नई दिल्ली: एनडीए का उपराष्ट्रपति पद का उम्मीवार कौन होगा इसे लेकर चर्चाएं तेज हैं। कई राज्यपाल से लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्रियों के नाम तक के कयास लग रहे हैं। बीजेपी के एक सीनियर नेता ने कहा कि जब तक नाम का फैसला नहीं हो जाता तब तक सारी चर्चाएं कयास ही हैं लेकिन यह लगभग स्पष्ट है कि पिछले प्रयोग से सबक लेते हुए ही इस बार उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का चयन हो सकता है।
बीजेपी नेता मान रहे हैं कि जो भी उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार होगा वह संघ की वैचारिक पृष्ठभूमि का हो सकता है। एक नेता ने कहा कि पिछली बार जब धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया था उस वक्त भी विचार परिवार में इसे लेकर चर्चा थी। उन्होंने कहा कि इस बार लगभग सभी यही मान रहे हैं कि अपनी विचारधारा को समझने वाला उम्मीदवार ही बेहतर उम्मीदवार होगा।
उन्होंने कहा कि इस बार उम्मीद है कि पिछली बार जैसा प्रयोग नहीं दोहराया जाएगा। जगदीप धनखड़ बीजेपी के विचार से नहीं आते थे। उन्होंने अपनी राजनीति की शुरूआत जनता दल से की थी और फिर कांग्रेस में भी रहे। उसके बाद वह बीजेपी में शामिल हुए। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता रहे और फिर उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया। राज्यपाल रहते उनका पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से लगातार टकराव रहा।
बीजेपी के एक नेता ने कहा कि इसकी ज्यादा संभावना है कि इस बार उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार तय करने में उनका बैकग्राउंड अहम होगा। उन्हें कहा कि कई ऐसे नाम सामने आ रहे हैं जो शुरू से बीजेपी के विचार से जुड़े रहे। सूत्रों के मुताबिक उम्मीदवार फाइनल करने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भी लूप में रखा जाएगा। संघ से जुड़े एक नेता ने कहा कि वैसे तो संघ डे टू डे की राजनीति और सरकार के काम में दखल नहीं देता है लेकिन जब बात अहम पदों की हो तो संघ की राय ली जाती है। जब संघ से राय मांगी जाती है तो संघ राय देता है।
बीजेपी सभी सहयोगी दलों की राय जानेगीउम्मीदवार तय करने से पहले एनडीए के नेताओं की भी बैठक होगी जिसमें बीजेपी सभी सहयोगी दलों की राय जानेगी। वैसे तो कई ऐसे नाम भी चर्चा में हैं जो एनडीए दलों से आते हैं हालांकि बीजेपी के एक नेता ने कहा कि शायद पार्टी इस बार अपने ही किसी कार्यकर्ता को आगे बढ़ा सकती है। साथ ही इसका ख्याल भी रखा जाएगा कि उम्मीदवार ऐसा हो जिसका विरोध करने पर विपक्ष असहज हो सके। बीजेपी के एक नेता ने कहा कि धनखड़ का जिस तरह विपक्ष से टकराव रहा और उन्होंने ‘कुछ ज्यादा’ ही ज्यूडिशरी पर निशाना साधा और ऐसे बयान देते रहे जिससे सरकार के लिए असहज स्थिति हुई, उस सबका ध्यान इस बार उम्मीदवार चयन में रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि पार्टी चाहती है कि ऐसा उम्मीदवार हो जो राज्यसभा भी अच्छे से चला सकें और विवादों से भी दूर रहें।
बीजेपी नेता मान रहे हैं कि जो भी उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार होगा वह संघ की वैचारिक पृष्ठभूमि का हो सकता है। एक नेता ने कहा कि पिछली बार जब धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया था उस वक्त भी विचार परिवार में इसे लेकर चर्चा थी। उन्होंने कहा कि इस बार लगभग सभी यही मान रहे हैं कि अपनी विचारधारा को समझने वाला उम्मीदवार ही बेहतर उम्मीदवार होगा।
उन्होंने कहा कि इस बार उम्मीद है कि पिछली बार जैसा प्रयोग नहीं दोहराया जाएगा। जगदीप धनखड़ बीजेपी के विचार से नहीं आते थे। उन्होंने अपनी राजनीति की शुरूआत जनता दल से की थी और फिर कांग्रेस में भी रहे। उसके बाद वह बीजेपी में शामिल हुए। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता रहे और फिर उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया। राज्यपाल रहते उनका पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से लगातार टकराव रहा।
बीजेपी के एक नेता ने कहा कि इसकी ज्यादा संभावना है कि इस बार उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार तय करने में उनका बैकग्राउंड अहम होगा। उन्हें कहा कि कई ऐसे नाम सामने आ रहे हैं जो शुरू से बीजेपी के विचार से जुड़े रहे। सूत्रों के मुताबिक उम्मीदवार फाइनल करने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भी लूप में रखा जाएगा। संघ से जुड़े एक नेता ने कहा कि वैसे तो संघ डे टू डे की राजनीति और सरकार के काम में दखल नहीं देता है लेकिन जब बात अहम पदों की हो तो संघ की राय ली जाती है। जब संघ से राय मांगी जाती है तो संघ राय देता है।
बीजेपी सभी सहयोगी दलों की राय जानेगीउम्मीदवार तय करने से पहले एनडीए के नेताओं की भी बैठक होगी जिसमें बीजेपी सभी सहयोगी दलों की राय जानेगी। वैसे तो कई ऐसे नाम भी चर्चा में हैं जो एनडीए दलों से आते हैं हालांकि बीजेपी के एक नेता ने कहा कि शायद पार्टी इस बार अपने ही किसी कार्यकर्ता को आगे बढ़ा सकती है। साथ ही इसका ख्याल भी रखा जाएगा कि उम्मीदवार ऐसा हो जिसका विरोध करने पर विपक्ष असहज हो सके। बीजेपी के एक नेता ने कहा कि धनखड़ का जिस तरह विपक्ष से टकराव रहा और उन्होंने ‘कुछ ज्यादा’ ही ज्यूडिशरी पर निशाना साधा और ऐसे बयान देते रहे जिससे सरकार के लिए असहज स्थिति हुई, उस सबका ध्यान इस बार उम्मीदवार चयन में रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि पार्टी चाहती है कि ऐसा उम्मीदवार हो जो राज्यसभा भी अच्छे से चला सकें और विवादों से भी दूर रहें।
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