरेथ का यीशु, यहूदियों का राजा।' ब्राउन विश्वविद्यालय के शोधकर्ता ब्रैंडन ए. क्लिफोर्ड और मार्क आर. एगोस्टिनी ने इस माल को 'समुद्री डाकुओं के मानकों के हिसाब से भी एक अद्भुत खजाना' बताया। उनका अनुमान है कि आज की मुद्रा में अकेले इस माल की कीमत 108 मिलियन पाउंड से ज़्यादा हो सकती है।
पुर्तगाल का औपनिवेशिक साम्राज्य
जब नोसा सेन्होरा डो काबो जहाज पर हमला किया गया था, उस काल में पुर्तगाल का भारत और यूरोप के बीच प्रमुख समुद्री व्यापार मार्गों पर नियंत्रण हुआ करता था। इन मार्गों के जरिए उपनिवेशों से लूट का माल पुर्तगाली मुख्यभूमि तक पहुंचता था। मसालों और कीमती पत्थरों के अलावा, जहाज़ गुलाम लोगों को भी ले जाता था, जिन्हें पूरे साम्राज्य में बंदरगाहों और खदानों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता था। बेशकीमती चीजों से लदे ये जहाज समुद्री डाकुओं के हमलों का मुख्य लक्ष्य हुआ करते थे।
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