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दस लाख छात्रों की भीड़, आर्मी टैंक के नीचे दबकर कचुंबर बने लोग और 10 हजार मौतें... जब दुनिया ने देखी चीन की बर्बरता

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नई दिल्ली: चीन का इतिहास बेहद क्रूर रहा है। ड्रैगन के इस क्रूरता भरे इतिहास में आज भी थियानमेन चौक की घटना सुनकर लोग सिहर जाते हैं। यह घटना आज ही के दिन यानी 4 जून को साल 1989 में हुई थी, जब चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने लोकतांत्रिक मांग कर रहे छात्रों पर टैंक चढ़वा दिए थे। इस दर्दनाक घटना में करीब 10 हजार छात्रों की जान चली गई थी।



दरअसल, चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए 1980 के दशक में निजी कंपनियों और विदेशी निवेश को बढ़ावा देने का फैसला लिया। चीन की कम्युनिस्ट सरकार का मानना था कि जब रोजगार और उद्योग धंधे आगे बढ़ेंगे तो चीन के लोगों का लिविंग स्टैंडर्ड भी बेहतर होगा। लेकिन हुआ इसके उलट। लोगों का जीव तो बेहतर नहीं हुआ, लेकिन चीन की सरकार में भ्रष्टाचार के मामले काफी ज्यादा बढ़ गए।



अंतिम यात्रा में शामिल हुए थे लाखों लोगतब चीन में हालात ऐसे हो गए कि लोकतंत्र की मांग को लेकर लोग सड़कों पर उतर आए। इस आंदोलन में छात्रों की सबसे अहम भूमिका रही। 1989 में भी लोकतंत्र की मांग को लेकर छात्रों ने धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस आंदोलन में एक चीनी नेता हू याओबैंग की अहम भूमिका थी। वे सेंसरशिप के खिलाफ होने के साथ-साथ चीन में राजनीतिक के साथ-साथ आर्थिक बदलाव के भी समर्थक थे। जून 1989 की शुरुआत में अचानक याओबैंग का निधन हो गया। उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई, जिसमें लाखों लोग शामिल हुए।



10 लाख छात्र आ गए थे सड़कों परहू याओबैंग की मौत को छात्रों ने हत्या माना और इसके पीछे साजिश होने का दावा किया। इसके बाद छात्रों का दल बीजिंग के थियानमेन चौराहे पर जमा होना शुरू हो गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चौराहे के आसपास कई किलोमीटर तक छात्रों का हुजूम लग गया था। करीब 10 लाख छात्र वहां इकट्ठे हो गए थे। छात्रों की बढ़ती भीड़ को देखकर चीन की सरकार ने किसी भी कीमत पर इस आंदोलन को खत्म करने का आदेश दिया।



किसी भी कीमत पर रोकने का था आदेशआदेश मिलने के चीन की सेना ने 4 जून की रात थियानमेन चौराहे पर टैंक और भारी हथियारबंद जवानों के साथ पहुंच गई। सेना ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग शुरू कर दी। प्रदर्शनकारियों को किसी भी कीमत पर कुचलने पहुंचे चीनी सेना के जवानों ने छात्रों पर टैंक चढ़ा दिया। यूरोपीय यूनियन के मुताबिक इस घटना में 10 हजार लोगों का नरसंहार हुआ। हालांकि, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी इस घटना को छुपाने के लिए 300 लोगों के मरने की बात कहती है।



सेना के जवान भी देते हैं पहराइस घटना के बाद चीन की सरकार को इंटरनेशनल लेवल पर कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा, तब से लेकर अब तक चीन की सरकार थियानमेन चौक को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरतती है। चीन की सरकार थियानमेन चौक पर नरसंहार की याद में किसी तरह का मेमोरियल बनाने नहीं देती। चौराहे पर पुलिस के जवानों के साथ-साथ सेना के जवान भी पहरा देते हैं।

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